Chaitra Navratri 2022 April: चैत्र नवरात्रि में इस सवारी पर आएंगी मां दुर्गा, जानिए तबाही या खुशहाली किसका है संकेत?

Chaitra Navratri 2022 April :शनिवार 2 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। ये नवरात्रि वासंतिक नवरात्रि भी कहलाती है। शक्ति की उपासना के पर्व चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा के आगमन का वाहन (vehicle) अश्व यानि घोड़ा है।

Published By :  Suman Mishra | Astrologer
Update:2022-03-29 10:12 IST

सांकेतिक तस्वीर, सौ. से सोशल मीडिया

Chaitra Navratri 2022 April

चैत्र नवरात्रि मां दुर्गा का वाहन

शनिवार 2 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। ये नवरात्रि वासंतिक नवरात्रि भी कहलाती है। शक्ति की उपासना के पर्व चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा के आगमन का वाहन (vehicle) अश्व यानि घोड़ा है। चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ 02 अप्रैल से होगा और इसका समापन 11 अप्रैल को है। इस दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरुपों का विधि विधान से पूजन किया जाएगा। चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को नवरात्रि की शुरुआत कलश स्थापना ( Kalash Asthapana) के साथ किया जाता है। इसी दिन से हिंदू नव वर्ष का आरंभ होगा।

माता रानी की विदाई भैसे पर होगी, क्योंकि सोमवार को नवरात्रि का आखिरी दिन है। रवि और सोम को अगर मां दुर्गा की विदाई होती है तो भैंसे पर जाती है।जो उथल पुथल रोग, कष्ट का प्रतीक है। माता के आगमन के साथ मां दुर्गा की विदाई के लिए भी अलग वाहन तय होता है। इस बार चैत्र नवरात्रि की रामनवमी तिथि 10 अप्रैल रविवार के दिन है। जब मां की विदाई रविवार अथवा सोमवार को होती है तब मां भैंसे की सवारी करके जाती है। इसका अर्थ है कि देश में रोग, कष्ट और दोष की संभावना बढ़ जाती है। लोगों को अपनी सेहत का अधिक ध्यान रखने की सलाह दी जाती है।

घोड़ा पर आ रही मां दुर्गा 

देवी भागवत ग्रंथ के अनुसार वैसे तो मां दुर्गा का वाहन सिंह है, लेकिन इसमें में बताया गया है कि हर साल नवरात्रि में देवी मां अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर धरती पर आती हैं। देवी के अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर आने से देश और जनता पर इसका अलग-अलग असर होता है।

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, आगमन के वाहन-

शशिसूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे।

गुरौ शुक्रे चदोलायां बुधे नौका प्रकी‌र्त्तिता ।।

सोमवार या रविवार को घट स्थापना होने पर मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं। शनिवार या मंगलवार को नवरात्रि की शुरुआत होने पर देवी का वाहन घोड़ा माना जाता है। गुरुवार या शुक्रवार को नवरात्र शुरू होने पर देवी डोली में बैठकर आती हैं।बुधवार से नवरात्र शुरू होने पर मां दुर्गा नाव पर सवार होकर आती हैं।

भैंसे पर होगी विदाई जानें प्रभाव

विदाई के वाहन मां दुर्गा आती भी वाहन से हैं और जाती भी वाहन से हैं। यानी जिस दिन नवरात्रि का अंतिम दिन होता है, उसी के अनुसार देवी का वाहन भी तय होता है।

देवी भागवत के अनुसार-

शशि सूर्य दिने यदि सा विजया महिषागमने रुज शोककरा।

शनि भौमदिने यदि सा विजया चरणायुध यानि करी विकला।।

बुधशुक्र दिने यदि सा विजया गजवाहन गा शुभ वृष्टिकरा।

सुरराजगुरौ यदि सा विजया नरवाहन गा शुभ सौख्य करा॥

रविवार या सोमवार को देवी भैंसे की सवारी से जाती हैं तो देश में रोग और शोक बढ़ता है। शनिवार या मंगलवार को देवी मुर्गे पर सवार होकर जाती हैं, जिससे दुख और कष्ट की वृद्धि होती है। बुधवार या शुक्रवार को देवी हाथी पर जाती हैं। इससे बारिश ज्यादा होती है। गुरुवार को मां दुर्गा मनुष्य की सवारी से जाती हैं। इससे जो सुख और शांति की वृद्धि होती है।

माता दुर्गा जिस वाहन से पृथ्वी पर आती हैं, उसके अनुसार सालभर होने वाली घटनाओं का भी आंकलन किया जाता है
गजे च जलदा देवी क्षत्र भंग स्तुरंगमे।
 नोकायां सर्वसिद्धि स्या ढोलायां मरणंधुवम्।।

देवी जब हाथी पर सवार होकर आती है तो पानी ज्यादा बरसता है। घोड़े पर आती हैं तो पड़ोसी देशों से युद्ध की आशंका बढ़ जाती है। देवी नौका पर आती हैं तो सभी की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और डोली पर आती हैं तो महामारी का भय बना रहता हैं।

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