जयपुर: हिंदुओं का नया साल चैत्र नवरात्रि से शुरू होता है। इस साल चैत्र नवरात्रि 6 अप्रैल से शुरू हो रहे हैं। यूं तो साल में दो बार नवरात्रि आते हैं लेकिन दोनों ही नवरात्र का महत्व और पूजा विधि अलग है। नवरात्र में देवी मां की आराधना करने से मां भक्तों की मनोकामना पूरी करती हैं। इस दौरान भी मां की पूजा के साथ ही घट स्थापना की जाती है। घट स्थापना का मतलब है कलश की स्थापना करना। इसे सही मुहूर्त में ही करना चाहिए। इसके अलावा पूजा विधि का भी खास ख्याल रखना चाहिए। इस साल किस दिन पड़ेगा कौन सा नवरात्रि। साथ ही जानें किस मुहूर्त में करें घट स्थापना।
नवरात्रि तिथि पहला नवरात्रि 6 अप्रैल शनिवार को
दूसरा नवरात्रि 7 अप्रैल रविवार को
तीसरा नवरात्रि 8 अप्रैल सोमवार को
चौथा नवरात्रि 9 अप्रैल मंगलवार को
पंचमी नवरात्रि 10 अप्रैल बुधवार को
छष्ठी नवरात्रि 11 अप्रैल वीरवार को
सातवां नवरात्रि 12 अप्रैल शुक्रवार को
अष्टमी 13 अप्रैल शनिवार को
नवमी 14 अप्रैल रविवार को
मुहूर्त इस साल 6 अप्रैल शनिवार से नवरात्र शुरू हो रहे हैं। शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन अभिजीत मुहूर्त में 6 बजकर 9 मिनट से लेकर 10 बजकर 19 मिनट के बीच घट स्थापना करना बेहद शुभ होगा। प्रतिप्रदा तिथि: प्रतिप्रदा शुरू: = 14:20 5 अप्रैल, प्रतिप्रदा खत्म: 3 बजे तक 6 अप्रैल। इसलिए पहले से देवी की अर्पित की जाने वाली चीजें अर्पित कर दें। देवी को लाल रंग के वस्त्र, रोली, लाल चंदन, सिन्दूर, लाल साड़ी, लाल चुनरी, आभूषण अर्पित कर दें। घटस्थापना सुबह के समय की जाती है जो 9 दिन तक कलश वहीं रखा रहता है। कलश स्थापना के लिए चावल, सुपारी, रोली, मौली, जौ, सुगन्धित पुष्प, केसर, सिन्दूर, लौंग, इलायची, पान, सिंगार सामग्री, दूध, दही, गंगाजल, शहद, शक्कर, शुद्घ घी, वस्त्र, आभूषण, बिल्ब पत्र, यज्ञोपवीत, मिट्टी का कलश, मिट्टी का पात्र, दूर्वा, इत्र, चन्दन, चौकी, लाल वस्त्र, धूप, दीप, फूल, नैवेध, अबीर, गुलाल, स्वच्छ मिट्टी, थाली, कटोरी, जल, ताम्र कलश, रूई, नारियल आदि चीजों की जरूरत होगी। इसलिए पहले से ही इन पूजन साम्रगी को एकत्र कर लें। कलश एक मिट्टी के कलश पर स्वास्तिक बना कर उसके गले में मौली बांध कर उसके नीचे गेहूं या चावल डाल कर रखा जाता है और उसके बाद उस पर नारियल भी रखा जाता है।