Bhagwan Ka Bhog: भगवान को भोग कैसे-कब लगाएं? जानिए नियम,मंत्र और विधि, मिलेगा आपको लाभकारी परिणाम
Ghar Me Bhagwan ko Bhog Kaise lagaye: भगवान को भोग कैसे लगाएं? :अगर आप भगवान को भोग लगाने के पश्चात स्वयं भोजन करते हैं. तो इससे आपकी बुद्धि सौम्य बनती हैं. भगवान को भोग लगाने के बाद वह भोजन श्रेष्ठ बन जाता हैं. यह भोजन करने से आपके विचार और मन शुद्ध बनता हैं.
Bhagwan Ka Bhog भगवान का भोग? : भगवान की पूजा करते वक्त भगवान को भोग ( bhagwan ka bog) लगाने की परंपरा चली आ रही हैI घर हो या मंदिर रोज अपने आराध्य को उनका मनचाहा भोग लगाकर ही लोग खुद उसे ग्रहण करते है। खासतौर पर तीज-त्योहार और घर में होने वाले मांगलिक कार्यक्रमों के दौरान भगवान को विशेष पकवानों के भोग लगाए जाते हैं, लेकिन कई लोग भोग लगाने का महत्व और इसके नियम नहीं जानते हैं, इसलिए यह जानना जरूरी है कि भगवान को अर्पित किए जा रहे भोग को लेकर सही नियम क्या हैं।
पूजा करने के बाद भगवान को भोग लगाना भी आवश्यक होता हैं, भोग भी विधि सहित लगाने से पूजा का पूर्ण फल मिलता हैं, लेकिन कुछ लोगों को भोग लगाने की विधि पता नहीं होती हैं। ऐसे ही अपनी मर्जी से भगवान को भोग लगा देते हैं। अगर आपको भी भोग लगाने की विधि पता नहीं हैं। भोग लगाने की संपूर्ण विधि बताएगे।
भगवान को भोग लगाने के नियम
भोग के समय का खास ध्यान रखना चाहिए. जिस वक्त पूजा कर रहे हैं, उस वक्त भोग लगाना चाहिए. इसके लिए घर के सभी लोगों को साथ होना चाहिए. भोग लगाने के बाद भगवान के सामने कुछ देर तक उस भोग को रखें और फिर पूजा के बाद सभी लोगों में बांट देना चाहिए.
भगवान को भोग लगाने का पात्र सोना, चांदी, तांबा, पीतल, मिट्टी या भी लकड़ी का होना चाहिए। स्टील या प्लास्टिक के बर्तन में भगवान के समक्ष नेवैद्य रखने में परहेज करना चाहिए क्योंकि ये शुद्ध पात्र नहीं माने जाते हैं. इतना ही नहीं टूटे बर्तन में भी भोग नहीं लगाना चाहिए।
कई बार भोग लगाने वाले प्रसाद में से ही लोग खाना शुरू करदेते हैं। भगवान को जूठा भोग नहीं लगाना चाहिए. अगर घर में ज्यादा लोग हैं और भोजन को लेकर चिंता है तो पहले ही एक बर्तन में भगवान के लिए भोग निकाल कर अलग रख दें और फिर बाकी का खाना लोग खा सकते हैं, इसलिए जूठे भोग को शास्त्रों में बहुत अशुभ बताया गया है।
भोग में तामसिक पदार्थ शामिल नहीं करने चाहिए। आप भले ही लहसुन, प्याज आदि खाते हों, लेकिन अगर भगवान को भोग अर्पण कर रहे हैं तो इस भोग में प्याज लहसुन आदि नहीं होना चाहिए. भगवान को साफ सुथरा, ताजा और सात्विक भोजन ही अर्पित करना चाहिए।
कई बार प्रसाद कुछ ही लोग खा जाते हैं, लेकिन ये गलत है, पूजा के बाद प्रसाद यानी भोग को ज्यादा से ज्यादा लोगों में बांटना चाहिए. चाहे किसी के पास एक तिनका ही आए, लेकिन प्रसाद जितना बांटा जाता है, उतना ही घर वालों के लिए लाभकारी और तरक्की देने वाला होता है।
भगवान को कैसे लगाएं भोग
कई बार भोग लगाने के बाद प्रसाद यूं ही मंदिर में रखा रह जाता है। ऐसा नहीं करना चाहिए भोग लगाने के कुछ देर बार प्रसाद बांटकर खा लेना चाहिए. इससे प्रसाद का फल मिलेगा।अगर आप भगवान को भोग लगा रहे हैं तो तामसिक वस्तु का भोग कभी ना लगाये। हमेशा ही सात्विक चीजों का भोग ही लगाये। इसके अलावा अशुद्ध भोग भगवान को कभी नही लगाना चाहिए। हमेशा ही भगवान को शुद्ध और घर का बना भोग लगाये।
भगवान को भोग किस बर्तन में लगाएं
भगवान को भोग लगाने के लिए आप किसी भी धातु से बने बर्तन का उपयोग कर सकते हैं। जैसे की पुराने समय में भगवान को भोग लगाने के लिए कांस्य, तांबा, चांदी, सोना, केले के पत्ते और ढाक के पत्तो से बने बर्तनों का अधिकतर उपयोग किया जाता हैं।
स्टील और कांच के बर्तनों का अधिकतर उपयोग होता हैं। इसलिए आप इस प्रकार के बर्तनों में भी भगवान को भोग लगा सकते हैं. लेकिन भगवान हमेशा ही शुद्ध बर्तन में ही भोग लगाना चाहिए. भगवान को भोग लगाने से पहले बर्तन को अच्छे से धो लीजिए. इसके बाद ही भगवान को शुद्ध बर्तन में भोग लगाये।
भगवान को भोग में ना करे यह गलतियां
हमेशा ही शुद्ध घी में बना ही भोजन का भोग लगाये। अधिक मिर्च मसाले और तेल वाले भोजन का भोग लगाने से बचाए।जब भी भोग बनाये स्नान आदि करने के बाद स्वयं को स्वच्छ करके ही भोग बनाये। भोग हमेशा ही साफ़ और शुद्ध वस्तु से ही बनाये।
भोग लगाने की विधि
सबसे पहले तो यह ध्यान रखना है की जो वस्तु हम ग्रहण करने वाले है उसी वस्तु का भोजन भगवान को लगाना चाहिए।
शास्त्रों के अनुसार प्याज तथा लहसुन से बने हुए व्यंजन का भोग कभी भी नहीं लगाना चाहिए।
भगवान का भोग शुद्ध तथा सात्विक होना जरूरी हैं। आप तामसिक भोजन का भोग भगवान को न लगाए।
आप सात्विक चीजों का भोग लगा सकते है जैसे की खीर, लड्डू, सब्जी, भात, दाल, पूरी, मठरी, गुड आदि।
इसके अलावा आप फल, फ्रूट आदि का भी भोग लगा सकते हैं।
अब भगवान को भोग लगाने के लिए आप चांदी, कांस्य, तांबा, सोने, कांच, स्टील, केले के पत्ते, ढाक के पत्ते आदि का बर्तन के तौर पर इस्तेमाल में ले सकते हैं।
जब भी आप भोग लगाए भगवान की प्रतिमा के दाई तरफ भोजन रखे. तथा साथ में शुद्ध जल का पात्र भरकर रखे।
इसके बाद शुद्ध जल अपने में हाथ में लेकर भगवान के सामने जमीन पर गोलाकार में जल का छिडकाव करे।
अब इस गोलाकार में भगवान की प्रतिमा की दाई तरफ भोजन की थाली रखे।
अब अपने दाए हाथ में जल भरा पात्र लेकर थाली के ऊपर से तीन बार घुमायें. और “ॐ अमृतोपस्तरणमसी स्वाहा”मंत्र का साथ में जाप करे।
इसके पश्चात थोड़े से जल का छिडकाव जमीन पर करे।
इसके पश्चात भोजन तथा जल में तुलसी के पत्ते रखे. बीना तुलसी के पत्ते भोग नहीं लगाया जा सकता हैं।
अब भोजन से भरी थाली को अपने हाथ में उठाकर भगवान भोग लगाए तथा प्रार्थना करे।
भोग अंगूठा और अंगुली को मिलाकर भोजन को छुआकर भगवान के मुख के आगे ले जाकर लगाया जाता हैं।
इसके पश्चात भगवान को जल अर्पित करे. तथा भगवान से मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करे।
मंत्र का जाप भोग लगाते समय कर सकते हैं। जिससे आपको पूजा का पूर्ण फल मिलेगा, और भोग की विधि मंत्र सहित पूर्ण होगी।
भोग लगाने का मंत्र
भगवान को भोग लगाते समय मंत्र का जाप करें
त्वदीयम वस्तु गोविंद तुभ्यमेव समर्पये ! गृहाण सुमुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर !!
शर्कराखंड खाद्यानी दधिक्षीर घृतानी च ! आहारं भक्ष्य भोज्यम च नैवेध्यम प्रतिगृह्यताम !!
श्रीमन नारायणं नमः नैवेध्यम निवेदयामी
ॐ समानाय स्वाहा !
ॐ नमो भगवते वासुदेव