Budhdheshvar Shiva Temple in Lucknow: 12 ज्योतिर्लिंगों की तरह है यह मंंदिर, यहां भगवान शिव का है वास, रामायण से जुड़ा है इतिहास

Budhdheshvar Shiva Temple in Lucknow: लखनऊ के बुद्धेश्वर मंदिर में दर्शन करने मात्र से पाप धूल जाते है। वैसे पूरी दुनिया में भगवान शिव के कई मंदिर और ज्योतिर्लिंग है। जिनमें धर्मानुसार भगवान शिव साक्षात है। जानते इस मंदिर की महिमा

Update: 2022-07-21 05:35 GMT

सांकेतिक तस्वीर ( सौ. से सोशल मीडिया)

बुद्धेश्वर शिव मंदिर, लखनऊ

Budhdheshvar Shiva Temple in Lucknow

भगवान शिव को अजन्मा देव की संज्ञा दी गई है, जो साकार और निराकार दोनों है। वैसे भगवान शिव का ध्यान करने मात्र से हर दुखो से निपटारा मिलता है। भगवान शंकर की पूजा, घर , बाहर कहीं भी कर सकते हैं या फिर मंदिरों में दर्शन करने मात्र से पाप धूल जाते है। पूरी दुनिया में भगवान शिव के कई मंदिर और ज्योतिर्लिंग है। जिनमें धर्मानुसार भगवान शिव साक्षात है।

ऐसे ही मंदिरों में एक है उत्तर प्रदेश के लखनऊ में स्थित बुद्धेश्वर महादेव मंदिर (Budhdheshvar Shiva Temple) । यह मंदिर बहुत पुराना है। कहा जाता है कि इसका इतिहास रामायण काल त्रेतायुग से जुड़ा है। इस मंदिर में राम, लक्ष्मण और जानकी जी ने भी पूजा-अर्चन किया है। कहते हैं कि जहां आज मंदिर है वहां कई युगों पहले गुफा हुआ करता था।सावन में इस मंदिर में पूजा करने से हर इच्छा पूरी होती है। वैसे भगवान भोले को सावन, सोमवार, प्रदोष, शिवारात्रि का दिन बहुत प्रिय है, लेकिन एक दिन और है जिस दिन भगवान शिव की पूजा का विधान है जो सिर्फ इस मंदिर से जुड़ा है। कहते हैं कि इस मंदिर में सोमवार ( Monday) को नहीं बुधवार की पूजा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि 5 , 11 या 21 बुधवार तक लगातार यहां पूजा करने से भगवान शिव प्रसन्न होकर इच्छा पूरा करते हैं।

बुद्धेश्वर मंदिर से जुड़ा धार्मिक इतिहास

बुद्धेश्वर महादेव मंदिर को लेकर मान्यता हैं कि पहले यहाँ एक गुफा थी। जिसमे भगवान शिव ने निवास किया था, तब जब भगवान शिव से वरदान पाकर भस्मासुर राक्षस भगवान शिव का ही वध करने के लिए उनका पीछा करने लगा था,तब भगवान शिव भस्मासुर से बचने के लिए इसी गुफा में कई दिनों तक रहे थे। बताया जाता हैं कि आज भी यहां भगवान शिव का वास है। और अपने भक्तों का दुख दूर करते हैं।

यहां बुधवार को क्यों होती हैं शिव पूजा

लखनऊ के बुद्धेश्वर मंदिर ऐसा शिव मंदिर है, जहाँ भगवान शिव की विशेष पूजापूजा-अर्चना, अभिषेक तथा महाआरती बुधवार को की जाती हैं। बुधवार को पूजा करने से लेकर भी यहाँ इतिहास त्रेतायुग से जुड़ा है , जब भगवान राम के आदेश पर लक्ष्मण जी मां सीता को जब चित्रकूट छोड़ने जा रहे थे तब गुजरते समय उन्होंने भगवान शिव का मंदिर देखा और पूजा करने का मन बनाया। भगवान राम ने शिवजी की विशेष पूजा की थी। उस दिन वार बुधवार था। तब से यहाँ पर बुधवार को शिव पूजा करने की परम्परा शुरू हुई।

सांकेतिक तस्वीर ( सौ. से सोशल मीडिया)

कहा जाता है कि सावन माह में इस मंदिर में पूजा-अर्चना जरूर करना चाहिए। सावन में यहाँ भगवान शिव हर मुराद पूरी करते हैं। शिव की बुधवार को विशेष पूजा करने से मन को बौद्धिक शांति प्राप्त होती हैं। मंदिर में बुधवार के दिन शिवजी पर जल अर्पित करने से मनोकामना पूरी होती हैं। इस मंदिर में जो भी 11 या 21 बुधवार लगातार आता है और घंटी बांधने का संकल्प लेता है उसकीभगवान शिव बड़ी से बड़ी मनोकामना पूरी करते हैं।

बुद्धेश्वर मंदिर में सीता कुंड

जब वनवास के बाद आयोध्या आने के बाद श्रीराम ने भाई लक्ष्मण को माता सीता को वन में छोड़ने का आदेश दिया था तब श्रीराम जी को माता सीता की चिंता सताने लगी थी। इसके लिए भाई लक्ष्मण ने भगवान शिव की आराधना की थी।जिससे प्रसन्न होकर महादेव जी ने यहां पर लक्ष्मण को दर्शन दिया था। भगवान शिव ने लक्ष्मण से कहा था कि थोड़ी दूर पर वाल्मीकि आश्रम है, वहां पर माता सीता को छोड़ दो। वो जगह उनके लिए पूरी तरह से सुरक्षित है।जब लक्ष्मण भगवान शिव के दर्शन कर रहे थे उस वक्त माता सीता मंदिर के पास में ही बने कुंड में स्नान कर रहीं थीं। जो आज भी मंदिर के करीब है और सीता कुंड के नाम से जाना जाता है। जिस दिन भगवान शंकर ने लक्ष्मण जी को दर्शन दिए थे उस दिन बुधवार था।एक तरह से मां सीता और लक्ष्मण जी की वजह से भी यह मंदिर पहचान बना। ताकि जनकल्याण के लिए भगवान शिव का वास गोमती के तट पर भी हो। 

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