Bhagwat Geeta: भगवान् से यह सम्पूर्ण संसार व्याप्त है अर्थात् संसार के कण कण में व्याप्त
Bhagwat Geeta: जिसको मुक्ति, परमपद आदि नामों से कहते हैं, जिसमें जाकर फिर लौटकर नहीं आना पड़ता और जिसको प्राप्त करने पर करना, जानना और पाना कुछ भी बाकी नहीं रहता, ऐसे परमधाम भगवान् हैं।
त्वमादिदेव: पुरुष: पुराणस्त्वमस्य विश्वस्य परं निधानम्।
वेत्तासि वेद्यं च परं च धाम त्वया ततं विश्वमनन्तरूप॥११।३८॥
आप ही आदिदेव और पुराण पुरुष हैं तथा आप ही इस संसार के परम आश्रय हैं। आप ही सबको जानने वाले, जानने योग्य और परम धाम हैं। हे अनन्त रूप ! आप से ही सम्पूर्ण संसार व्याप्त है।
भगवान् सम्पूर्ण देवताओं के आदि देव हैं; क्योंकि सबसे पहले वे ही प्रकट होते हैं। भगवान् पुराण पुरुष हैं; क्योंकि वे सदा से हैं और सदा ही रहने वाले हैं।
देखने, सुनने, समझने और जानने में जो कुछ संसार आता है; और संसार की उत्पत्ति, स्थिति, प्रलय आदि जो कुछ होता है, उस सबके परम आधार भगवान् हैं।
जिसको मुक्ति, परमपद आदि नामों से कहते हैं, जिसमें जाकर फिर लौटकर नहीं आना पड़ता और जिसको प्राप्त करने पर करना, जानना और पाना कुछ भी बाकी नहीं रहता, ऐसे परमधाम भगवान् हैं।
भगवान् से यह सम्पूर्ण संसार व्याप्त है अर्थात् संसार के कण-कण में वे ही व्याप्त हो रहे हैं।