Amla Navami 2023: कब है आंवला या अक्षय नवमी, जानते हैं इसका शुभ मुहूर्त महत्व और विधि

Amla Navami 2023 Date Shubh Muhurat: कार्तिक मास की हर तिथि और दिन का खास महत्व होता है। खासकर इस मास के शुक्ल पक्ष की अक्षय नवमी इस दिन किए गए पुण्य का क्षय नही होता है, जानते हैं इस साल कब है यह तिथि...

Update:2023-10-25 06:45 IST

Amla Navami 2023: कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के नवमी को आंवला नवमी मनाई जाती है। कार्तिक मास की नवमी तिथि के दिन आंवला नवमी का त्योहार मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार  नवमी तिथि से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक भगवान विष्णु आंवले के पेड़ पर निवास करते हैं। आंवला नवमी के दिन आंवले के पेड़ के साथ साथ भगवान विष्णु की भी पूजा की जाती है। आंवला नवमी को अक्षय नवमी तथा कुष्मांड नवमी भी कहते हैं।

ऐसा माना जाता है की आंवला नवमी के दिन गंगा स्नान, पूजा, हवन, तर्पण और दान पुण्य करने से मनुष्य को मनचाहे फलों की प्राप्ति होती है, पर आजकल लोग शहरों में रहते हैं। जिसकी वजह से गंगा स्नान करना संभव नहीं हो पाता है। यदि आप नदी में जाकर गंगा स्नान नहीं कर सकते हैं तो अपने नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान करें। ऐसा करने से आपको गंगा स्नान करने जितना पुण्य प्राप्त होगा।

इस दिन आंवला के वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व है। कहते है कि आंवले के पेड़ में भगवान विष्णु का वास होता है। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी के रूप में मनाया जाता है। इसे कई लोग अक्षय नवमी के नाम से भी जानते हैं। इस नवमी तिथि के दिन लोग आंवला वृक्ष के नीचे बैठकर भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करते हैं आराधना करते हैं और आंवला के पेड़ के नीचे भोजन बनाकर भगवान विष्णु को भोग लगाते हैं। ऐसी मान्यता है कि आंवले के वृक्ष के नीचे ही भगवान को भोग लगाने के बाद प्रसाद के रूप में ग्रहण करना चाहिए। ऐसा करने से जाने-अनजाने में किए गए सभी पाप नष्ट हो जाते हैं मां लक्ष्मी बहुत प्रसन्न होती है और भक्तों का जीवन खुशहाल रहता है। जानते हैं कि आंवला नवमी कब है, शुभ मुहूर्त और  महत्व

आंवला नवमी की पूजा का शुभ मुहूर्त

आंवला नवमी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन दान-धर्म का बहुत अधिक महत्व होता है। ऐसी मान्यता है कि आवंला नवमी के दिन जो भी दान किया जाता है, उसका लाभ अगले जन्म में भी मिलता है।आंवला नवमी 21 नवंबर को मनाया जाएगा। इस दिन को अक्षय नवमी भी कहते हैं। आंवली नवमी के दिन महिलाएं परिवार की सुख और शांत के लिए आंवला के वृक्ष की परिक्रमा लगाकर पूजा करती है। साथ ही आंवला के वृक्ष के नीचे पकवान बनाकर अपना व्रत खोलती हैं। इस दिन आंवला वृक्ष की पूजा का महत्व है।

आंवला नवमी 21 नवंबर 2023, मंगलवार है।

अक्षय नवमी व्रत पूजा मुहूर्त - प्रातः 6:34 AM से 12:04 PM

कार्तिक शुक्ल नवमी तिथि - 21 नवम्बर 2023 को 11:04 PM बजे से 2 नवम्बर 2022 को 9:09 PM बजे

आंवला नवमी का महत्व

कार्तिक मास में स्नान दान का बहुत महत्व होता है। इस माह के शुक्ल पक्ष की नवमी को अक्षय नवमी कहते हैं। इस दिन को आंवला नवमी भी कहा जाता हैं। कहते हैं कि इस दिन स्नान करने से अक्षय फल मिलता है। आंवला नवमी के दिन आंवला वृक्ष की पूजा करने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं।महिलाएं आंवला नवमी के दिन स्नान आदि करके किसी आंवला वृक्ष के समीप जाएं। उसके आसपास साफ-सफाई करके आंवला वृक्ष की जड़ में शुद्ध जल अर्पित करें। फिर उसकी जड़ में कच्चा दूध डालें। पूजन सामग्रियों से वृक्ष की पूजा करें और उसके तने पर कच्चा सूत या मौली 8 परिक्रमा करते हुए लपेटें। कुछ जगह 108 परिक्रमा भी की जाती है। इसके बाद परिवार और संतान के सुख-समृद्धि की कामना करके वृक्ष के नीचे ही बैठकर परिवार, मित्रों सहित भोजन किया जाता है।

आंवला पूजा करने से व्यक्ति को धन, विवाह, संतान, दांपत्य जीवन से जुड़ी सारी समस्याएं समाप्त हो जाती है। आंवले की पूजा करने से गौ दान करने के समान पुण्य मिलता है। मां लक्ष्मी की कृपा अपने भक्तों पर बनी रहती है।

अक्षय नवमी की पूजन विधि 

अक्षय नवमी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त ( सुबह चार बजे ) में उठकर स्नान करने के बाद व्रत करने का संकल्प लें. संकल्प लेने के लिए अपने दाहिने हाथ में जल, अक्षत, फूल, दूर्वा लेकर नीचे दिए गए मंत्र का जाप करें. ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः " मेरी पूजा स्वीकार करें और मुझे हिम्मत प्रदान करें की मैं आपका व्रत सफलता पूर्वक संपन्न कर पाऊं”।
व्रत का संकल्प करने के बाद आंवले के पेड़ के नीचे पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें। यदि आपके घर के आसपास आंवले का पेड़ नहीं है तो गमले में आंवले की टहनी लगाकर पूजा ना करें।
आंवले की पूजा करने के लिए एक लोटे में चावल भरकर उसके मुख को लाल कपड़े से बांध दें। अब इसे उल्टा करके इसके ऊपर हरे रंग से आंवले के वृक्ष का चित्र बनाएं और बगल में पांच आंवले रखे।
अब धूप, दीप, पुष्प, अक्षत आदि से आंवले के वृक्ष की विधिवत पूजा करें. इसके बाद आंवले के वृक्ष में जल में थोड़ा सा दूध मिलाकर अर्पण करें।अब घी और कपूर का दीपक जलाकर आंवले के वृक्ष की आरती करें. आरती करने के बाद भगवान् विष्णु का ध्यान करते हुए आंवले के पेड़ की परिक्रमा करें।

आंवले के वृक्ष की पूजा करने के बाद अपनी क्षमता अनुसार ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान दक्षिणा दें. इसके अलावा पितरों की ठंड को दूर करने के लिए क्षमता अनुसार गर्म कपड़ों का दान दें.

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