Bhadrapada Purnima Shubh Muhurat:भाद्रपद पूर्णिमा को लेकर कन्फ्यूजन करें दूर, इस दिन करें स्नान, दान, जानिए सही मुहूर्त और महत्व

भाद्रपद पूर्णिमा शुभ मुहूर्त Bhadrapada Purnima Shubh Muhurat : धर्म ग्रंथों अनुसार भाद्रपद पूर्णिमा के दिन तीर्थ स्नान, दान और व्रत करने से सारी कामनाओं की पूर्ति होती है।

Update:2024-09-17 09:15 IST

Bhadrapada Purnima Shubh Muhurat:  धर्मानुसार दो महत्वपूर्ण तिथियां होती है जो हर माह आती है। एक पूर्णिमा दूसरी अमावस्या। पूर्णिमा के दिन देवताओं को और अमावस्या के दिन पितरों की पूजा और दान किया जाता है। दोनों तिथियों से हमारा कल्याण होता है। बता दें कि शुक्ल पक्ष में 15 वीं तिथि पूर्णिमा होती है और कृष्ण पक्ष में 30 वीं तिथि अमावस्या। हर माह की तरह इस माह भी पूर्णिमा तिथि आने वाली है। इस दिन को भाद्रपद पूर्णिमा कहते हैं।

पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की विशेष रूप से पूजा की जाती है। भादों की पूर्णिमा पर स्नान-दान करने से आरोग्य प्राप्त होता है। पूर्णिमा पर चंद्रमा 16 कलाओं से परिपूर्ण रहता है, मान्यता है कि रात्रि काल में चांद की किरणों से अमृत बरसता है।भाद्रपद पूर्णिमा को 'अन्नदा पूर्णिमा' भी कहा जाता है।

इस दिन भगवान विष्णु के सत्यनारायण रूप की पूजा की जाती है साथ ही नारद पुराण के अनुसार इस दिन उमा-महेश्वर व्रत भी रखा जाता है। 

भाद्रपद पूर्णिमा 2024 स्नान दान का समय

इस बार भाद्रपद पूर्णिमा 17 और 18 सितंबर दोनों दिन मनाई जाएगी। भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से पितृपक्ष की शुरुआत होती है और आश्विन माह की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को खत्म होती हैय़

17 सितंबर 2024 को भाद्रपद पूर्णिमा पर चंद्रमा और मां लक्ष्मी की पूजा का संयोग रहेगा,  इस दिन पूर्णिमा तिथि सुबह 11 बजे के बाद शुरू हो रही है, इसी तरह उदयातिथी में भाद्रपद पूर्णिमा 18 सितंबर 2024 को है। इस दिन स्नान-दान करना शुभ होगा। दोनों ही दिन व्रत किया जा सकता है।

भाद्रपद पूर्णिमा तिथि शुरू - 17 सितंबर 2024, सुबह 11.44

भाद्रपद पूर्णिमा तिथि समाप्त - 18 सितंबर 2024, सुबह 08.04

स्नान-दान मुहूर्त - सुबह 04.33 - सुबह 05.20

सत्यनारायण भगवान की पूजा - सुबह 09.11 - दोपहर 01.37

चंद्रोदय समय - शाम 06.03

लक्ष्मी जी पूजा - रात 11.52 - प्रात: 12.39, 18 सितंबर

भाद्रपद पूर्णिमा महत्व

भाद्रपद पूर्णिमा के दिन लोग सत्यनारायण व्रत और कथा करते हैं। इस दिन को भगवान विष्णु की पूजा के लिए शुभ माना जाता है। सत्यनारायण व्रत कथा करने से परिवार में सुख-समृद्धि आती है और सभी कष्ट दूर होते हैं। इस दिन लोग उपवास रखते हैं और विशेष रूप से भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए भजन-कीर्तन और दान-पुण्य करते हैं।भादों की पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की पूजा करने से जीवन के समस्त कष्टों और संकटों से मुक्ति मिलती है।अविवाहित कन्याओं और युवकों का विवाह शीघ्र हो जाता है. जिस विशेष कामना की पूर्ति के लिए यह व्रत किया जाता है वह जल्दी ही पूरी होती है।

हर पूर्णिमा तिथि का अपना महत्व है। इन तिथियों पर महापुरुषों धर्मगुरूओं और देवताओं का प्रादुर्भाव हुआ था। इस वजह से इसका और भी महत्व बढ जाता है। इस दिन चंद्रमा अपने पूर्ण रुप में और सोलह कलाओं से युक्त होता है। धर्म ग्रंथों अनुसार साल की किसी भी पूर्णिमा के दिन तीर्थ स्नान, दान और व्रत करने से सारी कामनाओं की पूर्ति होती है। इस दिन सुहागिनें व्रत कर अपने सौभाग्य की वृद्धि करती है पति की लंबी आयु के लिये वट, यानि बरगद के पेड़ की उपासना की जाती है। इसके अलावा इस दिन बिल्व पत्र से भगवान शंकर और मां पार्वती की पूजा की जाती है।  कुंडली का चंद्र दोष खत्म होता है।

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