Bhadrapada 2022 Vrat Tyohar: कब से कब तक रहेगा भाद्रपद माह, जानिए इसका धार्मिक महत्व, व्रत त्योहार और कल्याणकारी नियम
Bhadrapad Maas Start and End Dates: सावन के बाद आने वाले भाद्र मास में प्रकृति में हर तरफ हरियाली ही हरियाली रहती है। इस माह में कई त्योहार आते हैं जो जीवन में नई उर्जा का संचार करते हैं। जानते हैं भाद्रपद माह कब से कब तक रहेगा।
Bhadrapad Maas Start and End Dates:
भाद्रपद मास कब से कब तक है तारीख
धर्म ग्रंथों में भाद्रमास का बहुत महत्व है। शास्त्रों में इसे कल्याणकारी है। भाद्र, भद्र से बना है जिसका अर्थ है अच्छा व सभ्य।जो भी नियम से इस माह स्नान ,दान व व्रत करता है, उस पर ईश्वर की कृपा बनी रहती है। शरीर व मन की शुद्धि के लिए इस मास पीले व केसरिया वस्त्रों को धारण करना चाहिए। इस माह हल षष्ठी, कृष्ण जन्माष्टमी, गणेश उत्सव, हरितालिका तीज व अनंत चतुर्थी का व्रत पड़ने वाला है।
इस माह की शुरुआत हिंदू पंचांग के अनुसार 12 अगस्त 2022, से शुरू हो गया है। 12 अगस्त को कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि का प्रारंभ सुबह 5 बजकर 58 मिनट पर हो गया है। इसी के साथ भाद्रपद माह की भी शुरुआत हो गई है। लेकिन उदया तिथि में सावन की पूर्णिमा होने से रक्षा बंधन भी इस दिन मनाया गया है। और आज यानि 13 अगस्त से लोग भाद्र माह से जुड़े नियमों का पालन करेंगे। कहते है कि नियमों का पालन कर इस मास में गलतियों का प्रायश्चित भी कर सकते हैं। इस मास ईश्वर की कृपा पाने के लिए सदैव करें इन नियमों का पालन................
भाद्रमास का महत्व और नियम
इस महीने में दही न खाएं, लेकिन दही से पूरे मास भगवान कृष्ण को पंचामृत से स्नान कराने से मनोकामना पूरी होती हैं।जिन लोगों को संतान सुख नहीं है , उन लोगों को इस माह या तो कृष्ण का जन्म कराना चाहिए या कृष्ण जी के जन्मोत्सव में शामिल होना चाहिए। इस महीने आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए श्रीमदभगवदगीता का पाठ शुभ परिणाम देता है। इस महीने में लड्डू गोपाल और शंख की स्थापना से घर में धन और सम्पन्नता आती है।
विद्या, बुद्धि और ज्ञान के लिए इस माह श्री गणेश की उपासना करें। पीले रंग के भगवान् गणेश की स्थापना करें। हर दिन उनको दूर्वा और मोदक का भोग लगायें। पूरे माह ब्रह्मचर्य का पालन करें। हर प्रकार की बाधा का नाश होगा।
पूरे मास भगवान श्रीकृष्ण को तुलसी दल अर्पित करें। इस माह आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए श्रीमद्भगवदगीता का पाठ करना चाहिए। मन को शुद्ध करने के लिए यह माह बेहद उपयोगी है। इस माह पलंग पर शयन नहीं करना चाहिए। जमीन पर चटाई बिछाकर शयन करना चाहिए। इस माह किसी से झूठ न बोलें। इस माह तेल से बनी चीजों का सेवन करने से बचना चाहिए। इस माह एक समय भोजन करना चाहिए।
इस मास कई त्योहार आते हैं। संतान सुख की प्राप्ति के लिए कान्हा के जन्मोत्सव में शामिल होना चाहिए। कृष्ण पक्ष द्वादशी को वत्स द्वादशी कहते है। इसमें गाय-बछड़े का पूजन किया जाता है। यह पर्व बच्चों की सुख-शांति से जुड़ा है। इस मास के शुक्ल पक्ष, एकादशी को देवझूलनी एकादशी मनाते है। इस व्रत में भगवान विष्णु की उपासना का विधान है। इस माह गुड़ का सेवन नहीं करना चाहिए और न ही किसी अन्य व्यक्ति के दिए हुए पके चावल खाने चाहिए।नारियल के तेल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। नहीं तो घर में दरिद्रता आती हैं।
भाद्रपद में आने वाले त्योहारों की लिस्ट
14 अगस्त, रविवार को कजरी तीज
15 अगस्त, सोमवार को बहुला चतुर्थी
17 अगस्त, बुधवार को सिंह संक्रांति
18 अगस्त, गुरुवार को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी
23 अगस्त, मंगलवार को अजा एकादशी
24 अगस्त, बुधवार को प्रदोष व्रत
25 अगस्त, गुरुवार को मासिक शिवरात्रि
27 अगस्त, शनिवार को भाद्रपद अमावस्या
28 अगस्त, रविवार को भाद्रपद शुक्ल पक्ष आरंभ
30 अगस्त, मंगलवार को हरतालिका तीज
31 अगस्त, बुधवार को गणेश चतुर्थी
1 सितंबर, गुरुवार को ऋषि पंचमी
4 सितंबर, रविवार को राधा अष्टमी
6 सितंबर, मंगलवार को परिवर्तिनी एकादशी
8 सितंबर, गुरुवार को प्रदोष व्रत, ओणम
9 सितंबर, शुक्रवार को अनंत चतुर्थी, गणेश विसर्जन
10 सितंबर, शनिवार को भाद्रपद पूर्णिमा व्रत, पित् पक्ष प्रारंभ
सावन के बाद आने वाले इस मास में प्रकृति में हर तरफ हरियाली ही हरियाली रहती है। लोग इस मास में भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण की पूजा करते हैं और लड्डू गोपाल को पूरे माह दही मिश्री से स्नान करवाते हैं।