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Baghpat News: वैनों में लटक कर सफर कर रहे हैं बच्चे, स्कूलों की मनमानी पर बागपत प्रशासन की चुप्पी
Baghpat News: उत्तर प्रदेश के जनपद बागपत में बसों और मैजिक के बाहर बच्चे लटक कर सफर कर रहे हैं। वेस्ट यूपी के बागपत जिले में स्कूली वाहन खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं।
Baghpat News: इस साल अप्रैल माह में गाजियाबाद के मोदीनगर में कक्षा चार के 10 वर्षीय छात्र अनुराग भारद्वाज की मौत स्कूल वैन की लापरवाही के कारण हुई थी। इस मामले ने तब खासा तूल पकड़ा था और स्कूली वाहनों की व्यवस्था पर सवाल उठे थे। कुछ दिनों तक प्रशासन ने सख्ती दिखाई थी। इसके बाद फिर से व्यवस्था वापस उसी ढर्रे पर लौट आया है। वेस्ट यूपी के बागपत जिले में स्कूली वाहन खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं।
बसों और मैजिक के बाहर बच्चे लटक कर सफर कर रहे हैं। किसी भी वक्त ये हादसे का शिकार हो सकते हैं। इसलिए इन्हें मौत का सफर भी कहा जा रहा है। सोशल मीडिया पर ऐसे डग्गामार वाहनों का वीडियो वायरल हो रहा है। ताज्जुब की बात ये है कि जिला प्रशासन ने स्कूल वालों की इस लापरवाही पर आंखे मुंद रखी है।
स्कूली वाहनों के प्रति लापरवाही
जानकारी के मुताबिक, बागपत जिले में करीब 60 स्कूल हैं, जिनमें 470 बस और अन्य वाहन चल रहे हैं। इनमें किसी का निजी परमिट है तो किसी ने कमर्शियल इस्तेमाल के लिए परमिट लिया हुआ है। ध्यान देने वाली बात ये है कि स्कूल के लिए अलग से परमिट दिया जाता है, जिसके लिए सभी जरूरी नियमों का पालन करना जरूरी होता है। लेकिन, जिले में दौड़ रहे अधिकांश स्कूली वाहनों में ऐसा नहीं किया गया है।
कई स्कूलों ने अपनी बसें चलाने की जगह बाहरी लोगों को ठेका दिया हुआ है। इन ठेकेदारों ने डग्गामार वाहनों को स्कूलों में लगाया हुआ है। इनमें टाटा मैजिक, जीप आदि शामिल हैं। किसी ने बस लगाई हुई है, जिनमें नियमों का पालन नहीं किया गया है। शीशे के साथ पाइप व जाली तक नहीं लगी हुई है, जिससे बच्चा बाहर सिर नहीं निकाल सके। कई अन्य सुरक्षा उपकरण भी नहीं लगाए गए हैं, जिससे बच्चों की जान का जोखिम रहता है।
वाहनों में अपने बच्चों को स्कूल भेजें
हैरानी की बात ये है कि आरटीओ जिसका काम इन खामियों को देखकर उसके खिलाफ एक्शन लेना है, स्कूल संचालकों पर मेहरबान है। परिवहन विभाग के आंकड़े के मुताबिक, पिछले साल ऐसे 66 स्कूल बसों के विरूद्ध कार्रवाई हुई थी। इनमें 52 का चालान और 14 को सीज किया गया था। इस साल के आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। लेकिन बागपत की सड़कों पर दौड़ रहे डग्गामार स्कूल वाहनों को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि आरटीओ कितनी मुस्तैदी से अपनी ड्टूटी निभा रहा है। वहीं, अभिभावकों को चाहिए की सस्ती ट्रांसपोर्ट के चक्कर में न पड़ें। उन्हीं वाहनों में अपने बच्चों को स्कूल भेजें, जिन्हें स्कूल परमिट हासिल है।