जयपुर: मकर संक्रांति का त्योहार मुख्य रूप से भगवान सूर्य को समर्पित है। कहते हैं कि सूर्य देव सभी देवों में प्रमुख स्थान रखते हैं। ज्योतिष शास्त्र की मानें तो सूर्य सभी ग्रहों के पिता हैं।इसलिए ज्योतिष शास्त्र में सूर्य ग्रह को विशेष महत्व प्रदान किया गया है। हमारे धर्म शास्त्रों में ऐसा वर्णन मिलता है कि सूर्य की उपासना से व्यक्ति अपने जीवन के हर क्षेत्र में विजय होता है। इसलिए सूर्य देव की उपासना कई लोग करते हैं।
साथ ही ज्योतिष शास्त्रियों का ऐसा मानना है कि सूर्य की उपसाना से सभी ग्रह स्वतः मजबूत हो जाते हैं। मकर संक्रांति पर सूर्य देव की उपासना का उल्लेख कई ग्रन्थों में मिलता है।सूर्य की उपासना का सर्वप्रथम उल्लेख वाल्मीकि रामायण में मिलता है। सूर्य देव की उपासना के लिए आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ बेहद प्रभावशाली माना गया है। जीवनवाल्मीकि रामायण के अनुसार आदित्यहृदय स्तोत्र अगत्या ऋषि द्वारा भगवान श्री राम को युद्धा में रावण पर विजय प्राप्त करने के लिए दिया गया था।
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कहते हैं कि आदित्य हृदय स्तोत्र के नित्य पाठ से जीवन में अनेक कष्टों का निवारण होता है। इसके नियमित पाठ से मानसिक रोग हृदय रोग, शत्रु भय निवारण और असफलताओं पर विजय प्राप्त किया जा सकता है।साथ ही आदित्य हृदय स्तोत्र के पाठ से जीवन की तमाम समस्याओं से छुटकारा भी पाया जा सकता है और हर क्षेत्र में जीत हासिल की जा सकती है। इस मकर संक्रांति पर बनने वाले सर्वार्थ सिद्धि योग में इस स्तोत्र का पाठ करने से जीवन के हर क्षेत्र में विजय प्राप्त का वरदान मिलता है। साथ ही धन-धान्य की कमी भी महसूस नहीं होती है। राशि के अनुसार आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने से जीवन की हर समस्या से मुक्ति मिल सकती है।