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शारदीय नवरात्र : मां की पूजा-मां के रूप, इन मंत्रों से पूरी करें मनोकामनायें
अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होती है। नवरात्रि के नौ दिनों में मां दु्र्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दौरान मां अपने भक्तों की पुकार जरूर सुनती हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। नवरात्रि के नौ दिन के दौरान मां के नौ स्वरूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धदात्री की पूजा की जाती है। इन दिनों लोग व्रत रखते हैं और दसवें दिन कन्या पूजन के बाद व्रत खोलते हैं।
नवरात्रि तारीख
10 अक्टूबर (बुधवार) 2018 : घट स्थापन व मां शैलपुत्री पूजा, मां ब्रह्मचारिणी पूजा
11 अक्टूबर (बृहस्पतिवार ) 2018 : मां चंद्रघंटा पूजा
12 अक्टूबर (शुक्रवार ) 2018 : मां कुष्मांडा पूजा
13 अक्टूबर (शनिवार) 2018 : मां स्कंदमाता पूजा
14 अक्टूबर (रविवार ) 2018 : पंचमी तिथि सरस्वती आह्वाहन
15 अक्टूबर (सोमवार) 2018 : मां कात्यायनी पूजा
16 अक्टूबर (मंगलवार ) 2018 : मां कालरात्रि पूजा
17 अक्टूबर (बुधवार) 2018 : मां महागौरी पूजा, दुर्गा अष्टमी, महानवमी
18 अक्टूबर (बृहस्पतिवार) 2018 : नवरात्री पारण
19 सितम्बर (शुक्रवार ) 2018 : दुर्गा विसर्जन, विजय दशमी
श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ
शारदीय नवरात्रि में मां की भक्ति के लिए भुवनेश्वरी संहिता में कहा गया है- जिस प्रकार से ''वेद'' अनादि है, उसी प्रकार ''सप्तशती'' भी अनादि है। श्री व्यास जी द्वारा रचित महापुराणों में ''मार्कण्डेय पुराण'' के माध्यम से मानव मात्र के कल्याण के लिए इसकी रचना की गई है। जिस प्रकार योग का सर्वोत्तम ग्रंथ गीता है उसी प्रकार ''दुर्गा सप्तशती'' शक्ति उपासना का श्रेष्ठ ग्रंथ है |
'दुर्गा सप्तशती'के सात सौ श्लोकों को तीन भागों प्रथम चरित्र (महाकाली), मध्यम चरित्र (महालक्ष्मी) तथा उत्तम चरित्र (महा सरस्वती) में विभाजित किया गया है।
घट स्थापना की सामग्री
जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र। यह वेदी कहलाती है। जौ बोने के लिए शुद्ध साफ़ की हुई मिटटी जिसमे कंकर आदि ना हो। पात्र में बोने के लिए जौ ( गेहूं भी ले सकते है )। घट स्थापना के लिए मिट्टी का कलश ( सोने, चांदी या तांबे का कलश भी ले सकते है )। कलश में भरने के लिए शुद्ध जल, गंगाजल, रोली , मौली, इत्र ,पूजा में काम आने वाली साबुत सुपारी, दूर्वा, कलश में रखने के लिए सिक्का ( किसी भी प्रकार का , कुछ लोग चांदी या सोने का सिक्का भी रखते है ), पंचरत्न ( हीरा , नीलम , पन्ना , माणक और मोती ),पीपल , बरगद , जामुन , अशोक और आम के पत्ते ( सभी ना मिल पायें तो कोई भी दो प्रकार के पत्ते ले सकते है ), कलश ढकने के लिए ढक्कन ( मिट्टी का या तांबे का ),ढक्कन में रखने के लिए साबुत चावल, नारियल, लाल कपड़ा, फूल माला, फल तथा मिठाई, दीपक , धूप , अगरबत्ती।
प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।
तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम्।।
पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च।
सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम्।।
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:।
उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना:।।
प्रथमं शैलपुत्री
अच्छी सेहत और हर प्रकार के भय से मुक्ति दिलाती हैं मां शैलपुत्री। इनकी आराधना से स्थिर आरोग्य और जीवन निडर होता है। व्यक्ति चुनौतियों से घबराता नहीं बल्कि उसका सामना करके जीत हासिल करता है।
मां शैलपुत्री का निर्भय आरोग्य मंत्र
विशोका दुष्टदमनी शमनी दुरितापदाम्।
उमा गौरी सती चण्डी कालिका सा च पार्वती।।
मां शैलपुत्री को दूध का भोग लगायें
द्वितीयं ब्रह्मचारिणी
अगर आप प्रतियोगिता परीक्षा में सफलता चाहते हैं, विशेष रुप से छात्रों को मां ब्रह्मचारिणी की आराधना करनी चाहिये। इनकी कृपा से बुद्धि का विकास होता है। नौकरी और साक्षात्कार में सफलता दिलाती हैं मां ब्रह्मचारिणी क्योंकि ये तपस्वी वेष में हैं।
ब्रह्मचारिणी का परीक्षा में सफलता दिलाने का मंत्र
विद्याः समस्तास्तव देवि भेदाः स्त्रियः समस्ताः सकला जगत्सु।
त्वयैकया पूरितमम्बयैतत् का ते स्तुतिः स्तव्यपरा परोक्तिः।।
मां ब्रह्मचारिणी को मौसमी फल का भोग लगायें
तृतीयं चन्द्रघण्टा
कई बार जीवन में अशुभ ग्रहों की वजह से भी, कई मुश्किलें खड़ी हो जाती हैं। जीवन रुपी आकाश में संकट के बादल घिर जाते हैं। आशा की एक किरण भी नज़र नहीं आती। ऐसे अशुभ ग्रहों से उपजे संकट का नाश करती हैं मां चंद्र घंटा
मां चंद्रघंटा का संकटनाशक मंत्र
हिनस्ति दैत्य तेजांसि स्वनेनापूर्य या जगत्।
सा घण्टा पातु नो देवि पापेभ्योsनः सुतानिव।।
मां चंद्रघंटा को मखाने की खीर का भोग लगायें।
कूष्माण्डा चतुर्थकम्
अगर आपकी संतान सुखी नहीं है। विवाह के कई वर्षों बाद भी आंगन में किलकारी नहीं गूंज रही है, तो नवदुर्गा के चौथे स्वरुप मां कूष्माण्डा की पूजा करें। ऐसे करके आपको संतान सुख की प्राप्ति होगी।
मां कूष्माण्डा का संतान सुख मंत्र
स्तुता सुरैः पूर्वमभीष्टसंश्रयात्तथा सुरेन्द्रेण दिनेषु सेविता।
करोतु सा नः शुभहेतुरीश्वरी शुभानि भद्राण्यभिहन्तु चापदः।।
मां कूष्माण्डा को अनार के रस का भोग लगायें।
पंचमम् स्कन्दमाता
अगर आप चाहते हैं कि आपकी बुद्धि और बातचीत से हर कोई प्रभावित हो, तो इसके लिये पांचवी स्कंदमाता की पूजा करनी चाहिये। मीडिया और फिल्म जगत से जुड़े लोगों के लिये स्कंदमाता चमत्कार कर सकती हैं।
स्कंदमाता का बुद्धि विकास मंत्र
सौम्या सौम्यतराशेष सौम्येभ्यस्त्वति सुन्दरी।
परापराणां परमा त्वमेव परमेश्वरी।।
स्कंदमाता को हलवे का भोग लगायें।
षष्ठम् कात्यायिनी
लंबे समय से अगर आप वैवाहिक जीवन के कष्ट से जूझ रहे हैं। नौबत तलाक तक आ पहुंची है। तो आप वैवाहिक जीवन को सुखी बनाने और कोर्ट केस से छुटकारा पाने के लिये, कात्यायिनी माता की पूजा करें।
मां कात्यायनी का दाम्पत्य दीर्घसुख प्राप्ति मंत्र
एतत्ते वदनं सौम्यम् लोचनत्रय भूषितम्।
पातु नः सर्वभीतिभ्यः कात्यायिनी नमोsस्तुते।।
माता को नारियल के लड्डू का भोग लगायें।
सप्तमम् कालरात्रि
दुश्मनों से जब आप घिर जायें, हर ओर विरोधी नज़र आयें, तो ऐसे में आपको माता कालरात्रि की पूजा करनी चाहिये। ऐसा करने से हर तरह की शत्रुबाधा से मुक्ति मिलेगी।
मां कालरात्रि का शत्रुबाधा मुक्ति मंत्र
त्रैलोक्यमेतदखिलं रिपुनाशनेन त्रातं समरमुर्धनि तेSपि हत्वा।
नीता दिवं रिपुगणा भयमप्यपास्त मस्माकमुन्मद सुरारिभवम् नमस्ते।।
मां कालरात्रि को शहद का भोग लगायें।
महागौरी अष्टमम्
अगर आपके मन में बहुत ऐश्वर्य और प्रसिद्धि पाने की इच्छा हो तो आठवें दिन मां महागौरी की आराधना करें। इनकी कृपा से व्यक्ति देखते-देखते मशहूर हो जाता है।
मां महागौरी का परम ऐश्वर्य सिद्धि मंत्र
सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोsस्तुते।।
महागौरी मां को साबूदाने की खीर का भोग लगायें।
नवमम् सिद्धिदात्री
अगर आप अपनी हर इच्छा पूरी करना चाहते हैं तो 9वें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा करें। माता की कृपा से आपकी हर इच्छा पूरी हो सकती है।
सर्वमनोकामना पूरक महागौरी मंत्र
या श्रीः स्वयं सुकृतिनां भवनेष्वलक्ष्मीः पापात्मनां कृतधियां हृदयेषु बुद्धिः।
श्रद्धा सतां कुलजन प्रभवस्य लज्जा तां त्वां नताः स्म परिपालय देवि विश्वम्।।