Bhagavad Gita Gyan: सत्य को पाने के लिये संतोष का साधन करना परम आवश्यक है
Bhagavad Gita Gyan: भगवान् ने गीता में भक्तों के लक्षण बतलाते हुए दो बार ‘संतुष्ट’ शब्द का प्रयोग करके भक्तों में संतोष की आवशयकता सिद्ध की है
Report : Sankata Prasad Dwived
Update:2024-06-29 14:16 IST
यदि मनुष्य अपने जीवन में संतोष धारण कर ले तो वो सदा के लिए सुखी बन जायेगा।
मानव-जीवन का एकमात्र उद्देश्य है,
सत्य को पाने के लिये संतोष का साधन करना परम आवश्यक है |
संतोष का साधन दो प्रकार से होता है –
आत्मा के स्वरूप को समझकर आत्मा की पूर्णता में विस्वास करने से अथवा परम मंगलमय सर्वसुहृद भगवान् के विधान पर निर्भर करने से |
दोनों का फल एक ही है |
एक ज्ञानियों का मार्ग है,
दूसरा भक्तों का |
भगवान् ने गीता में भक्तों के लक्षण बतलाते हुए दो बार ‘संतुष्ट’ शब्द का प्रयोग करके भक्तों में संतोष की आवशयकता सिद्ध की है |
'संतुष्ट: सततम’, ‘संतुष्टो येन केनचित |
( गीता - १२ /१४,१९ )