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Varanasi News: गंगा का पानी हरा क्यों हुआ, वैज्ञानिकों ने बताई वजह, हालात खराब होने की जताई आशंका

Varanasi News: गंगा नदी का पानी हरा होने को लेकर बीएचयू के नदी विशेषज्ञ प्रोफेसर बी. डी. त्रिपाठी ने जानकारी दी कि जब जल के अंदर का तापमान 25 डिग्री सेल्सियस से अधिक होता है, तब वातावरण शैवालों के पनपने के अनुकूल बन जाता है।

Varanasi News: वाराणसी में गंगाा नदी (Ganga Nadi) में फिर से हरे शैवाल देखने को मिल रहे है। इस घटना के बाद काशीवासियों (Kashi) सहित वैज्ञानिकों के माथे पर चिंता की लकीरें देखने को मिल रही हैं। दरअसल पिछली बार मिर्जापुर के पास से लोहिया नदी से ये शैवाल गंगा में आये थे, लेकिन इस बार ये प्रयागराज से बढ़ते हुए काशी पहुंच रहे हैं। शैवालों के कारण गंगा का इकोसिस्टम एक बार फिर संकट में आ गया है।

बीएचयू के वैज्ञानिकों ने पूर्व में ही आशंका जताई थी कि हरे शैवाल फिर से गंगा में आ सकते हैं। हरे शैवालों के कारण गंगा में ऑक्सीजन स्तर कम होता जा रहा है। यह गंगा में पलने वाले जीवों के लिए बड़ा संकट है। बीते सप्ताह हरे शैवाल आने के बाद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इसे अस्थाई समस्या बताकर जल्द ही स्थिति सामान्य होने की बात कही थी। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की प्राथमिक जांच में भी यह बात सामने आई थी कि गंगाजल में नाइट्रोजन और फास्फोरस की मात्रा निर्धारित मानकों से ज्यादा हो गई है।

बिगड़ सकते हैं गंगा के हालात

बीएचयू के नदी विशेषज्ञ प्रोफेसर बी. डी. त्रिपाठी के अनुसार जब जल के अंदर का तापमान 25 डिग्री सेल्सियस से अधिक होता है तब वातावरण शैवालों के पनपने के अनुकूल बन जाता है। बीते सप्ताह प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जांच में रामनगर की ओर गंगा जल के भीतर का तापमान 35 डिग्री के आसपास मिला था. प्रोफेसर त्रिपाठी ने कहा कि जल्द ही इस समस्या का स्थाई हल नहीं खोजा गया तो गंगा की परिस्थिति बर्बाद हो सकती है. तब गंगा में बढ़ने वाले जीवों की प्रजाति पर संकट आएगा.सबसे पहले छोटे आकार वाले जीवों के जीवन पर संकट होगा।

हरा शैवाल करेगा बीओडी को प्रभावित
बीएचयू में इंस्टीट्यूट आफ एनवायरमेंट एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट के वैज्ञानिक डॉ कृपाराम ने बताया कि जल में युट्रोफिकेशन प्रक्रिया होने से एल्गी ब्लूम (हरे शैवाल) बनते हैं. ऐसा तब होता है जब जल में न्यूट्रिएंट काफी बढ़ जाते हैं. इस कारण गैर जरूरी स्वस्थ जीवों की संख्या में अप्रत्याशित रूप से वृद्धि होती है. ऐसे में शैवालों को प्रकाश संश्लेषण करने का सबसे उपयुक्त वातावरण मिलता है. तब पानी में ऑक्सीजन कम होने लगता है, जिससे बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) सबसे पहले प्रभावित होती है.

गंगा नदी की लंबाई कितनी है (Ganga Nadi Ki Lambai Kitni Hai)

गंगा भारत की सबसे बड़ी और आस्था की नजरों से सबसे पवित्र नदी मानी जाती है। गंगा की लंबाई 2,510 किलो मीटर है। सवाल ये है कि गंगा कहां से निकलती Ganga kahan se nikalti hai) है। गंगोत्री हिमनद उत्तराखंड के उत्तरकाशी, भागीरथी नदी के नाम से निकलती है और देवप्रयाग में अलकनंदा से मिल जाती है। इस संगम के बाद गंगा बनती है जो बंगाल की खाड़ी में शामिल हो जाती है



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Shivani

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