Bhagavad Gita Gyan: सत्य को पाने के लिये संतोष का साधन करना परम आवश्यक है

Bhagavad Gita Gyan: भगवान् ने गीता में भक्तों के लक्षण बतलाते हुए दो बार ‘संतुष्ट’ शब्द का प्रयोग करके भक्तों में संतोष की आवशयकता सिद्ध की है

Update: 2024-06-29 08:46 GMT

Bhagavad Gita Gyan

यदि मनुष्य अपने जीवन में संतोष धारण कर ले तो वो सदा के लिए सुखी बन जायेगा।

मानव-जीवन का एकमात्र उद्देश्य है,

सत्य को पाने के लिये संतोष का साधन करना परम आवश्यक है |

संतोष का साधन दो प्रकार से होता है –

आत्मा के स्वरूप को समझकर आत्मा की पूर्णता में विस्वास करने से अथवा परम मंगलमय सर्वसुहृद भगवान् के विधान पर निर्भर करने से |

दोनों का फल एक ही है |

एक ज्ञानियों का मार्ग है,

दूसरा भक्तों का |

भगवान् ने गीता में भक्तों के लक्षण बतलाते हुए दो बार ‘संतुष्ट’ शब्द का प्रयोग करके भक्तों में संतोष की आवशयकता सिद्ध की है |

'संतुष्ट: सततम’, ‘संतुष्टो येन केनचित |

( गीता - १२ /१४,१९ )

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