Amavasya Ke Upay: बहुत खास होती है ज्येष्ठ माह की वट अमावस्या, इन नियमों का पालन करें रहें खुशहाल

Amavasya Ke Upay: साल में 12 अमावस्या आती है, और हर अमावस्या का अपना महत्व होता है। इन्ही में ज्येष्ठ माह की भी अमावस्या होती है, जिनमें कुछ नियमों का पालन कर जीवन को खुशहाल और सुखी बनाया जा सकता है।

Update:2023-05-19 23:31 IST
सांकेतिक तस्वीर ( सौ. से सोशल मीडिया

Amavasya Ke Upay

अमावस्या के उपाय

अमावस्या हिंदुओं के लिए श्राद्ध का बहुत महत्वपूर्ण दिन कहा गया है। शास्त्रों में अमावस्या को पितरों का दिन कहा गया है। इसलिए इस दिन पितरों के निमित्त किए गए दान-तर्पण, पितृकर्म आदि उन्हें सीधे प्राप्त होते हैं और अपने परिजनों को अच्छे आशीर्वाद प्रदान करते हैं। इस दिन एक मंत्र का जाप कर अपने पितरों को मना सकते हैं। आज वट अमावस्या या वट सावित्री है। इस दिन यदि ही हम कुछ छोटे से उपाय करें तो निसंदेह समस्याओं का समाधान होगा। दोपहर के समय तांबे के लौटे में जल लेकर और तिल डालकर तर्पण करें। जल की छींटे अपने पर नहीं आने दें। साल के सभी अमावस्या में ज्येष्ठ मास की अमावस्या भी उत्तम है। इसदिन पितरों की पूजा के साथ सुहागिनों को भी अपने सुहाग की लंबी आयु के लिए व्रत रखना चाहिए....

अमावस्या को करें यह उपाय

दक्षिण दिशा में पितरों के निमित्त 2, 5, 11 या 16 दीपक जरूर जलाएं।

पीपल और तुलसी को संध्या काल में जल चढ़ाएं।

पितरों का ध्यान करते हुए पीपल के पेड़ पर कच्ची लस्सी, थोड़ा गंगाजल, काले तिल, चीनी, चावल, जल तथा पुष्प अर्पित करें और 'ॐ पितृभ्य: नम:' मंत्र का जाप करें।

सूर्य को तांबे के बर्तन में लाल चंदन, गंगा जल और शुद्ध जल मिलाकर 'ॐ पितृभ्य: नम:' का बीज मंत्र पढ़ते हुए तीन बार अर्घ्य दें।

किसी भी शिव मंदिर में 5 प्रकार के फल रखकर प्रार्थना करें

गाय, कुत्ता, कौआ, पक्षी और चींटी को आहार जरूर प्रदान करें।

5 तरह की मिठाई भी शिव मंदिर में अर्पित कर सकते हैं।

5 ब्राह्मणों को दक्षिणा दें।

चांदी के बर्तन में तर्पण करें।

सुगंधित धूप दें, जब तक वह जले तब तक ॐ पितृदेवताभ्यो नम: का जप करें और इसी मंत्र से आहुति दें।

ब्राह्मण, गरीब, गाय, कुत्ते और कौआ को पूरी-खीर जरूर दें।

अनाज का, वस्त्र का और जूते चप्पल का दान किसी जरूरतमंद दें।

पितरों से तर्पण के दौरान प्रार्थना करें कि हमारी सारी पीढ़ी आप को समर्पित है। कोई भूल हुई हो तो क्षमा करें।

पान के पत्ते पर मिठाई रख कर पीपल पर रख कर आएं और धूप दीप जलाएं।

नीचे लिखे मंत्र को बोलें-

ॐ पितृ देवाय का जाप करें या आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करें।

अमावस्या पर इन नियमों का भी करें पालन

अमावस्या पर पितरों के निमित्त सारी क्रियाएं गले में दाएं कंधे मे जनेउ डाल कर और दक्षिण की ओर मुख करके की जाती है।

अमावस्या के दिन लहसुन, प्याज रहित सात्विक भोजन ही घर की रसोई में बनना चाहिए।

अमावस्या के दिन उड़द की दाल, बडे, चावल, दूध, घी से बने पकवान, खीर, मौसमी सब्जी जैसे तोरई, लौकी, सीतफल, भिण्डी कच्चे केले की सब्जी ही भोजन में मान्य है।

अमावस्या आलू, मूली, बैंगन, अरबी तथा जमीन के नीचे पैदा होने वाली सब्जियां पितरों को नहीं चढ़ती है।

अमावस्या के दिन श्राद्ध के नाम पर सुबह-सुबह हलवा- पूरी बनाकर मन्दिर में और पंडित को देने से श्राद्ध का फर्ज पूरा नहीं होता है।इसके लिए इन नियमों का पालन करना पड़ता है।

साथ ही अमावस्या के दिन सुहागिन महिलाओं को व्रत रखकर शिव जी की पूजा और वट वृक्ष की परिक्रमा करनी चाहिए।

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