Ashadha Amavasya 2021: इस साल आषाढ़ माह में कब है अमावस्या तिथि, जानिए इस दिन के शुभ मुहूर्त और योग
Ashadha Amavasya 2021: पंचांग के अनुसार कृष्ण पक्ष की 30 वीं तिथि को अमावस्या कहते हैं। अमावस्या तिथि का खास महत्व होता है। इस दिन को पितरों की याद में पूजा, जप-तप और दान दिया जाता है। अमावस्या जब मंगलवार और शनिवार को पड़े तो उसका महत्व और बढ़ जाता है।
आषाढ़ माह की अमावस्या कब ?
हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह में दो पक्ष कृष्ण और शुक्ल पक्ष पड़ते हैं। शुक्ल पक्ष की 15 वी तिथि को पूर्णिमा औरकृष्ण पक्ष की 30 वीं तिथि को अमावस्या पड़ता है। अमावस्या तिथि का अपना खास महत्व होता है। इस दिन को पितरों की याद में पूजा, जप-तप और दान दिया जाता है। अमावस्या का मंगलवार और शनिवार को पड़ने वाली अमावस्या का महत्व और बढ़ जाता है।इस बार आषाढ़ मास की अमावस्या तिथि 09-10 जुलाई के दिन पड़ रही है। इस कारण इस बार शनिचरी अमावस्या भी पड़ेगा।
आषाढ़ माह की शनिचरी अमावस्या तिथि व समय
- अमावस्या तिथि – शुक्रवार 09 -10 जुलाई , 2021
- अमावस्या तिथि आरंभ –शुक्रवार 9 जुलाई को 05:18 बजे से
- अमावस्या तिथि समाप्त – शनिवार 10 जुलाई 06:48 बजे तक
आषाढ़ माह की अमावस्या के दिन शुभ मुहूर्त और योग
- अभिजीत मुहूर्त- 11:36 AM से 12:30 PM
- अमृत काल-12:18 PM से 02:03 PM
- ब्रह्म मुहूर्त-03:52 AM, July 10 से 04:33 AM, July 10
- विजय मुहूर्त- 02:19 PM से 03:14 PM
- सवार्थ सिद्धि योग-11:14 PM से 05:15 AM, July 10
आषाढ़ माह में शुक्र या शनि अमावस्या
अमावस्या के दिन स्नान दान कर पितरों को प्रसन्न किया जाता है। इस बार शुक्रवार को अमावस्या के साथ उदयतिथि होने की वजह से शनिवार को भी अमावस्या मनाया जाएगा। कहते हैं कि अमावस्या के दिन शनिदेव की पूजा के साथ दान और शिव भगवान को जलाभिषेक करने से जीवन के हर कष्ट दूर हो जाते हैं।
अगर शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से परेशान हो रखे हैं। धन की कमी को दूर करने के लिए अमावस्या के दिन पितरों के नाम से पूजा-शांति करवाए और पीपल के वृक्ष में दीपदान करने से शांति मिलती है।
अभी कोरोना का संक्रमण काल चल रहा है। ऐसे में आषाढ़ मास की अमावस्या तिथि मौसम में बदलाव के साथ जीवन में भी बदलाव के संकेत देती है। इस समय से बरसात की शुरुआत हो जाती है। जो मौसमी बीमारियों को दावत देती है। ऐसे में हमे इस दिन साफ-सफाई के साथ नियम और धार्मिक कृत्य करने चाहिए। इससे ईश्वर की कृपा बरसती है।