अक्षय तृतीया: इस दिन जरूर करें ये काम, हो जाएंगे मालामाल

अक्षय तृतीया सोना खरीदना भी शुभ माना गया है। लेकिन इस दिन दान- पुण्य करने से विशेष और अक्षय फल की प्राप्ति होती है।

Published By :  Suman Mishra | Astrologer
Update:2021-05-10 07:53 IST

सांकेतिक तस्वीर (साभार-सोशल मीडिया)

लखनऊ: इस बार वैशाख मास (Vaisakh month) की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 14 मई 2021 शुक्रवार (Friday) को है। इस तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया कहा जाता है। अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) पर मां लक्ष्मी ( Goddess Lakshmi) की पूजा की जाती है। इस दिन सोना खरीदना भी शुभ माना गया है। लेकिन इस दिन दान- पुण्य करने से विशेष और अक्षय फल की प्राप्ति होती है।

किसी भी व्यक्ति जिसे मदद की जरूरत है उसे देवता व पितरों के नाम से जल, कुंभ, शक्कर, सत्तू, पंखा,छाता फलादि का दान करना बहुत ही शुभ फलदायी होता है। जल से भरा हुआ घड़ा, शक्कर, गुड़, बर्फी, सफेद वस्त्र, नमक, शरबत, चावल, चांदी का दान भी किया जाता है। तो इससे अक्षय पुण्य लाभ की प्राप्ति होती है और महालक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।

इसी दिन दस महाविद्या में नवमी महाविद्या मातंगी देवी का प्रार्दुभाव हुआ था। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा पर अक्षत चढ़ाना चाहिए। पितृदोष निवारण के लिए पितरों को तर्पण देना बहुत लाभदायक होता है।

सांकेतिक तस्वीर (साभार-सोशल मीडिया)

पूजा का शुभ मुहूर्त

कोरोना वायरस महामारी के कारण इस बार घर में पूजा करें और मां लक्ष्मी का ध्यान करें। महामारी के इस समय में इस दिन किसी मदद चाहने वाले व्यक्ति को दान करना बहुत पुण्य फलदायी रहेगा। पंचांग के अनुसार अक्षय तृतीया 14 मई शुक्रवार को पूजा का मुहूर्त सुबह 05 बजकर 38 मिनट से 12 बजकर 18 मिनट तक रहेगा। तृतीया तिथि का समापन 15 मई 2021 की सुबह 07 बजकर 59 मिनट पर होगा।

इस दिन करें ये सारे काम

*अक्षय तृतीया के अवसर पर सोने चांदी की खरीद को तो शुभ माना ही जाता है साथ ही साथ ही लोग धनतेरस की तरह ही इस अवसर पर भी नई चीजें जैसे कपड़े, इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम, तथा बाइक कार आदि भी खरीदते हैं। इस दिन समुद्र या गंगा स्नान करना चाहिए।

*इस दिन प्रातः पंखा, चावल, नमक, घी, शक्कर, साग, इमली, फल तथा वस्त्र का दान करके ब्राह्मणों को दक्षिणा भी देनी चाहिए।

*इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए। इस दिन सत्तू अवश्य खाना चाहिए।इस दिन नये वस्त्र, शस्त्र, आभूषणादि बनवाना या धारण करना चाहिए।

*इस दिन नये स्थान, संस्था, समाज आदि की स्थापना या उद्घाटन भी करना चाहिए। इसी दिन से सतयुग और त्रेतायुग का आरंभ माना जाता है।

*इसी दिन श्री बद्रीनारायण के पट खुलते हैं। नर-नारायण ने भी अवतार इसी दिन लिया था। परशुरामजी का अवतरण भी हुआ था।इसी दिन हयग्रीव का अवतार भी हुआ था।

सांकेतिक तस्वीर (साभार-सोशल मीडिया)

ऐसे करें मां लक्ष्मी को प्रसन्न

अक्षय तृतीया के दिन स्वर्ण के साथ लक्ष्मी पूजा का भी खास महत्व होता है। इस दिन दीपावली की तरह ही महालक्ष्मी का पूजन भी किया जाता है। घर के सभी स्वर्ण आभूषणों को कच्चे दूध और गंगाजल या शुद्ध जल से धोकर एक लाल कपड़े पर रखें और केसर, कुमकुम से पूजन कर लाल पुष्प अर्पित करें। इसके बाद महालक्ष्मी के मंत्र 'ऊं हीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद महालक्ष्म्यै नम:' मंत्र की एक माला कमलगट्टे की माला से जाप करें। कर्पूर से आरती करें। इसके बाद शाम के समय इन आभूषणों को यथास्थान तिजोरी में रख दें।

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