2 November 2021 ka Rashifal: राशि के अनुसार करे धातु क्रय व दीप पूजन धन धान्य, सुख आरोग्य ऐश्वर्य की होगी प्राप्ति
2 November 2021 ka Rashifal: मेष से मीन तक राशियों के प्रेम, उपाय, शुभ अंक, रोमांस और दांपत्य जीवन में प्रेम, धन-संपत्ति, सेहत, करियर, को लेकर भविष्यवाणी, पढ़ें लव राशिफल। दैनिक प्रेम राशिफल, आज का राशिफल।
2 November 2021 ka Rashifal : त्रेता युग में मर्यादा पुरुषोत्तम विष्णु अवतार श्री राम , 14 वर्ष का वन वास काटकर, अन्याय रावण का वध (Ravan ka Vadh) करके अयोध्या वापस लौटे। रघुवंश सहित सभी अयोध्यावासी प्रभु श्री राम , माता जानकी व लक्ष्मण के आगमन से अति प्रसन्न थे। अयोध्या नगरी, दीपो से सजाई गई। माता जानकी जो देवी लक्ष्मी थी, के अयोध्या आगमन के उपलक्ष्य में लक्ष्मी पूजन दीपावली मनायजता है।
धन–त्रयोदशी— पांच दिवसीय महापर्व का प्रारंभ धनतेरस से होता है। धनतेरस पर धन के देवता कुबेर, यम और औषधि के देव धनवंतरी के पूजन का विधान है । इस दिन सोने, चांदी व धातु के बर्तन खरीदे जाते है। मेरा मत है कि मेष व वृश्चिक राशि के लोगो को , तांबा का पात्र अवश्य खरीदना चाहिए। कर्क राशि के लोगो को चांदी का पात्र लेना शुभ होता है। धनु व मीन राशि के लिए स्वर्ण धातु पूजन पात्र, यथा समर्थ करना चाहिए। मकर व कुंभ राशि के लोग स्टील(लोहा) के पात्र पूजन हेतु खरीद करे। वृष व तुला राशि के जातक, यदि सक्षम हो तो Diamond खरीदे अन्यथा पूजन हेतु शीशे का पात्र क्रय करे। मिथुन व कन्या राशि के जातक पीतल के पात्र क्रय करे तथा श्री गणेश को इसी पात्र में भोग लगाएं। सिंह राशि के लिए अष्टधातु का क्रय करना शुभ है।
इस वर्ष धनतेरस मंगलवार दिनांक 2 नवंबर प्रातः 8:34 सुबह से अगले दिन 7:13 सुबह तक है
मंगलवार 9:32 प्रातः तक उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र है, तत्पश्चात हस्त नक्षत्र प्रारम्भ होगा जिसका भोग अगले दिन 9:14 तक है। मंगलवार को सायं 5:40 तक तत्पश्चात विषकुंभ योग है। राहुकाल 2:50 से 4:12 अपराह्न है जो शुभ कार्य हेतु त्याज्य है।
- इसके साथ ही चौघड़ी और स्थिर लग्न का ध्यान रखना आवश्यक है।
- चौघडी" लाभ " पूर्वाह्न 10:45 से अपराह्न 12:04 तक पुनः सायं 07:12 से रात्रि 8:50 तक है।
- चौघडी अमृत दोपहर 12:04 से 01:27 तक है।
- स्थिर लग्न मकर व कुंभ क्रमशः 11:54 से 13:41 तक एवम 13:41 से 15:32 तक है। इसके पश्चात में व वृष लग्न क्रमश: 4:40 से 6:17 एवम 6:17 8:10 रात्रि तक है।
- निष्कर्षतः, वैसे तो धनतेरस प्रातः काल 8:34 के पश्चात दिनभर खरीद के लिए उपयुक्त है परंतु दोपहर 12:04 से 13:41 तक एवम सायं 07:12 से 08:10 तक सर्वश्रेष्ठ है। श्रेष्ठ मुहूर्त में 10:45 से 12:04 तक भी शुभ है।
- धातु के साथ माता लक्ष्मी व श्री गणेश की मूर्ति भी इसी दिन क्रय करे।
नरक चतुर्रदशी–
नरक चौदस को छोटी दीपावली के नाम से भी जाना जाता है, इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था, उसी के नाम से इस दिन को नरक चौदस कहा जाता है, इस वर्ष नरक चौदस का त्योहार 03 नवंबर, दिन बुधवार को मनाया जाएगा। सूर्यास्त 5:31 पर होगा।
घर के बाहर , यम द्वितीया का दीपदान , भोजन के उपरांत रात्रि 10:27 के बाद करे। एक मान्यता के अनुसार इस दिन हनुमान जयंती भी मनाए जाने का विधान है।
दीपावली
दीपावली का पर्व 4 नवंबर गुरुवार को स्वाती नक्षत्र व आयुष्मान योग में पड़ रहा है। दीपावली को संध्या काल में दीपक का पूजन सूर्यास्त के साथ किया जाता है। सूर्यास्त सायं 5:30 पर है अतः पूजन 6 बजे तक करना शुभ है। माता लक्ष्मी व श्री गणेश का पूजन स्थिर लग्न में किया जाना शुभ होता है। 6:14 बजे से 8:10 तक वृष लग्न है। तथा अमृत चौघडी 7:10 बजे तक है। अतः 7:10 के पूर्व पूजन प्रारंभ कर दे। 8:10 तक समापन कर दे। वणिक वर्ग द्वारा महानिशा पूजन सिंह लग्न में किया जाता है। इस वर्ष सिंह लग्न 12:42 से 02:56 तक है। महानिशा पूजा इस काल में शुभ है। जिन व्यापारिक प्रतिष्ठानों में दिन में मूर्ति स्थापना , पूजन का विधान है उस हेतु दोपहर 01:38 से 03:09 तक शुभ मुहूर्त है।
दीपावली पूजन में कुछ शुभ मंत्रो का ध्यान करे। देवताओं के कोषाध्यक्ष भगवान कुबेर को प्रसन्न करने हेतु मंत्र–
" ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय, धन धन्याधिपतये धन धान्य समृद्धि मे देहि दापय स्वाहा।"
महालक्ष्मी मंत्र–
"ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन महालक्ष्म्यै अस्मांक दारिद्र्य नाशय प्रचुर धन देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।"
मंत्र का जाप कमलगट्टे के माला पर करना चाहिए।
श्री गणेश मंत्र–
धन ऐश्वर्य कार्य में बाधाहरण गणेश मंत्र का जाप हाथीदांत के माला पर करे
"एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात।। महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात।। गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात।।"
राशियों के अनुसार पुजापद्धति अपनाने से सुख संपत्ति ऐश्वर्या की प्राप्ति होती है।
- मेष राशि– इस राशि के गृह स्वामी पूजन के समय केसरिया वस्त्र धारण करे। आसनी भी केसरिया रखे। लाल एक रंगे पर माता लक्ष्मी व श्री गणेश की स्थापना करे। पीले प्रसाद का भोग लगाएं। कुबेर मंत्र का जाप करे।
- वृष राशि– इस राशि के स्वामी को श्वेत वस्त्र धारण करना चाहिए। श्री गणेश को हरा दुर्बा चढ़ाए। महालक्ष्मी मंत्र का ध्यान करे।
- मिथुन राशि– हरे गमछे को बाएं भुजा पर रखकर सिद्धिविनायक का आह्वान करे। श्री गणेश को लाल चंदन और माता लक्ष्मी को अपनी भार्या से सिंदूर लगवाए। प्रचलित राजकीय मुद्रा का पूजन करे।
- कर्क राशि– पीला वस्त्र धारण करे व आराध्या को भी पिला आसन दे। चांदी की मुद्रा से पूजन करे। श्वेत चावल तथा अन्न का भोग लगाएं।
- सिंह राशि– भगवा वस्त्र धारण करे व लाल पुष्प से पूजन करे।। लाल फल का भोग लगाए। धन कुबेर का जप करे। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा द्वारा पूजन करे।
- कन्या राशि– श्वेत व हरा वस्त्र साधक को धारण करना चाहिए। चांदी की वह मुद्रा जिसपर किसी स्त्री की छवि(यथा विक्टोरिया) अंकित हो का प्रयोग करे। दूरबा भी अर्पित करे।
- तुला राशि– लक्ष्मी महा मंत्र का जाप करे। पांच गांठ हल्दी चढ़ाए। गाय के दूध से लक्ष्मी गणेश की मूर्ति को स्नान कराएं। कमल पुष्प पर माता लक्ष्मी को आसन दे।
- वृश्चिक राशि– लाल चंदन की माला पर धन कुबेर का ध्यान करे। श्री गणेश को लाल लड्डू का भोग लगाए। लाल आसन दे। गंगा जल से स्नान कराएं।
- धनु राशि– माता लक्ष्मी को स्वर्ण धातु का आभूषण पहनाए। राजकीय मुद्रा की प्रतिष्ठा करके पूजन करे। तांबूल पत्र पर पीले लड्डू का भोग लगाए। गुरु बृहस्पति का ध्यान करे।
- मकर राशि– राशि के स्वामी को राजकीय सिक्का जिसमे लौह धातु की प्रधानता हो, श्री गणेश को अर्पित करे। स्टील के बर्तन में अन्न, बर्फी,। कला तिल चढ़ाए। पीपल वृक्ष के नीचे पांच दीपक, सरसो के तेल का जलाए।
- कुंभ राशि– स्टील के लोटे में गाय के दुग्ध रखकर लक्ष्मी गणेश की प्रतिमा को स्नान कराएं। पवन पुत्र हनुमान का ध्यान करे तथा उन्ही सिंदूर और चमेली का तेल का लेप करे।
- मीन राशि– महालक्ष्मी को स्वर्ण आभूषण चढ़ाए। पीतल की थाली में लड्डू का भोग लगाए। गंगाजल व हल्दी को मिलाकर प्रतिमा स्नान कराएं। पीला वस्त्र पहनाए तथा स्वयं भी पीताम्बरी धारण करे।
गोवर्धन पूजा या अन्नकूट:-
दीपावली के अगले दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा पर गोवर्धन पूजा या अन्नकूट का त्योहार मनाने का विधान है। ये पर्व भगवान कृष्ण के द्वारा गोवर्धन पर्वत उठा कर मथुरावसियों की रक्षा करने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, इस वर्ष गोवर्धन या अन्नकूट पूजा , अनुराधा नक्षत्र व सौभाग्य योग में 05 नवंबर, दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा।
भैय्या दूज
भैय्या दूज या यम द्वितिया का पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है, ये त्योहार भी राखी की तरह भाई-बहन को समर्पित होता है, इस दिन यमुना स्नान का विशेष महत्व होता है, इस वर्ष भैय्या दूज का पर्व 06 नवंबर, दिन शनिवार को मनाया जाएगा।
त्योहार , जीवन का उत्सव है। उत्सव मनाने पर आराध्या प्रसन्न होते है। सीमित संसाधनों में भी सपत्नी, बच्चो , वृद्ध, बंधु बांधवो के साथ प्रसन्नता पूर्वक किए कई अनुष्ठान सदैव फलदायी होता है।
पंडित देवेंद्र भट्ट (गुरु जी)
ज्योतिर्विद व वास्तुविद
astrogurudev108@gmail.com