Navratri 2022: नवरात्रि के दूसरे दिन होती है मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, जानें विधि, मंत्र, भोग और आरती

Navratri 2022 2nd Day Maa Brahmacharini Puja: नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। इस साल 27 सितंबर को मां ब्रह्मचारिणी की पूजा धूमधाम से की जाएगी। .

Written By :  Anupma Raj
Update:2022-09-26 20:30 IST

Maa Brahmacharini (Image: Social Media)

Navratri 2022 2nd Day Maa Brahmacharini Puja: नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। इस साल 27 सितंबर को मां ब्रह्मचारिणी की पूजा धूमधाम से की जाएगी। बता दे शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन यानी कि अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर मां दुर्गा का दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। मां देवी ब्रह्मचारिणी तप, संयम और त्याग की प्रतीक हैं। तो आइए जानते हैं मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि, मंत्र, शुभ योग, कथा, भोग और आरती

मां ब्रह्मचारिणी पूजा मुहूर्त 2022 (Maa Brahmacharini Puja muhurat 2022)

27 सितंबर 2022: अश्विन शुक्ल द्वितीया तिथि शुरू - सुबह 03.08 

28 सितंबर 2022: अश्विन शुक्ल द्वितीया तिथि समाप्त - सुबर 02.28

ब्रह्म मुहूर्त: सबुह 04:42 - सुबह 05:29

अभिजित मुहूर्त: सुबह 11:54 - दोपहर 12:42 PM  

गोधूलि मुहूर्त: शाम 06:06 - शाम 06:30


माता ब्रह्मचारिणी का स्वरूप

दरअसल मां ब्रह्मचारिणी को ब्राह्मी भी कहा जाता है। बता दे ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी मतलब आचरण करने वाली यानी कि तप का आचरण करने वाली शक्ति। दरअसल देवी के दाएं हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल है। बता दे भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए देवी ने कठोर तप किया था जिससे ये मां ब्रह्मचारिणी कहलाईं।

माता ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि (Maa Brahmacharini Puja vidhi)

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में लाल रंग का ज्यादातर इस्तेमाल करना चाहिए। सबसे पहले स्नान के बाद लाल वस्त्र पहने। फिर जहां कलश स्थापना की है या फिर पूजा स्थल पर मां दुर्गा की प्रतिमा के सामने घी का दीपक जलाएं और मां ब्रह्मचारिणी का ध्यान करते हुए उन्हें रोली, अक्षत, हल्दी अर्पित करें। फिर देवी मां को पूजा में लाल रंग के फूल चढ़ाएं। अब माता की चीनी और पंचामतृ का भोग लगाएं। ध्यान रखें फल में सेब जरूर रखें। अब अगरबत्ती लगाएं और देवी मां के बीज मंत्र का 108 बार जाप करें। बता दे नवरात्रि में प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करना बहुत शुभ माना गया है। फिर अंत में देवी ब्रह्मचारिणी की कपूर से आरती करें। 

माता ब्रह्मचारिणी बीज मंत्र (Maa Brahmacharini Beej Mantra)

ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:।

माता ब्रह्मचारिण प्रार्थना मंत्र (Maa Brahmacharini Prayer Mantra)

दधाना कपाभ्यामक्षमालाकमण्डलू।

देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।

माता ब्रह्मचारिणी पूजा मंत्र (Maa Brahmacharini Puja Mantra)

या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

माता ब्रह्मचारिणी को प्रिय हैं ये भोग और रंग (Maa Brahmacharini Puja Bhog and Color)

मां देवी ब्रह्मचारिणी को शक्कर और पंचामृत का भोग अति प्रिय है। देवी मां को इसका भोग लगाने से दीर्धायु होने का आशीर्वाद प्राप्त होता है। नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने के लिए लाल रंग शुभ माना गया है।

माता ब्रह्मचारिणी प्रिय फूल (Maa Brahmacharini Favourite Flower)

मां ब्रह्मचारिणी को बरगद (वट) वृक्ष का फूल बहुत पसंद है। इस फूल का रंग लाला होता है। 

माता ब्रह्मचारिणी की पूजा से लाभ (Maa Brahmacharini Puja benefit)

मां ब्रह्मचारिणी की उपासना से भक्त की शक्ति, संयम, त्याग भावना और वैराग्य में बढ़ोत्तरी होती है। मां ब्रह्मचारिणी संकट में देवी भक्त को संबल देती है। दरअसल तप के जरिए देवी ने असीम शक्ति प्रप्ता की थी, इसी शक्ति से मां राक्षसों का संहार किया था। माता के आशीर्वाद से भक्त को अद्भुत बल मिलता है, जिससे शत्रु का सामना करने की शक्ति मिलता है। मां ब्रह्मचारिणी की उपासना करने से आत्मविश्वास और स्मरण शक्ति में बढ़ोतरी होती है। देवी के प्रभाव से जातक का मन भटकता नहीं है। 

माता ब्रह्मचारिणी कथा (Maa Brahmacharini Katha)

दरअसल पौराणिक कथा के अनुसार मां ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए एक हजार साल तक तक फल-फूल खाएं और सौ वर्षों तक जमीन पर रहकर शाक पर निर्वाह किया। मां ब्रह्मचारिणी ने ठंड,गर्मी, बरसात हर ऋतु को सहन किया लेकिन देवी अपने तप पर अडिग रही। मां ब्रह्मचारिणी टूटे हुए बिल्व पत्र का सेवन कर भगवान शिव की भक्ति में डूबी रहीं। मां ब्रह्मचारिणी की कठिन तपस्या से भी भोले नाथ प्रसन्न नहीं हुए, तो उन्होंने सूखे बिल्व पत्र खाना भी छोड़ दिया। महादेव को पाने के लिए कई हजार सालों तक निर्जल और निराहार रह कर मां ब्रह्मचारिणी तपस्या करती रहीं। बता दे मां की कठिन तपस्या देखकर सभी देवता, मुनियों ने उनकी मनोकामना पूर्ण होने का आशीर्वाद दिया। दरअसल इस कथा का सार ये है कि अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिए कठिन समय में भी मन विचलित नहीं होना चाहिए तभी सफलता मिलती है।

मां ब्रह्मचारिणी की आरती (Maa Brahmacharini Ki Aarti)

जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता, जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।।

ब्रह्मा जी के मन भाती हो, ज्ञान सभी को सिखलाती हो।।

ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा, जिसको जपे सकल संसारा।।

जय गायत्री वेद की माता, जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।।

कमी कोई रहने न पाए, कोई भी दुख सहने न पाए।।

उसकी विरति रहे ठिकाने, जो ​तेरी महिमा को जाने।।

रुद्राक्ष की माला ले कर, जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।।

आलस छोड़ करे गुणगाना, मां तुम उसको सुख पहुंचाना।।

ब्रह्माचारिणी तेरो नाम, पूर्ण करो सब मेरे काम।।

भक्त तेरे चरणों का पुजारी, रखना लाज मेरी महतारी।।

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