Chaitra Navratri 2025 Third Day: मां चंद्रघंटा की पूजा से भय, चिंता और संकटों का होता है नाश, जानिए मां दुर्गा तीसरे स्वरूप की महिमा

Chaitra Navratri 2025 Third Day: चैत्र नवरात्रि तीसरे दिन किसकी पूजा होगी, इस दिन का शुभ मुहूर्त योग और तिथि नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है।;

Update:2025-04-01 06:00 IST

Chaitra Navratri 2025 Third Day (Photo - Social Media)

Chaitra Navratri 2025 Third Day: चैत्र नवरात्रि 2025 का तीसरा दिन, चैत्र नवरात्रि का तीसरा दिन मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की पूजा के लिए समर्पित है। यह दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इस दिन मां चंद्रघंटा की आराधना करने से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

मां चंद्रघंटा का स्वरूप

मां चंद्रघंटा का शरीर सोने के समान चमकता है। उनके दस हाथ और तीन नेत्र हैं। वे खड्ग और अन्य अस्त्र-शस्त्र धारण करती हैं और सिंह पर सवार रहती हैं। इनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र सुशोभित है, जिससे इन्हें "चंद्रघंटा" कहा जाता है। इनकी घंटे की ध्वनि से दुष्ट और राक्षस भयभीत रहते हैं।

चैत्र नवरात्रि 2025: मां चंद्रघंटा की पूजा का शुभ मुहूर्त

तिथि:

अभिजीत मुहूर्त: प्रातः 12:09 AM से 13:35 PM तक

अमृत काल: प्रातः 10:17 AM से 11:58 AM तक

ब्रह्म मुहूर्त: प्रातः 04:51 AM से 05:39 AM तक

गोधूलि मुहूर्त: संध्या 05:19 PM से 05:43 PM तक

इन शुभ समयों में मां चंद्रघंटा की पूजा करना अत्यंत फलदायी माना जाता है।

मां चंद्रघंटा की पूजा विधि-भोग

इस दिन  सुबह स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।मंदिर या पूजा स्थान की सफाई कर, मां चंद्रघंटा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।मां को गंगाजल, केसर, चंदन, फूल, धूप, दीप, और नैवेद्य अर्पित करें।

मंत्र जाप करें:

"पिण्डज प्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता। प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥"

इस मंत्र का 11 बार जाप करने से शुक्र ग्रह से संबंधित समस्याएं दूर होती हैं।

मां को दूध या दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं।

प्रसाद ग्रहण करें और बांटें।

मां चंद्रघंटा की कथा

पुराणों के अनुसार, जब महिषासुर ने स्वर्ग पर अधिकार कर लिया और देवताओं को कष्ट देने लगा, तब सभी देवताओं ने त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) से सहायता मांगी। त्रिदेवों के क्रोध से उत्पन्न ऊर्जा से देवी दुर्गा प्रकट हुईं, जिनमें सभी देवताओं ने अपनी शक्तियां समाहित कर दीं।

भगवान शिव ने त्रिशूल दिया।भगवान विष्णु ने चक्र प्रदान किया।इंद्रदेव ने घंटा दिया, जिससे मां का नाम "चंद्रघंटा" पड़ा।मां चंद्रघंटा ने महिषासुर का वध कर देवताओं को उनके अधिकार पुनः दिलाए।

मां चंद्रघंटा की उपासना का फलमां चंद्रघंटा की कृपा से निर्भयता, वीरता, और सौम्यता प्राप्त होती है।दिव्य सुगंधियों और अलौकिक ध्वनियों का अनुभव होता है।जीवन में शुक्र ग्रह से संबंधित सभी बाधाएं समाप्त हो जाती हैं।मां चंद्रघंटा की साधना से सभी दुखों और कष्टों का अंत हो जाता है।इस दिन सांवली रंग की महिला, जिनके चेहरे पर तेज हो, उन्हें घर बुलाकर सम्मानपूर्वक पूजन करें। उन्हें दही और हलवा खिलाएं और कलश या मंदिर की घंटी भेंट करें। इससे मां चंद्रघंटा की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

इस दिन मां चंद्रघंटा की पूजा करने से भय, कष्ट, और दुष्ट शक्तियों से मुक्ति मिलती है। मां की कृपा से सुख-समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसलिए इस शुभ दिन पर मां चंद्रघंटा का ध्यान अवश्य करें और उनके मंत्रों का जाप करें।

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