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Ram Mandir Video: अयोध्या का कोरिया कनेक्शन बहुत है खास, जानिए इसके बारे में

Ayodhya Ram Mandir Video: कहा जाता है कि अयोध्या की राजकुमारी से ही, साउथ कोरिया का राजवंश चल रहा है। शायद यही वजह है कि साउथ कोरिया में इस पवित्र नगरी अयोध्या का बहुत सम्मान है...

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Newstrack Network
Published on: 11 Feb 2024 6:46 PM IST
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Ayodhya Ram Mandir Video: भारत ही नहीं दुनिया के तमाम देशों में भागवान राम की राम लीला के बारे में लोग जानते हैं। राम लीलाएं खेली जाती हैं। भगवान राम के मंदिर हैं। भगवान राम का कनेक्शन हिंदुस्तान के जन जन, हिंदुस्तान के हर इलाक़े से ही नही, दुनिया के तमाम देशों से ऐसा अटूट है, कि इस नाते भी लोग भारत के साथ रिश्ता रखते हैं। रिश्ता बनाये हुए हैं। क्योंकि राम या तो वहाँ की मुद्राओं पर हैं, या वहाँ के जन जन में हैं। या राम लीला के मार्फ़त वहाँ की कथाओं में व्याप्त हैं। दुनिया के जिन देशों में राम का ज़िक्र किसी न किसी बहाने होता ही है, उनमें इराक़, मिस्र , रुस , इटली, बेल्जियम, ब्रिटेन, होंडुरास, कंबोडिया, अमेरिका, लाओस थाईलैण्ड, बैंकाक, वियतनाम , फ़िलीपींस, त्रिनीडाड, मारीशस , सूरीनाम और श्रीलंका जैसे देश हैं। इन देशों में साउथ कोरिया भी शुमार है । हालाँकि साउथ कोरिया से एक दूसरे ढंग का रिश्ता है। इसलिए साउथ कोरिया से अयोध्या और राम के रिश्तों के लिए अलग से बात करना ज़रूरी हो जाता है।

कहा जाता है कि अयोध्या की राजकुमारी से ही, साउथ कोरिया का राजवंश चल रहा है। शायद यही वजह है कि साउथ कोरिया में इस पवित्र नगरी अयोध्या का बहुत सम्मान है, अयोध्या वासियों को बहुत पवित्रता की दृष्टि से स्वीकार किया जाता है।

कहा जाता है कि अयोध्या भारतीय राजकुमारी सुरीरत्ना का घर था, जिन्होंने दक्षिण कोरियाई राजा से शादी की थी। सुरीरत्ना 48 ईस्वी में कोरिया चली गईं । वहां हेओ ह्वांग-ओक बन गईं। उनके वैवाहिक गठबंधन से साउथ कोरिया में कारक राजवंश की शुरुआत हुई। इस जोड़े के 10 बेटे थे। कहा जाता है कि आज साउथ कोरिया में इस राजवंश के 60 लाख लोग हैं।ये साठ लाख लोग कोरिया की आबादी के 7 फ़ीसदी बैठते हैं। कोरियाई राजा किम डे जंग इसी परिवार के सदस्य बातें जाते हैं।

अयोध्या का एक लोकप्रिय संदर्भ सैमगुक युसा या तीन साम्राज्यों की स्मृतियों से मिलता है, जो कोरिया के तीन साम्राज्यों से संबंधित लोककथाओं और ऐतिहासिक विवरणों का संग्रह है, जिसे 1281 ई. में बौद्ध भिक्षु इल-योन द्वारा संकलित किया गया था। इस पुस्तक में कहा गया है कि ह्वांग-ओके "अयुता" साम्राज्य की राजकुमारी थीं, जिसे अयोध्या माना जाता है।

कहा जाता है कि राजकुमारी सुरीरत्ना ने अयोध्या से साउथ कोरिया तक समुद्र के रास्ते पत्थर लेकर के यात्रा की थी। यह भी कहा जाता है कि उनकी यात्रा के समय समुद्र शांत हो गया था। यह पत्थर आज भी साउथ कोरिया में मौजूद है। देखा जा सकता है।

भारतीय जर्नल द जियोग्राफर में 2019 में प्रकाशित एक पेपर में, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में सांस्कृतिक भूगोल और विरासत अध्ययन के प्रोफेसर पी.बी. राणा और दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर सर्वेश कुमार ने किंवदंती के विस्तार पर काम किया और बताया है। . लेखकों के अनुसार, राजकुमारी सुरीरत्ना का जन्म "अयुता यानी अयोध्या शहर में हुआ था। इस शहर का प्राचीन नाम सा केटा था। राज कुमारी सुरीरत्ना 16 साल की उम्र में अयोध्या से साउथ कोरिया पहुँच गई थीं। पेपर में यह भी बताया गया है कि रानी के पति राजा सुगे थे। माना जाता है कि यह कोरिया के दक्षिणपूर्वी भाग में वर्तमान गिम्हे शहर के आसपास स्थित है - जिसने प्राचीन कारक साम्राज्य की स्थापना की थी। लेखक न केवल 'अयुता' और 'अयोध्या' के नामों के बीच ध्वन्यात्मक समानताएं स्वीकार की हैं। बल्कि उनके प्रतीक मछली की एक जोड़ी - के बीच भी समानताएं हैं। जुड़वां मछली उत्तर प्रदेश राज्य का आधिकारिक प्रतीक चिन्ह है। जुड़वाँ मछली उत्तर कोरिया में भी कई जगह प्रतीक चिन्ह के रुप में आज भी देखा जा सकता है, जैसे कि गिम्हे शहर में रानी हियो क्वांग-ओक की समाधि पर। इस तरह अयोध्या व उत्तर कोरिया के इन रिश्तों को आज भी चलन में पाया जा सकता है। आज भी अयोध्या के लोग उत्तर कोरिया और उत्तर कोरिया के लोग अयोध्या के बहुत सम्मान से देखते हैं। और यहाँ के निवासियों को अतिरिक्त महत्व देते हैं।



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