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Sonbhadra: पारे में उछाल के साथ बढ़ी बिजली खपत, 21 हजार मेगावाट के पार पहुंची मांग
Sonbhadra News: अप्रैल माह की शुरूआत के साथ ही जहां बढ़ती तपिश और उमस की स्थिति लोगों को बेचैन किए हुए है। वहीं, अधिकतम बिजली खपत में भी इजाफे का क्रम बना हुआ है।
Sonbhadra News: अप्रैल माह मेें आसमान में बरसती आग के साथ ही, बिजली खपत में तेजी से उछाल आना शुरू हो गया है। मार्च में 19 हजार मेगावाट के इर्द-गिर्द रहने वाली अधिकतम खपत अप्रैल में 21 हजार मेगावाट को पार कर गई है। न्यूनतम खपत में भी तेजी से बढ़ोत्तरी दर्ज हुई है। मार्च तक 11 हजार मेगावाट के करीब रहने वाली बिजली खपत 14 हजार मेगावाट को पार कर गई है। रिहंद जलाशय में जलस्तर निचले स्तर पर आने के कारण जहां, जल विद्युत इकाइयों का संचालन ठप कर दिया गया है। वहीं, उत्पादन पर चल रही इकाइयों से बेहतर उत्पादन लेने की कोशिश बनी हुई है।
अप्रैल में पहले दिन से ही बनी हुई है बिजली खपत में तेजी
अप्रैल माह की शुरूआत के साथ ही जहां बढ़ती तपिश और उमस की स्थिति लोगों को बेचैन किए हुए है। वहीं, अधिकतम बिजली खपत में भी इजाफे का क्रम बना हुआ है। यूपी स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर से मिली जानकारी के मुताबिक पहली अप्रैल को 20201 मेगावाट रहने वाली बिजली की अधिकतम मांग, पांच अप्रैल को 21924 मेगावाट पर जा पहुंची। इसके बाद से लगातार नौ अप्रैल तक बिजली की खपत 21 हजार मेगावाट से अधिक बनी रही। 10 अप्रैल को बेमौसम बारिश के चलते लोगों को उमस से थोड़ी राहत मिली तो बिजली खपत का आंकड़ा भी घटकर 20890 मेगावाट पर आ गया। 11 अप्रैल से इसमें फिर से तेजी का क्रम शुरू हो गया। इस दिन जहां बिजली की अधिकतम खपत 21339 मेगावाट दर्ज की गई। वहीं, 13 अप्रैल को यह आंकड़ा 21380 मेगावाट बना रहा।
न्यूनतम पारे में भी बढ़ोत्तरी का क्रम जारी
पहली अप्रैल को बिजली की न्यूनतम खपत जहां 11567रिकार्ड की गई। वहीं, 11 अप्रैल को यह 14762 मेगावाट जा पहुंची। रविवार को भी बिजली की न्यूनतम खपत का आंकड़ा 14 हजार मेगावाट के इर्द-गिर्द बना रहा।
एनर्जी एक्सजेंस से खरीदी जा रही बिजली
बताते हैं कि बिजली खपत बढ़ने के साथ ही ,एनर्जी एक्सचेंज से महंगी बिजली खरीदने का क्रम शुरू हो गया है। डिस्चार्ज लाइन से पानी लीक करने के कारण जहां ओबरा परियोजना की 200 मेगावाट वाली नौवीं इकाई 11 अप्रैल से बंद पड़ी है। वहीं, एनटीपीसी की रिहंद परिेयोजना की पांच सौ मेगावाट वाली चौथी यूनिट टरबाइन बेयरिेंग का टेंपरेंचर हाई होने के कारण, 28 अप्रैल से ही ठप पड़ी है। परियोजना प्रबंधन के मुताबिक दोनों इकाइयों को 15 अप्रैल की देर रात उत्पादन पर आने की उम्मीद है। इसको लेकर अभियंताओं की टीम युद्धस्तर पर जुटी हुई है। बता दें कि ओबरा की पूरी बिजली राज्य सरकार को मिलती है। वहीं, एनटीसी के उत्पादन में राज्य सरकार को मिलने वाली बिजली की हिस्सेदारी 34 से 35 प्रतिशत है।