Budhwar Vrat Katha in Hindi : खत्म होगा बुरा समय, पूरी होगी हर मुराद, जरूर सुनें बुधवार की कथा

Budhwar Vrat Katha in Hindi : बुधवार का व्रत करना बहुत फलदायी माना जाता है। अगर कुंडली में बुध अशुभ भाव का स्वामी है तो ऐसे जातकों को भी बुधवार का व्रत रखना चाहिए। इस दिन व्रत करने और कथा सुनने से अनगिनत फायदे होते है।

Update: 2024-07-03 04:51 GMT

Budhwar Vrat Katha in Hindi बुधवार व्रत कथा इन हिंदी : हिन्दू ज्योतिषशास्त्र के अनुसार बुधवार को अगर कोई व्यक्ति व्रत रखता है तो उसके ज्ञान में वृद्धि होती है। जो लोग व्यापार से जुड़े हैं और इस क्षेत्र में आने वाली बाधाओं से बचना चाहते हैं तो ऐसे लोगों के लिए भी यह व्रत बहुत लाभकारी सिद्ध होता है। इसके अलावा जिन लोगों की कुंडली में बुध ग्रह कमजोर होता है और इसके अच्छे परिणाम उनको नहीं मिलते तो ऐसे लोगों के लिए भी बुधवार का व्रत करना बहुत फलदायी माना जाता है। अगर कुंडली में बुध अशुभ भाव का स्वामी है तो ऐसे जातकों को भी बुधवार का व्रत रखना चाहिए।

बुधवार व्रत का महत्व

जो लोग बुधवार को सच्चे मन से व्रत लेते हैं उनको इसके कई अच्छे फल मिलते हैं। बुधवार को व्रत रखने से मनुष्य का बौद्धिक विकास होता है और साथ ही उन्हें सोचने-समझने की क्षमता में भी वृद्धि होती है। बुधवार का व्रत बुध ग्रह के शुभ परिणाम प्राप्त करने के लिए भी रखा जाता है। इसके अलावा इस व्रत को रखने से घर में धन और सुख समृद्धि आती है। बुध एक सौम्य ग्रह है जिसके अच्छे प्रभाव इंसान को कई उपलब्धियाँ दिलाते हैं इसलिए कई लोग इस व्रत का पालन करते हैं।

बुधवार व्रत कैसे किया जाता है

बुधवार के दिन व्रत रखें और भगवान बुध की पूजा करें। इस दिन पूजा के वक्त बुधवार व्रत कथा का पाठ करें और उसके बाद आरती करें। उपवास में दिन के वक्त न सोए व किसी से वाद-विवाद करने से बचें। सूर्यास्त के बाद पूजा करें और भगवान बुध को दीप, धूप, गुड़ और दही चढ़ाएं। पूजा समाप्ति के बाद सबको प्रसाद बांटें और अंत में खुद प्रसाद का सेवन करें।

बुधवार व्रत की पूजा को करने के लिए कुछ चीजें बहुत महत्वपूर्ण हैं। जिनके बिना पूजा अधूरी रहती है। ये चीजें हैं:-हरा वस्त्र,पंचामृत (गाय का कच्चा दूध, दही, घी, शहद एवं शर्करा मिला हुआ),पान, सुपारी, लौंग, इलाइची.कपूर और पूजा के पात्र,बुधवार व्रत का उद्यापन,व्रत रखने से पहले संकल्प करना चाहिए कि कितने व्रत लिए जाने हैं और व्रत पूरे होने पर उद्यापन ज़रूर किया जाना चाहिए।

बुधवार व्रत का में  इन बातों का रखें  ध्यान

बुधवार के दिन सुबह जल्दी उठकर नित्यकर्म करने के बाद स्नान कर लें।

इसके बाद अपने पूजा घर को स्वच्छ करें और पूजा की सारी सामग्री एकत्रित कर लें।

एक लकड़ी की चौकी लें और उसपर हरे रंग का वस्त्र बिछाएं। कांस्य पात्र को उसपर रखें और पात्र के ऊपर बुध देव की तस्वीर या प्रतिमा रखें और आसन लगाकर पूजा घर के सामने बैठ जाएं।

दिया जलाकर बुध देव की पूजा करनी चाहिए और नीचे दिए गए मंत्र का जाप करना चाहिए।

“बुध त्वं बुद्धिजनको बोधद: सर्वदा नणाम

तत्वावबोधं कुरुषे सोमपुत्र नमो नमः!”

आप बुध ग्रह से शुभ फल पाने के लिए बुध के बीज मंत्र का जाप भी कर सकते हैं।

“ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः

पुष्प, गंध, धूप, नैवेद्य, फल, फूल, दक्षिणा, पान, आदि बुधदेव को अर्पित करें।

ब्राह्मणों को भोजन करवाए और उनका आशीर्वाद लें।

हवन के समापन पर जितना हो सके दान करें।

बुधवार व्रत की कथा 

एक समय की बात है, समतापुर नगर में मधुसूदन नाम का एक व्यक्ति रहता था। उसका विवाह पास के ही नगर बलरामपुर की रहने वाली संगीता से संपन्न हुआ। वह दिखने में सुंदर और सुशील थी। एक दिन मधुसूदन अपनी पत्नी को लाने के लिए ससुराल पहुंचा।वह उसी दिन अपनी पत्नी को विदा करने की जिद पर अड़ रहा। लेकिन उस दिन बुधवार था। पत्नी के घरवाले समझने लगे कि बुधवार के दिन यात्रा करना अशुभ होता है। पर वह नहीं माना। संगीता के घर वालों को उसे बुधवार के दिन ही विदा करना पड़ा।

इस तरह वे दोनों बैलगाड़ी में बैठकर जाने लगे। कुछ दूरी तय करने के बाद रास्ते में बैलगाड़ी का एक पहिया टूट गया। फिर दोनों गाड़ी से उतरकर पैदल यात्रा करने लगे। इसी बीच संगीता को प्यास लगी। तभी मधुसूदन पानी लेने गया। जब वह पानी लेकर लौटा तो हैरान रह गया। उसने देखा कि उसकी पत्नी के साथ उसका कोई हमशक्ल बैठा है।

पास जाकर उसने हमशक्ल से पूछा कि कौन हो? इस पर उस आदमी ने कहा कि उसका नाम मधुसूदन है और वह संगीता का पति है। इसपर मधुसूदन भड़क गया और बोला कि ये झूठ है। असली मधुसूदन तो मैं हूं। मैं संगीता के लिए पानी लेने गया था। इसपर हमशक्ल ने कहा कि वह तो पानी लाकर संगीता को पिला भी दिया।

अब इनमें संगीता के असली पति होने को लेकर झगड़ा होने लगा। तभी उस नगर के राजा का एक सिपाही वहां पहुंचा। उन्होंने संगीता से पूछा कि उसके असली पति के बारे में सवाल किया। तब वह खुद दुविधा में थी। इसपर संगीता ने कोई जवाब नहीं दिया। फिर सिपाहियों ने उनको राजा के दरबार में पेश किया। पूरी कहानी सुनने के बाद दोनों को राजा ने जेल में डालने का आदेश दिया।

घबराया हुआ मधुसूदन इसके बाद बुधदेव को याद कर उनसे क्षमा मांगने लगा। इसके बाद वहां आकाशवाणी हुई कि मधुसूदन! तुमने संगीता के घर वालों की बात नहीं मानी और बुधवार को यात्रा किया। तुम्हारे इस अड़ियल बर्ताव से भगवान बुधदेव काफी नाराज हैं। उन्होंने ही ऐसी दुविधा पैदा की है।

तब मधुसूदन ने नम्र आवाज में कहा कि हे महाराज! उससे बड़ी गलती हो गई। वह आज के बाद से कभी भी बुधवार को यात्रा नहीं करेगा और हमेशा बुधवार के दिन व्रत भी रखेगा। क्षमा मांगने पर बुधदेव का क्रोध शांत हो गया। भगवान ने फिर मधुसूदन को क्षमा कर दिया। राजा के दरबार में मौजूद उसका हमशक्ल भी गायब हो गया। बुधदेव की कृपा से राजा ने फिर मधुसूदन और संगीता को विदा कर दिया।

राजमहल से जैसे ही वे आगे बढ़े, तो रास्ते में बैलगाड़ी भी सही सलामत मिल गई। दोनों एक साथ खुशी-खुशी अपने नगर लौट आए। इसके बाद से वे हर बुधवार का व्रत रखने लगे। उनका जीवन सरल और सुखमय हो गया। उनके कामकाज में भी उन्नति हुई।

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