Beej Mantra kya Hai: बीज मंत्र के जाप से होता है चमत्कारी लाभ, लेकिन बरतें सावधानी, नहीं तो हो जाएंगे बर्बाद
Beej Mantra kya Hai : जब हम जिंदगी से हार जाते हैं, सारे दरवाजे बंद हो जाते हैं तब एक ही रास्ते बचते हैं ईश्वर की शरण। इसके लिए हम सब पूजा पाठ और मंत्र जाप करते हैं। लेकिन इनमें में त्वरित परिणाम के लिए हम बीज मंत्रों से भगवान को प्रसन्न करते हैं जो सबसे सरल सुगम माध्यम है।
बीज मंत्र क्या है
Beej Mantra Kya Hai
हम किसी समस्या से परेशान होते है तो हमें लगता है की काश कोई ऐसा चमत्कार हो जाए की हमारी समस्या का हल निकल आए। कभी-कभी जिंदगी में कुछ नहीं होता सिवाय एक आशा के समस्या से उबारने के लिए एक छोटी सी आशा की किरण ही बहुत होती है। कहते है जब जिंदगी में सब दरवाज़े बंद हो जाते है तो भगवान कुछ ऐसा करते है की एक नया दरवाज़ा खुल जाता हैं।
बीज मंत्रों ( Beej Mantra) के जप से देवी-देवता अति शीघ्र प्रसन्न होकर अपने भक्त का उद्धार करते है । बीज मंत्रों का उच्चारण आपके आस-पास एक सकारात्मक उर्जा का संचार करता है ।जीवन में आने वाले घोर से घोर संकट भी बीज मंत्रों के उच्चारण से दूर हो जाते है । किसी भी प्रकार के असाध्य रोग की गिरफ्त में आने पर , आर्थिक संकट आने पर, इनके अतिरिक्त समस्या कोई भी हो, बीज मंत्रों के जप से लाभ अवश्य प्राप्त होता है । बीज मंत्रों के नियमित जप से सभी पापों से मुक्ति मिलती है।| ऐसा व्यक्ति सम्पूर्ण जीवन मृत्यु के भय से मुक्त होकर जीता है व अंत में मोक्ष को प्राप्त करता है।
मंत्र शक्ति एक ऐसी शक्ति है जिसके उच्चारण से बुरी से बुरी समस्या का हल निकाला जा सकता हैं। आइए हम आपको कुछ ऐसे चमत्कारी मंत्रो से अवगत कराते है जो आपकी हर समस्या का समाधान करेंगे।
चमत्कारी बीज मंत्र
चमत्कारी मंत्र सिर्फ एकपदीय जप नहीं होते, बल्कि वो आपके आस-पास एक प्रभावशाली वातावरण बनाए रखते हैं जिससे आपकी ज़िंदगी की समस्याएं खत्म होती हैं। अगर आप एकाग्र होकर मंत्रों को अपनी ज़िंदगी का हिस्सा बना ले और उन पर विश्वास करें तो आप हर समस्या से उबर सकते हैं। चमत्कारी मंत्रों के उच्चारण से असंभव काम को भी संभव किया जा सकता हैं।
बीज मंत्र पूरे मंत्र का एक छोटा रूप होता है जैसे की एक बीज बोने से पेड़ निकलता है उसी प्रकार बीज मंत्र का जाप करने से हर प्रकार की समस्या का समाधान हो जाता हैं। अलग- अलग भगवान का बीज मंत्र जपने से इंसान में ऊर्जा का प्रवाह होता हैं और आप भगवान की छत्र-छाया में रहते हैं। चमत्कारी और प्रभावशाली बीज मंत्रों का जाप करने से दसों-दिशाओं एवं आकाश-पाताल में जल, अग्नि व हर प्रकार की समस्या से निजात पाया जा सकता हैं।
मूल ज मंत्र
मूल बीज मंत्र "ॐ" होता है जिसे आगे कई अलग बीज में बांटा जाता है- योग बीज, तेजो बीज, शांति बीज, रक्षा बीज.
ये सब बीज इस प्रकार जापे जाते हैं- ॐ, क्रीं, श्रीं, ह्रौं, ह्रीं, ऐं, गं, फ्रौं, दं, भ्रं, धूं,हलीं, त्रीं,क्ष्रौं, धं,हं,रां, यं, क्षं, तं.
बीज मंत्र और उनके लाभ
बीज मंत्र हमें हर प्रकार की बीमारी, किसी भी प्रकार के भय, किसी भी प्रकार की चिंता और हर तरह की मोह-माया से मुक्त करता हैं। अगर हम किसी प्रकार की बाधा हेतु, बाधा शांति हेतु, विपत्ति विनाश हेतु, भय या पाप से मुक्त होना चाहते है तो बीज मंत्र का जाप करना चाहिए।
ह्रीं (मायाबीज) इस मायाबीज में ह् = शिव, र् = प्रकृति, नाद = विश्वमाता एवं बिंदु = दुखहरण है। इस प्रकार इस मायाबीज का अर्थ है 'शिवयुक्त जननी आद्याशक्ति, मेरे दुखों को दूर करे।'
श्रीं (श्रीबीज या लक्ष्मीबीज) इस लक्ष्मीबीज में श् = महालक्ष्मी, र् = धन संपति, ई = महामाया, नाद = विश्वमाता एवं बिंदु = दुखहरण है। इस प्रकार इस श्रीबीज का अर्थ है 'धनसंपत्ति की अधिष्ठात्री जगज्जननी मां लक्ष्मी मेरे दुख दूर करें।'
ऐं (वागभवबीज या सारस्वत बीज) इस वाग्भवबीज में- ऐ = सरस्वती, नाद = जगन्माता और बिंदु = दुखहरण है। इस प्रकार इस बीज का अर्थ है- 'जगन्माता सरस्वती मेरे दुख दूर करें।'
क्लीं (कामबीज या कृष्णबीज) इस कामबीज में क = योगस्त या श्रीकृष्ण, ल = दिव्यतेज, ई = योगीश्वरी या योगेश्वर एवं बिंदु = दुखहरण। इस प्रकार इस कामबीज का अर्थ है- 'राजराजेश्वरी योगमाया मेरे दुख दूर करें।' और इसी कृष्णबीज का अर्थ है योगेश्वर श्रीकृष्ण मेरे दुख दूर करें।
क्रीं (कालीबीज या कर्पूरबीज) इस बीज में- क् = काली, र् = प्रकृति, ई = महामाया, नाद = विश्वमाता एवं बिंदु = दुखहरण है। इस प्रकार इस बीज का अर्थ है 'जग. न्माता महाकाली मेरे दुख दूर करें।'
दूं (दुर्गाबीज) इस दुर्गाबीज में द् = दुर्गतिनाशिनी दुर्गा, = सुरक्षा एवं बिंदु = दुखहरण है। इस प्रकार इसका अर्थ है 'दुर्गतिनाशिनी दुर्गा मेरी रक्षा करें और मेरे दुख दूर करें।'
स्त्रीं (वधूबीज या ताराबीज) इस वधूबीज में स् = दुर्गा, त् = तारा, र् = प्रकृति, ई = महामाया, नाद = विश्वमाता एवं बिंदु = दुखहरण है। इस प्रकार इस बीज का अर्थ है 'जगन्माता महामाया तारा मेरे दुख दूर करें।'
हौं (प्रासादबीज या शिवबीज) इस प्रासादबीज में ह् = शिव, औ = सदाशिव एवं बिंदु = दुखहरण है। इस प्रकार इस बीज का अर्थ है 'भगवान् शिव एवं सदाशिव मेरे दुखों को दूर करें।'
हूं (वर्मबीज या कूर्चबीज) इस बीज में ह् = शिव, ¬ = भैरव, नाद = सर्वोत्कृष्ट एवं बिंदु = दुखहरण है। इस प्रकार इस बीज का अर्थ है 'असुर भयंकर एवं सर्वश्रेष्ठ भगवान शिव मेरे दुख दूर करें।'
हं (हनुमद्बीज) इस बीज में ह् = अनुमान, अ् = संकटमोचन एवं बिंदु = दुखहरण है। इस प्रकार इस बीज का अर्थ है 'संक. टमोचन हनुमान मेरे दुख दूर करें।'
गं (गणपति बीज) इस बीज में ग् = गणेश, अ् = विघ्ननाशक एवं बिंदु = दुखहरण है। इस प्रकार इस बीज का अर्थ है ''विघ्ननाशक श्रीगणेश मेरे दुख दूर करें।''
क्ष्रौं (नृसिंहबीज) इस बीज में क्ष् = नृसिंह, र् = ब्रह्म, औ = दिव्यतेजस्वी, एवं बिंदु = दुखहरण है। इस प्रकार इस बीज का अर्थ है 'दिव्यतेजस्वी ब्रह्मस्वरूप श्री नृसिंह मेरे दुख दूर करें।'
बीजार्थ रहस्य: बीजमंत्रों के अक्षर उनकी गूढ़ शक्तियों के संकेत होते हैं। इनमें से प्रत्येक की स्वतंत्र एवं दिव्य शक्ति होती है। और यह समग्र शक्ति मिलकर समवेत रूप में किसी एक देवता के स्वरूप का संकेत देती है। जैसे बरगद के बीज को बोने और सींचने के बाद वह वट वृक्ष के रूप में प्रकट हो जाता है, उसी प्रकार बीजमंत्र भी जप एवं अनुष्ठान के बाद अपने देवता का साक्षात्कार करा देता है।
भगवान श्री गणेश का बीज मंत्र
सभी देवों में सबसे पहले पूजे जाने वाले देव श्री गणेश का बीज मंत्र " गं " है | इस बीज मंत्र के नियमित जप से बुद्धि का विकास होता है और घर में धन संपदा की वृद्धि होती है |
भगवान शिव का बीज मंत्र
" ह्रौं " भगवान शिव के इस बीज मंत्र के जप से भोलेनाथ अतिशीघ्र प्रसन्न होते है | इस बीज मंत्र के प्रभाव से अकाल मृत्यु से रक्षा होती है व रोग आदि से छुटकारा मिलता है |
भगवान श्री विष्णु का बीज मंत्र
भगवान श्री विष्णु का बीज मंत्र " दं " है | जीवन में हर प्रकार के सुख और एश्वर्य की प्राप्ति हेतु इस बीज मंत्र द्वारा भगवान श्री विष्णु की आराधना करनी चाहिए |
बीज मंत्रों के चमत्कारी लाभ
चमत्कारी मंत्रों का जाप करने के कई तरह के लाभ होते हैं जैसे-
दीर्घायु : व्यक्ति को लम्बी आयु की प्राप्ति होती हैं।
धन : व्यक्ति को धन की प्राप्ति होती है।
परिवार का सुख : व्यक्ति पारिवारिक सुखों से तृप्त होता है।
शत्रु का नाश : व्यक्ति की शत्रु पर जीत होती है।
जीवन शांति : व्यक्ति जीवन में शांति का अनुभव करता हैं
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