कभी ब्राम्हण, कभी दलित, कभी जाट बताए जाते हैं हनुमान, आखिर किस जाति के थे वह, जानें यहां

Hanuman Ki Jati: भगवान हनुमान की जाति को लेकर अलग अलग तरह के दावे किए जाते हैं। तो चलिए आज जानते हैं कि आखिर हनुमान जी किस जाति के थे।

Published By :  Shreya
Update: 2022-04-18 05:26 GMT

हनुमान (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Hanuman Ki Jati: पिछले पांच सालों में भगवान हनुमान (Bhagwan Hanuman) के नाम को भी धर्म की राजनीति के चलते खूब इस्तेमाल किया गया है। हनुमान जी की जाति (Hanuman Ki Jati Kya Hai) को लेकर तरह तरह के बयान आते रहे हैं। अब उत्तर प्रदेश कैबिनेट मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण (Chaudhary Laxmi Narayan Singh) ने एक बार फिर हनुमान जी को जाट (Jaat) बताया है।

कैबिनेट मंत्री ने कहा कि हनुमान जी से बड़ा कोई नहीं हम सब हनुमान जी की संतान हैं। चार साल पहले भी योगी सरकार (Yogi Adityanath Government) में मंत्री रहे चौ लक्ष्मी नारायण ने हनुमान जी को जाट बताया था और अब एक बार फिर उन्होंने अपना वही बयान दोहराया है।

मथुरा के बीएसए इंजीनियरिंग कॉलेज (BSA Engineering College) में आयोजित टैबलेट वितरण कार्यक्रम प्रदेश के गन्ना विकास एवं चीनी मिल मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण ने वह कहा कि हनुमान जी की संतान हैं। हनुमान जी का खून हमारी रगों में है हनुमान जी से बड़ा कोई नही हैं।

भाजपा एमएलसी ने भगवान हनुमान को बताया था मुसलमान

हनुमान जी को लेकर चार साल पहले भी यह विवाद मीडिया की सुर्खियां बन चुका है। तब कैबिनेट मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण ने 21 दिसम्बर 2018 को भाजपा एमएलसी बुक्कल नवाब के हनुमान जी को मुसलमान कहे जाने पर मीडिया से कहा था कि हनुमान जी को मुस्लिम कहने वाले अल्पज्ञानी हैं। त्रेता युग में जब इस्लाम था ही नहीं तो हनुमान जी मुस्लिम कैसे हो सकते हैं। सच्चाई यह है कि जाटों के पूर्वज बेशक हनुमान जी थे।

यहां यह बताना जरूरी है कि इस विवाद शुरूआत तब हुई थी जब 2018 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजस्थान में एक चुनाव सभा में हनुमान जी को दलित बताया गया था। इसके बाद बडा विवाद हुआ था तभी भाजपा एमएलसी बुक्कल नवाब ने कहा था कि हनुमान मुसलमान थे, उन्होंने तब दावा किया था कि मुसलमानों में जो नाम रखे जाते हैं जैसे रहमान, रमजान, फरमान, जीशान और कुर्बान जितने भी नाम हैं वह करीब करीब उन्हीं पर रखे जाते हैं। अब एक बार फिर चौ. लक्ष्मी नारायण के इस बयान के बाद विवाद शुरू हो गया है। हांलाकि शास्त्रों में और हनुमान चालीसा में

हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे।

कांधे मूंज जनेउ साजे।।

के आधार पर उन्हें ब्राम्हण बताया गया है।

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