Chaitra Navratri Kab Hai 2022: चैत्र नवरात्रि अप्रैल में कब से है, जानिए कलश स्थापना मुहूर्त व पूजा-विधि

Chaitra Navratri Kab Hai 2022 : चैत्र नवरात्रि से ही नया हिंदू नववर्ष शुरू होता है। मान्यता है कि नवरात्रि में सच्चे मन से आराधना और पूजा करने से माता अपने भक्तों पर विशेष कृपा बरसाती है और भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। चैत्र महीने को हिंदू नववर्ष का पहला महीना भी माना जाता हैं। इस बार चैत्र नवरात्रि में क्या है खास

Update:2022-03-29 08:23 IST

सांकेतिक तस्वीर, सौ. से सोशल मीडिया

Chaitra Navratri 2022 : 2 अप्रैल से शुरू हो रही चैत्र नवरात्रि में अब कुछ दिन ही शेष रह गए है। साल में 4 नवरात्रि में 2 गुप्त और एक चैत्र व शारदीय नवरात्रि आती है। इनमें चैत्र व शारदीय नवरात्रि का महत्व बहुत होता है। इस बार भी 2 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि और हिंदू नववर्ष आरंभ हो रहा है। जो नौ दिन तक चलेगा। इन नौ दिनों में देवी की नौ अलग-अलग रूपों में पूजा की जाती है।

बता दें कि चैत्र नवरात्रि  ( Chaitra Navratri) से ही नया हिंदू नववर्ष शुरू होता है। मान्यता है कि नवरात्रि में सच्चे मन से आराधना और पूजा करने से माता अपने भक्तों पर विशेष कृपा बरसाती है और भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। चैत्र महीने को हिंदू नववर्ष का पहला महीना भी माना जाता हैं। इस बार चैत्र नवरात्रि में क्या है खास…

चैत्र नवरात्रि शुभ मुहूर्त

इस बार चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 2 अप्रैल से हो रही है और और 11 अप्रैल 2022, दिन सोमवार को नवरात्रि का समापन होगा। इन दिनों में देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाएगी।

  • घटस्थापना शनिवार, अप्रैल 2, 2022 को
  • घटस्थापना मुहूर्त - 06:10 सुबह से 08:31 सुबह
  • अवधि - 02 घण्टे 21 मिनट्स
  • घटस्थापना अभिजित मुहूर्त - 12:00 दोपहर से 12:50 दोपहर तक
  • अवधि - 00 घण्टे 50 मिनट्स
  • घटस्थापना मुहूर्त प्रतिपदा तिथि पर है
  • प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ - अप्रैल 01, 2022 को 11:53 बजे सुबह से
  • प्रतिपदा तिथि समाप्त - अप्रैल 02, 2022 को 11:58 बजे सुबह तक

इसके साथ ही इस नवरात्रि में एक विशेष संयोग भी बनता दिख रहा है । इस बार नवरात्रि पर मकर राशि में शनि देव, मंगल के साथ रहेंगे, जो पराक्रम में वृद्धि करेंगे। रवि पुष्य नक्षत्र के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग नवरात्रि को स्वयं सिद्ध बनाएंगे। शनिवार से नवरात्रि का प्रारंभ शनिदेव का स्वयं की राशि मकर में मंगल के साथ रहना निश्चित ही सिद्धि कारक है। इससे कार्य में सफलता, मनोकामना की पूर्ति, साधना में सिद्धि मिलेगी। चैत्र नवरात्रि के दौरान कुंभ राशि में गुरु, शुक्र के साथ रहेगा। मीन में सूर्य, बुध के साथ, मेष में चंद्रमा, वृषभ में राहु, वृश्चिक में केतु विराजमान रहेंगे।

सांकेतिक तस्वीर, सौ. से सोशल मीडिया

नवरात्रि पूजा-विधि व सामग्री

नवरात्रि पूजा में कलश स्थापना और कन्या पूजा का विशेष महत्व होता है। उससे पहले पूजन सामग्री पर भी ध्यान दें। मां को भेंट के रूप में लाल चुनरी, चूड़ी, बिछिया, इत्र, सिंदूर, महावर, लाल बिन्द, शुद्ध मेहंदी,काजल,चोटी, माला या मंगल सूत्पा, पायल,कान की बाली आदि अर्पित करें। इससे मां आप पर प्रसन्न होंगी।

अगर देवी की मूर्ति धातु या चांदी की बनी हो तो ध्यान रहे इसे पीताम्बरी से साफ कर लें। घर के पूजा स्थल की एक दिन पहले ही साफ़ सफ़ाई समस्त देवी देवताओं के वस्त्रादि बदल दें। देवी दुर्गा की जो भी प्रतिमा स्थापित की है, उसमें माता का वाहन यानि शेर शांत मुद्रा में हो।पवित्र मिट्टी से बनाए गए वेदी पर कलश स्थापना की जाती है। वेदी पर जौ और गेंहू बो दें और उस पर मिट्टी या तांबे का कलश विधिपूर्वक स्थापित कर दें। इसके बाद वहां गणेश जी, नौ ग्रह, आदि को स्थापित करें तथा कलश पर मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित करें। इसके पश्चात माता रानी का षोडशोपचार पूजन करें।

नवरात्रों के दौरान भूलकर भी माता रानी को दूर्वा अर्पित न करें। इससे आपकी पूजा निष्फल हो सकती है। अगर घर में नवरात्रि के दौरान अखंड ज्योति जलाएं तो किसी भी हालात में घर को अकेला नहीं छोड़े यानि इस दौरान घर पर ताला नहीं होना चाहिए। देवी मां के आगे जलाया जाने वाला दीपक उनकी प्रतिमा या मूर्ति के बायीं ओर ही रखें और मूर्ति या जौ दायीं ओर बोएं।जब मातारानी की पूजा करें तो लाल या पीले आसन पर ही बैठें।इसके बाद आप श्रीदुर्गासप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ कर सकते हैं। इसके बाद अब आप प्रत्येक दिन के आधार पर मां दुर्गा के नौ स्वरूपों रोज विधि विधान से पूजा करें।

नवरात्रि में पढ़ें नौ देवियों के बीज मंत्र

शैलपुत्री: ह्रीं शिवायै नम:।

ब्रह्मचारिणी: ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:।

चन्द्रघण्टा: ऐं श्रीं शक्तयै नम:।

कूष्मांडा: ऐं ह्री देव्यै नम:।

स्कंदमाता: ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:।

कात्यायनी: क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम:।

कालरात्रि: क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:।

महागौरी: श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:।

सिद्धिदात्री: ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:।

चैत्र नवरात्रि 9 दिन किस किस देवी की पूजा

पहला दिन: मां शैलपुत्री पूजा, 02 अप्रैल

दूसरा दिन: मां ब्रह्मचारिणी पूजा, 03 अप्रैल

तीसरा दिन: मां चंद्रघंटा पूजा, 04 अप्रैल

चौथा दिन: मां कुष्मांडा पूजा, 05 अप्रैल

पांचवा दिन: देवी स्कंदमाता पूजा, 06 अप्रैल

छठां दिन: मां कात्यायनी पूजा, 07 अप्रैल

सातवां दिन: मां कालरात्रि पूजा, 08 अप्रैल

आठवां दिन: मां महागौरी पूजा, दुर्गाष्टमी, 09 अप्रैल

नौवां दिन: मां सिद्धिदात्री पूजा, 10 अप्रैल

पारण एवं हवन, 11 अप्रैल

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