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योगी सरकार के होनहार ADM, एक भाजपाई तो दूसरा महिला को जूता लगाने को तैयार
देवरिया में एक एडीएम (ADM) साहब हैं जो राजनीतिक दल की महिला पदाधिकारी को चार जूता लगाने की धमकी दे रहे हैं।
लखनऊ: योगी सरकार के विधायक चार साल से गुहार लगा रहे हैं कि लोकतांत्रिक व्यवस्था के बावजूद सरकारी अधिकारी उनका तिरस्कार कर रहे हैं। इसका ताजा नमूना आगरा में देखने को मिला है जहां भाजपा (BJP) विधायक की मौजूदगी में एडीएम प्रोटोकॉल न केवल भाजपा महानगर अध्यक्ष भानु महाजन (Bhanu Mahajan) को नशा उतारने की धमकी दे रहे हैं बल्कि डंके की चोट पर एलान कर रहे हैं कि उनसे बढ़कर भाजपाई तो महानगर अध्यक्ष भी नहीं हैं।
दूसरी ओर देवरिया में एक एडीएम (ADM) साहब हैं जो राजनीतिक दल की महिला पदाधिकारी को चार जूता लगाने की धमकी दे रहे हैं। इससे भी ज्यादा आश्चर्यजनक है कि योगी सरकार ने चौबीस घंटे बाद भी दोनों मामलों में जुंबिश भी नहीं ली है। उसने अपने अधिकारियों का जवाब-तलब भी नहीं किया है।
कोई सरकारी अधिकारी भाजपाई कैसे हो सकता है?
योगी सरकार के होनहार अधिकारियों का वीडियो सोशल मीडिया पर दो दिन से वायरल हो रहा है। तरह-तरह की टिप्पणियां हो रही हैं लेकिन सरकार इससे पूरी तरह बेखबर नजर आ रही है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि सरकार अपने अधिकारियों के साथ खड़ी है और उसे पार्टी कार्यकर्ताओं के मान-अपमान और लोकतांत्रिक मूल्यों की कोई परवाह नहीं है। सरकार अपने अधिकारियों से यह पूछने को तैयार नहीं है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में कोई सरकारी अधिकारी भाजपाई कैसे हो सकता है। अगर कोई राजनीतिक दल के साथ निष्ठा रखता है तो उसे सरकारी नौकरी करने का क्या अधिकार है। उसे क्यों न नौकरी से बाहर कर दिया जाए।
किसी महिला को जूता लगाने की धमकी
सरकार अपने अधिकारी से यह भी पूछने को तैयार नहीं है कि मजिस्ट्रेट की भूमिका में होने के बावजूद वह किसी महिला या सामान्य नागरिक को जूता लगाने के लिए क्यों तैयार है। संविधान की किस धारा ने उसे इतना अधिकार संपन्न किया है कि वह किसी को चार जूता लगा सकता है। भारतीय संविधान में क्या अदालत को भी जूता लगाने का दंड देने का अधिकार है। अगर ऐसा नहीं है तो जो अधिकारी सरेआम एक राजनीतिक दल की नेत्री को जूता लगाने की धमकी दे रहा है उस पर सरकार का क्या रुख है। सरकार आखिर उस पर कार्रवाई करने के लिए तैयार क्यों नहीं है। क्या योगी सरकार में अधिकारियों को स्वेच्छाचारी बनने की छूट है। वह किसी नियम-कानून के दायरे में नहीं रहेंगे।
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