Baglamukhi Jayanti 2022 Today: कौन हैं मां बगलामुखी, कैसे हुई इनकी उत्पत्ति, जानिए पूजा विधि और शुभ-मुहूर्त

Baglamukhi Jayanti 2022 Today: इस साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि सोमवार को मां बगलामुखी (Baglamukhi Jayanti) की पूजा की जाती है। इस साल यह तिथि 9 मई 2022 को पड़ रही है को 10 महाविद्याओं में एक माना जाता है।

Update:2022-05-09 06:30 IST

सांकेतिक तस्वीर, सौ. से सोशल मीडिया

Baglamukhi Jayanti 2022:

बगलामुखी जयंती आज

इस साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि सोमवार को मां बगलामुखी  (Baglamukhi Jayanti) की पूजा की जाती है। इस साल यह तिथि 9 मई 2022 को पड़ रही है को 10 महाविद्याओं में एक माना जाता है। इनकी आराधना से शत्रुओं पर विजय मिलती है और हर सकंट दूर होता है। मां बगलामुखी अलौकिक सौंदर्य और शक्ति का संगम है। इन्हें पीतांबरा, वगलामुखी, बगला और कुंडली जागृत करने वाली महा विद्या के रूप में जाना जाता है।

कौन है बगलामुखी

बगला एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ दुल्हन है, अर्थात दुल्हन की तरह आलौकिक सौन्दर्य और अपार शक्ति की स्वामिनी होने के कारण देवी का नाम बगलामुखी पड़ा। देवी को बगलामुखी, पीताम्बरा, बगला, वल्गामुखी, वगलामुखी, ब्रह्मास्त्र विद्या आदि नामों से भी जाना जाता है। माँ बागलमुखी मंत्र कुंडलिनी के स्वाधिष्ठान चक्र को जागृति में सहायता करतीं हैं।

देवी बगलामुखी का सिंहासन रत्नों से जड़ा हुआ है और उसी पर सवार होकर देवी शत्रुओं का नाश करती हैं। देवी बगलामुखी दसमहाविद्या में आठवीं महाविद्या हैं यह स्तम्भन की देवी हैं। संपूर्ण ब्रह्माण्ड की शक्ति का समावेश हैं माता शत्रुनाश, वाकसिद्धि, वाद विवाद में विजय के लिए इनकी उपासना की जाती है। इनकी उपासना से शत्रुओं का नाश होता है तथा भक्त का जीवन हर प्रकार की बाधा से मुक्त हो जाता है। कहा जाता है कि देवी के सच्चे भक्त को तीनों लोक मे अजेय है, वह जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाता है।

बगलामुखी जयंती शुभ मुहूर्त

इस दिन 11:57 AM से 12:49 PM, रवि योग- 05:08 PM से 05:16 AM, May 10 तक मां बगलामुखी के पूजा का विधान है। इसके अलावा सुबह 04:16 AM से 05:04 AM तकका समय उत्तम है। साथ ही सूर्य मेष राशि में और चंद्रमा कर्क व सिंह राशि में रहेगा। इस दिन सुबह स्नान कर स्वच्छ पीले कपड़े पहनकर पूर्व दिशा में मां बगला मुखी की पूजा करने का विधान है।

सांकेतिक तस्वीर, सौ. से सोशल मीडिया

बगलामुखी जयंती पूजा-विधि

बगलामुखी जयंती के दिन सुबह स्नान करने के बाद पीले रंग के वस्त्र धारण करें और पूजा प्रारंभ करें। इस दिन की पूजा के समय मुख हमेशा पूर्व दिशा की तरफ रखें। इसके बाद पूजा में जितना हो सके पीले रंग को शामिल करें। विधिवत रूप से पूजा आदि करने के बाद अपनी यथाशक्ति के अनुसार दान दें।

बहुत से लोग इस दिन व्रत भी करते हैं। ऐसे में जिन लोगों को बगलामुखी जयंती के दिन व्रत रखना होता है वो इस दिन रात के समय फलाहार भोजन कर सकते हैं। इसके बाद अगले दिन स्नान आदि करने के बाद पूजा की जाती है और इसके बाद ही आप भोजन ग्रहण कर सकते हैं।

बगलामुखी जयंती पौराणिक कथा

धर्मानुसार एक बार सतयुग में महाविनाश उत्पन्न करने वाला ब्रह्मांडीय तूफान उत्पन्न हुआ, जिससे संपूर्ण विश्व नष्ट होने लगा। इससे चारों ओर हाहाकार मच गया। संसार की रक्षा करना असंभव हो गया। यह तूफान सब कुछ नष्ट-भ्रष्ट करता हुआ आगे बढ़ता जा रहा था, जिसे देख कर भगवान विष्णु जी चिंतित हो गए। इस समस्या का कोई हल न पा कर वह भगवान शिव को स्मरण करने लगे, तब भगवान शिव ने कहा- शक्ति रूप के अतिरिक्त अन्य कोई इस विनाश को रोक नहीं सकता अत: आप उनकी शरण में जाएं। तब भगवान विष्णु ने हरिद्रा सरोवर के निकट पहुंच कर कठोर तप किया। भगवान विष्णु के तप से देवी शक्ति प्रकट हुईं। उनकी साधना से महात्रिपुरसुंदरी प्रसन्न हुईं। सौराष्ट्र क्षेत्र की हरिद्रा झील में जलक्रीड़ा करती महापीतांबरा स्वरूप देवी के हृदय से दिव्य तेज उत्पन्न हुआ। इस तेज से ब्रह्मांडीय तूफान थम गया।

मंगलयुक्त चतुर्दशी की अर्धरात्रि में देवी शक्ति का देवी बगलामुखी के रूप में प्रादुर्भाव हुआ था। त्रैलोक्य स्तम्भिनी महाविद्या भगवती बगलामुखी ने प्रसन्न होकर भगवान विष्णु जी को इच्छित वर दिया और तब सृष्टि का विनाश रुक सका। देवी बगलामुखी को वीर रति भी कहा जाता है क्योंकि देवी स्वयं ब्रह्मास्त्र रूपिणी हैं। इनके शिव को महारुद्र कहा जाता है। इसीलिए देवी सिद्ध विद्या हैं। तांत्रिक इन्हें स्तंभन की देवी मानते हैं। गृहस्थों के लिए देवी समस्त प्रकार के संशयों का शमन करने वाली हैं। दस महाविधाओ मे से आठवी महाविधा है देवी बगलामुखी। इनकी उपासना इनके भक्त शत्रु नाश, वाकसिद्ध और वाद विवाद मे विजय के लिए करते है।

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