Basant Panchami 2023 Kab Hai Date: बसंत पंचमी 2023 में कब है, जानिए शुभ मुहूर्त और महत्व, क्यों मनाया जाता है सरस्वती पूजा

Basant Panchami 2023 Kab Hai Date : कला और बुद्धि की देवी सरस्वती क उद्भव का दिन बसंत पंचमी नई उर्जा और उत्साह का दिन है। इस दिन ही देवी सरस्वती प्रकट हुई थीं, उन्ही से वेदों की ऋचाएं बनीं और उनसे वसंत राग का निर्माण हुआ। इस दिन दिन का धर्म ग्रंथों में उल्लेख है..

Update: 2023-01-24 02:30 GMT

सांकेतिक तस्वीर, सौ. से सोशल मीडिया

Basant Panchami 2023 Date: साल 2023 में  बसंत पंचमी 26 जनवरी 2023 को है। इस दिन भगवान विष्णु, मां सरस्वती तथा कामदेव की भी पूजा की जाती है। प्राकृतिक वातावरण तो वासंती होता ही है परंतु इस दिन पीले वस्त्र पहनने के साथ साथ पीले मीठे चावल बनाने एवं पतंग उड़ाने की परंपरा भी काफी पुरानी है।

बसंत पंचमी का त्योहार धार्मिक दृष्टि से विद्यार्थियों के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन बच्चों को अक्षर लिखवाकर शिक्षा देने की शुरुआत की जाती है। बसंत का पीला रंग समृद्धि, ऊर्जा, आशावाद का प्रतीक है। इसलिए इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनकर मां सरस्वती की पूजा की जाती है। पीले व्यंजन बनाए जाते हैं. बसंत पंचमी पर मां सरस्वती की हल्दी, केसर, पीले फूल, पीली मिठाई से पूजा की जाती है। साथ ही देवी सरस्वती के मूल मंत्र ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः का जाप हल्दी की माला से करना शुभ होता है, इससे बुद्धि तेज होती है।

बसंत पंचमी 2023 का शुभ मुहूर्त

बसंत पंचमी को माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को होती है। जो हर साल माघ मास में आता है। इस दिन को सरस्वती पूजा भी कहते हैं।

बसंत पंचमी –26 जनवरी 2023 

पूजा मुहूर्त -सुबह 10:45 से 12:35 तक है

पंचमी तिथि का आरंभ -  दोपहर 12:34 बजे, ( 25 जनवरी, 2023)

पंचमी तिथि समाप्त - को सुबह 10:28 बजे ( 26 जनवरी2023)

अभिजीत मुहूर्त- 11:50 AM से 12:34 PM

रवि योग- 04:09 PM से 06:39 AM

इस दिन ज्ञान की देवी माता सरस्वती की आराधना करने की परंपरा है। बसंत पंचमी से ही भारत में वसंत ऋतु की शुरुआत होती है ।पूरे साल को मौसम के हिसाब से छः ऋतुएं बांटती हैं । हर मौसम का अपना आनंद है। लेकिन ऋतुराज बसंत की बात ही अलग होती है। यह दिन ऋतु परिवर्तन का परिचायक भी पक्षियों में कलरव,भौरो की गुंजन,, पुष्पों की मादकता से युक्त वातावरण बसंत ऋतु की विशेषता है। पशु-पक्षियों तक में कामक्रीड़ा की अनुभूति होने लगती है। यह मदनोत्सव का आरंभ है। इसी दिन , कामदेव के साथ साथ रति व सरस्वती का पूजन भी होता है। होली का प्रारंभ भी इस दिन से होता है और समापन फाल्गुन की पूर्णिमा (Purnima) पर होलिका दहन पर होता है।

बसंत पंचमी का महत्व

बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती के जन्मोत्सव होता हैं। धर्मग्रंथों के अनुसार, इस दिन ही देवी सरस्वती प्रकट हुई थीं, तब समस्त देवी-देवताओं ने माँ सरस्वती की स्तुति की थी। इस स्तुति से ही वेदों की ऋचाएं बनीं और उनसे वसंत राग का निर्माण हुआ। मान्यता है कि पति-पत्नी द्वारा बसन्त पंचमी के दिन भगवान कामदेव और देवी रति की षोडशोपचार पूजा करने से सुखी-वैवाहिक जीवन की प्राप्ति होती है। यदि आप किसी प्रकार की शिक्षा, कोर्स आरंभ करना चाहते हैं या कंपीटीशन के लिए कोई फार्म भरना चाहते हैं तो यह ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अबूझ मुहूर्तों में से एक है। नया व्यवसाय, आरंभ करने , गृह प्रवेश या नींवखोदने आदि के लिए विशेष फलदायी मुहूर्त है। आज आप कलम पूजन भी करवा सकते हैं। मान्यता है कि  विवाह के लिए भी यह अबूझ मुहूर्त है। इस दिन अधिकांश विवाहों का आयोजन किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन संपन्न पाणि ग्रहण संस्कार करने से वैवाहिक जीवन में किसी प्रकार की बाधा नहीं आती ।

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