Apara Ekadashi 2021:अपरा एकादशी का व्रत करने से होगा महामारी से बचाव, जानिए शुभ मुहूर्त और महत्व

Apara Ekadashi 2021:अपरा एकादशी के व्रत करने से शत्रुओं पर विजय, महामारी का अंत और मुक्ति का मार्ग खुलता होता है।

Published By :  Suman Mishra | Astrologer
Update: 2021-05-21 10:42 GMT

कांसेप्ट फोटो ( सौ. से सोशल मीडिया)

कोरोना से बचाव के लिए करें अपरा एकादशी (Apara Ekadashi 2021)

देश-दुनिया में कोरोना महामारी ने लोगों को पूरी तरह से हताश और निराश कर दिया है। इस दौर में लोगों के पास बचने के लिए  तिनके के सहारा के रूप में ईश्वर की भक्ति और व्रत उपवास है। इसी में एक अपरा एकादशी का व्रत हैं । जो बीमारी में बचाव के लिए मददगार है। इस व्रत में भगवान विष्णु की भक्ति कर आप खुद, परिवार और  दूसरों का मदद कर सकते हैं और कोरोना जैसी महामारी से भी बच सकते हैं।

अपरा एकादशी के दिन सच्चे मन से भगवान विष्णु की पूजा करने से हर क्षेत्र में चाहे वो महामारी ही क्यों ना हो विजय प्राप्त होती है। जीवन में कोई कष्ट नहीं होता है। बड़ी से बड़ी महामारी भी पास नहीं भटकती है। कोरोना जैसी महामारी से भी बचने के लिए इस दिन स्वच्छ पीले वस्त्र धारण कर संकल्प के साथ तुलसी और माखन-मिश्री से भगवान विष्णु की पूजा करें और अपरा  एकादशी का व्रत रखें। पूरे दिन एक माला ऊं नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप महामारी से बचाव में रक्षा कवच का काम करता है।

अपरा एकादशी कब है?

ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अपरा ( Apara Ekadashi 2021 )या अचला एकादशी कहते हैं। इस बार अपरा एकादशी का व्रत 6 जून को रखा जाएगा। मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की इस दिन पूजा करने से भूत-प्रेत का डर नहीं रहता है। इस दिन व्रत रखने से मौत के बाद भी ईश्वर की कृपा बनी रहती हैं। बड़ा से बड़ा पाप धूल जाता है। स्वर्ग की प्राप्ति होती है। महामारी और बीमारी से बचाव होता है।

पांडवों ने महाभारत काल में अपरा एकादशी की महिमा का बखान श्रीकृष्ण के मुख से सुना था और श्रीकृष्ण के मार्गदर्शन में इस व्रत को कर महाभारत के युद्ध में विजय प्राप्त की थी।


कांसेप्ट फोटो ( सौ. से सोशल मीडिया)

अपरा एकादशी का शुभ मुहूर्त (Apara Ekadashi shubh muhurat)

इस बार अपरा एकादशी के दिन रेवती नक्षत्र 11:28 PM तक रहने के बाद अश्विनी नक्षत्र रहेगा और योग सौभाग्य, शोभन और अतिगंड रहेगा। पहले दोनों ही योग में किया गया कार्य शुभ परिणाम देने वाला है।

एकादश तिथि का प्रारंभ: जून 05 04:07 AM – जून 06 06:19 AM

एकादशी तिथि का समापन : जून 06 06:19 AM – जून 07 08:48 AM

ब्रह्म मुहूर्त: 04:08 AM – 04:56 AM

अभिजीत मुहूर्त: 11:58 AM – 12:52 PM

अमृत काल : 06:21 PM – 08:09 PM


अपरा एकादशी का महत्व क्या है? अर्थ व् विधि ( significance)

अपरा एकादशी का अर्थ है अपार फल देने वाला व्रत। इसलिए अपरा एकादशी का महत्व है। इस दिन भगवान की कृपा पाने के लिए  ब्रह्म मुहूर्त में उठें ,स्‍नान करें और  स्‍वच्‍छ पीले वस्त्र पहनकर व्रत का संकल्प करें। इसके बाद अक्षत, फूल, मौसमी फल, नारियल और मेवे और तुलसी से भगवान विष्‍णु की पूजा करें। एकादशी के दिन सूर्य को भी जल चढ़ाने से शारीरिक शक्ति बढ़ती है। अंत में कथा सुनकर पूरे दिन निर्जला व्रत का पालन करें और शाम के समय तुलसी को गाय के घी का दीपक जलाएं। अपरा एकादशी या किसी भी एकादशी में सोना नहीं चाहिए ।अगले दिन स्नान दान के बाद ही व्रत तोड़ना चाहिए।



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