Aarti Ke Niyam: पूजा के बाद रोज करते हैं आरती तो जान लीजिए इसके नियम, नहीं तो भुगतेंगे बुरा परिणाम

Aarti Ke Niyam : आरती करने से पहले आरती की थाली सजा लेनी चाहिए और इसमे टीके के लिए रोली या हल्दी, अक्षत (बिना टूटे हुए साबुत चावल), दीपक, नारियल,फूल,न्यौछावर के पैसे,प्रसाद के लिए मिष्ठान्न, किसी पात्र में जल आदि रखना चाहिए।

Published By :  Suman Mishra | Astrologer
Update:2021-11-17 09:46 IST

सांकेतिक तस्वीर ( सौ. से सोशल मीडिया)

Aarti Ke Niyam (आरती के नियम)

हमारे धर्म शास्त्रों में पूजा-पाठ (puja) का विशेष महत्व और नियम है। शास्त्रों के अनुसार कोई भी पूजा तभी सफल होती है जब आरती विधि पूर्वक संपन्न हो। आरती को पूजा की आत्म कहते है। इसलिए आरती यदि निष्ठा पूर्वक किया जाए तो पूजा सफल होती है। पूजा-पाठ करने वाले बहुत से ऐसे लोग हैं जो यह नहीं जानते हैं कि आरती (aarti) करने से पहले भी कुछ काम करने है जिसके साथ ही आरती का महत्व है। पूजा-पाठ व आरती से जुड़ी बातें...

आरती कभी भी अखंड दीप या उस दीप से न करें जो आपने पूजा के लिए जलाया था। आरती कभी भी बैठे-बैठे न करें। आरती हमेशा दाएं हाथ से करें। कोई आरती कर रहा हो तो उस समय उसके ऊपर से ही हाथ घुमाना नहीं चाहिए, यह काम आरती खत्म होने के बाद करें। आरती के बीच में बोलने, चीखने, छींकने आदि से आरती खंडित होती है। दीपक की व्‍यवस्था इस प्रकार करें कि वह पूरी आरती में चले। आरती कभी भी उल्टी न घुमाएं, आरती को हमेशा दक्षिणावर्त, जैसे घड़ी चलती है, वैसे ही घुमाएं।

आरती कैसे की जाती है?

  • आरती से पहले आचमन- आरती करने से पहले हमेशा आचमन करना चाहिए। साथ ही पुष्प और अक्षत से धूप और दीप का निवेदन करना चाहिए। अगर कोई चाहे तो इस समय धूप, दीप, चंदन, पुष्प, अक्षत से संक्षिप्त पूजा भी कर सकते हैं।
  • शंख ध्वनि -आरती प्रारंभ करने से पूर्व शंख बजाना चाहिए, ध्वनि के बाद प्रणाम भी करना चाहिए। यदी आपके पास शंख नहीं है या बजाने नहीं आता है तो केवल प्रणाम अवश्य करना चाहिए।
  • धूप आरती- आरती धूप से शुरू करना चाहिए। पीतल की धुनाची या धूपदान में धूप, गुग्गुल जलाकर आरती शुरू करना चाहिए। धूप के सुगन्धित धुंए से पूरा बातावरण आध्यात्मिक हो जाता है।
  • पंचप्रदीप आरती - पांच दीपों की आरती को पंचप्रदीप आरती कहा जाता है। चाहें तो एक दीप से भी आरती कर सकते हैं। लेकिन पांच या सात दीपों से आरती करना अच्छा माना गया है। दीप हमेशा घी या सरसों के तेल में ही जलाएं।
  • शंख जल आरती- शंख में गंगा जल अथवा शुद्ध जल भरकर आरती करना उत्तम माना जाता है। दीप आरती के बाद शंख जल से आरती करना जरुरी होता है। ऐसा करने से वातावरण शीतल रहता है।
  • पुष्प आरती - पूजा-पाठ में पुष्प आरती का भी विशेष महत्व है। पुष्प आरती में कमल के पुष्प की आरती उत्तम माना गया है।
  • साष्टांग प्रणाम- आरती करने के बाद साष्टांग प्रणाम करने से ही आरती सम्पूर्ण मानी जाती है। साष्टांग प्रणाम के बिना आरती अधूरी मानी जाती है। अगर किसी को साष्टांग प्रणाम करने में कोई शारीरिक असुविधा हो तो वह हाथ जोड़ कर भी प्रणाम कर सकते हैं।

सांकेतिक तस्वीर ( सौ. से सोशल मीडिया)

आरती को कितनी बार कैसे घुमाये

आरती करने में (4+2+1+7 = 14) चौदहों भवन जो भगवान में समाए हैं उन तक आपका प्रणाम पहुंचता है। ध्‍यान रखें कि आरती हमेशा भगवान के श्री चरणों से ही प्रारंभ करनी चाहिए। मतलब आरती करते समय हर किसी को जान लेना चाहिए कि दीपक कब और कैसे घुमाना चाहिए। आरती करते समय भगवान की प्रतिमा के चरणों में आरती को चार बार घुमाएं, दो बार नाभि प्रदेश में, एक बार मुखमंडल पर और सात बार समस्त अंगों पर घुमाएं। तभी आरती संपूर्ण होती है। सबसे पहले भगवान के चरणों की ओर चार बार, नाभि की ओर दो बार, मुख की ओर एक बार फिर भगवान के समस्त श्री अंगों में यानी सिर से चरणों तक सात बार आरती घुमाएं। 

आरती की थाली में क्या रखें

आरती करने से पहले आरती की थाली सजा लेनी चाहिए और इसमे टीके के लिए रोली या हल्दी, अक्षत (बिना टूटे हुए साबुत चावल), दीपक, नारियल(coconut),फूल,न्यौछावर के पैसे,प्रसाद के लिए मिष्ठान्न, किसी पात्र में जल ( water)आदि रखना चाहिए।

आरती में कितने दीप

हमारे शास्त्रों में बताया गया है कि आरती सदैव पंचमुखी ज्योति या सप्तमुखी ज्योति से करना ही सर्वोतम है। यानी दीपक में 5 या फिर 7 बाती लगाकर ही भगवान की आरती करनी चाहिए। आरती के बीच में शंखनाद जरूर होना चाहिए।

आरती में घी का या तेल का दीपक जलाएं

हमारे धर्म ग्रंथों में घी को पूजा के लिए शुद्ध माना गया है। शुद्ध घी का या तिल के तेल का दीपक जलाना चाहिए, लेकिन सरसों, नारियल आदि के तेल का दीपक जलाने जलाना शास्त्र विरोध है। दीपक का मुख पूर्व दिशा में होगा तो वह आयु बढ़ाने वाला होगा। उत्तर की तरफ वाला धन-धान्य देने वाला होता है। पश्चिम की तरफ दुख और दक्षिण की तरफ हानि देने वाला होता है।

घी के दीपक में हमेशा कपास की बाती और तिल के तेल में लाल मौली की बाती होनी चाहिए। इस बात का ध्‍यान रखें कि घी को तेल के साथ मिलाकर कभी भी दीप में न डालें। अगर आपको जलाना है तो या सिर्फ घी का या फिर सिर्फ तिल के तेल का दीपक ही जलाएं।

सांकेतिक तस्वीर ( सौ. से सोशल मीडिया)

आरती से पहले और बाद में कौन सा मंत्र बोले

आरती करने से पहले कर्पूरगौरं मंत्र बोलना सही रहता है। मंत्र का पूरा अर्थ- जो कर्पूर जैसे गौर वर्ण वाले हैं, करुणा के अवतार हैं, संसार के सार हैं और भुजंगों का हार धारण करते हैं, वे भगवान शिव माता भवानी सहित मेरे ह्रदय में सदैव निवास करें और उन्हें मेरा नमन है। किसी भी देवी-देवता की आरती के बाद कर्पूरगौरम् करुणावतारम जरूर बोलना चाहिए।

मंत्र

कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्। सदा वसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानी सहितं नमामि।।

साथ ही रोज घर में कपूर से भगवान की आरती करने से घर में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा भी नष्‍ट हो जाती है।कपूर जलाने से वायुमण्डल शुद्ध होता है। इसके साथ ही हानिकारक संक्रामक बैक्टीरिया भी कपूर से नष्ट होती है। हिन्दू धर्म में देवी-देवताओं की पूजा करते समय कपूर जलाकर आरती की जाती है, यह परंपरा सदियों से चली आ रही है।

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