Shardiya Navratri 2022: इस साल हाथी पर सवार होकर आ रही हैं माँ, अत्यधिक वर्षा का है ये संकेत
2022 Shardiya Navratri Mata Ki Sawari: इस वर्ष माता रानी का वाहन गज हैं। जी हां, महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान"ट्रस्ट" के ज्योतिषाचार्य पं.राकेश पाण्डेय के अनुसार इस बार मां गज पर सवार होकर आने से अत्यधिक बारिश होने की प्रबल सम्भावना होती है।
2022 Shardiya Navratri Mata Ki Sawari: शारदीय नवरात्र 26 सितम्बर दिन सोमवार से प्रारम्भ हो रहा है। ऐसे में नवरात्रि उत्सव की तैयारी जोरों पर चल रही है। कहीं लोग डांडिया खेलने की तैयारी कर रहे हैं तो कहीं पर गरबा खेलने का भी अभ्यास अभी से शुरू हो चूका है। वहीं दूसरी और लोग अभी से ही घरों में कलश स्थापना की तैयारी में जुट गए हैं। बता दें कि इस वर्ष पूरे नौ दिनों का नवरात्र है, जो अपने साथ बहुत सारी खुशियां और समृद्धि भी लेकर आ रहा है।
उल्लेखनीय है कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हर बार माता रानी के दिनों की शुरूआत जब भी होती हैं वे किसी न किसी वाहन पर सवार होकर आती हैं । इस वर्ष माता रानी का वाहन गज हैं। जी हां, महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान"ट्रस्ट" के ज्योतिषाचार्य पं.राकेश पाण्डेय के अनुसार इस बार मां गज पर सवार होकर आने से अत्यधिक बारिश होने की प्रबल सम्भावना होती है।
महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान ट्रस्ट के ज्योतिषाचार्य पं.राकेश पाण्डेय बताते है कि शारदीय नवरात्र आश्विन शुक्ल प्रतिपदा सोमवार से आरम्भ हो रहा है। आश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि पूरे दिन व मध्यरात्रि पश्चात 03:32 मि.तक है सोमवार का दिन व उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र प्रातः07:03 तक पश्चात हस्त नक्षत्र है। इस वर्ष शारदीय नवरात्र नौ दिनों का है सोमवार से प्रारम्भ होकर मंगलवार 4 अक्टूबर को पूर्णाहूति होगी ॥
कलश स्थापना का विशेष मुहूर्त (shardiya Navratri Kalash Sthapana Shubh Muhurat)
कलश स्थापना मुहूर्त सूर्योदय से लेकर पूरे दिन कभी भी किया जा सकता है।
विशेष मुहूर्त दिवा 09:41 से 11:58 तक ।।
माँ का नेत्र दर्शन
ज्योतिषाचार्य पं.राकेश पाण्डेय के अनुसार इस वर्ष नवरात्र पूरे नौ दिनों का है सप्तमी तिथि रविवार को सायं 06:22 तक पश्चात अष्टमी तिथि प्रारम्भ हो जायेगी व मूल नक्षत्र इसीदिन मिल रहा है "मूलेन आवाहयेत देवि पूर्वाषाढायां पूजयेत उत्तराभे बलिं दद्यात्श्रवणेंन विसर्जयेत"के अनुसार पूजा पाण्डाल में मूर्ति स्थापना रविवार को ही माता जी का आवाहन, मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा,नेत्र दर्शन होगा।
हो सकती है अत्यधिक वर्षा
पं.राकेश पाण्डेय की मानें रविवार के दिन माता जी के आगमन के फल स्वरूप इस वर्ष भगवती दुर्गा गज (हाथी)पर सवार होकर आ रही है जिसके फल स्वरूप अत्यधिक वर्षा हो सकती है । जिससे जन धन की हानि हो सकती है।
निष्ठा पूर्वक नित्य करें इसका पाठ
ज्योतिषाचार्य पं.राकेश पाण्डेय के अनुसार चूँकि इस वर्ष माँ भगवती गज (हाथी)पर सवार होकर आ रही है जिसके कारण अत्यधिक वर्षा होने के साथ जन धन की भी हानि हो सकती है। अतः ऐसे में सम्पूर्ण मानव जाति को चाहिए की माँ भगवती का ध्यान कर "जयन्ती मङ्गला काली भद्र काली कपालिनी,दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते" मन्त्र का मानसिक जप करते रहें है व दुर्गा सप्तशती का निष्ठा पूर्वक नित्य पाठ करें। जिससे सम्पूर्ण जनमानस का कल्याण हो सके।
कलश स्थापना के पश्चात माँ भगवती का पूजन षोडशोपचार वा पञ्चोपचार कर दुर्गासप्तशती का पाठ,नवार्ण मन्त्र का जप करें। प्रत्येक सनातन धर्मियों को चाहिए की आज के दिन मंगल ध्वज,आदि से घर को सुसज्जित करें ॥
हालाँकि मां का वाहन सिंह को ही माना जाता है लेकिन धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक़ धरती पर जब नवरात्र के दिनों में मां का आगमन होता है तो उनकी सवारी बदल जाती है, जो कि आने वाले वक्त का संकेत भी माना जाता है। ऐसे में ज्योतिष लोग मां के वाहन से आने वाले दिनों के शुभ और अशुभ होने का भी अनुमान लगाते हैं। गौरतलब है कि मां की सवारी नवरात्रि के दिन के प्रारंभ होने के हिसाब से होती है।
दिन के हिसाब से होती है मां की सवारी
मां की सवारी: सोमवार : हाथी।
मां की सवारी: मंगलवार : अश्व यानी घोड़ा।
मां की सवारी: बुधवार: नाव।
मां की सवारी: गुरूवार: डोली।
मां की सवारी: शुक्रवार: डोली।
मां की सवारी: शनिवार : अश्व यानी घोड़ा।
मां की सवारी: रविवार: हाथी।
नाव पर होंगी विदा:
इस वर्ष दुर्गा विसर्जन 5 अक्टूबर दिन बुधवार को है। ज्योतिषाचार्य पं.राकेश पाण्डेय के अनुसार इस वर्ष मां दुर्गा नाव पर विदा होगी। ये एक बेहद शुभ संकेत है, क्योंकि नाव की सवारी शांति, खुशी और कामनाओं की पूर्ति का भी प्रतीक माना जाता है। कुल मिलाकर ये नवरात्रि श्रद्धा पूवर्क माँ भगवती का पूजन करने से सभी के लिए खुशियों से भरा हो सकता है।
नवरात्रि के खास 9 दिन:
26 सितंबर- घटस्थापना, शारदीय नवरात्रि प्रारंभ, शैलपुत्री पूजन
27 सितंबर- द्वितीया, ब्रह्मचारिणी पूजन
28 सितंबर- तृतीया, चंद्रघंटा पूजन
29 सितंबर- चतुर्थी, कूष्मांडा पूजन
30 सितंबर- पंचमी, स्कंदमाता पूजन
1 अक्टूबर- षष्ठी, कात्यायनी पूजन
2 अक्टूबर- सप्तमी, कालरात्रि पूजन
3 अक्टूबर- महाअष्टमी, महागौरी पूजन
4 अक्टूबर- महानवमी, सिद्धिदात्री पूजन, हवन-पूजन, नवरात्रि उत्थापन
5 अक्टूबर- दुर्गा विसर्जन