Chaitra Navratri 2025: चैत्र नवरात्रि में क्यों की जाती है नीम के पेड़ की पूजा, कौन सी देवी होती हैं प्रसन्न

Navratri Me Neem Ke Ped Ki Puja Ka Mahtav: धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, नीम के पेड़ में देवी दुर्गा और देवी शीतला का वास माना जाता है, इसलिए चैत्र नवरात्रि के दौरान इसकी पूजा का विशेष महत्व होता है।;

Written By :  Jyotsna Singh
Update:2025-03-30 17:33 IST

Navratri Me Neem Ke Ped Ki Puja Ka Mahtav (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Chaitra Navratri 2025 Puja Niyam: हिंदू धर्म में वृक्षों का विशेष महत्व है और उनमें भी नीम के पेड़ को अत्यंत पवित्र माना गया है। इस पेड़ की पूजा करने से न सिर्फ धन धान्य और उत्तम स्वास्थ का फल प्राप्त होता है बल्कि देवी कृपा भी प्राप्त होती है। नीम का इस्तेमाल औषधि के क्षेत्र में भी बहुतायत से होता आया है। चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) हिंदू धर्म में एक विशेष पर्व है, जिसमें देवी दुर्गा के नौ रूपों की आराधना की जाती है। इस दौरान भक्त व्रत रखते हैं, मंदिरों में पूजा-अर्चना करते हैं और विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान संपन्न करते हैं।

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, नीम के पेड़ (Neem Tree) में देवी दुर्गा और देवी शीतला का वास माना जाता है, इसलिए चैत्र नवरात्रि के दौरान इसकी पूजा का विशेष महत्व होता है। आइए जानते हैं हम नीम के पेड़ के धार्मिक, आध्यात्मिक और आयुर्वेदिक महत्व के बारे में विस्तार से-

नीम के पेड़ का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व (Religious and Spiritual Significance of Neem Tree)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

1. देवी दुर्गा और नीम का संबंध

नीम का पेड़ पवित्र और औषधीय गुणों से भरपूर माना जाता है। हिंदू धर्म में इसे शक्ति स्वरूपिणी मां दुर्गा का प्रतीक माना गया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी दुर्गा की कृपा से यह वृक्ष अत्यंत शक्तिशाली और रोग नाशक बना।

कथा का वर्णन:-

एक बार पृथ्वी पर असुरों का भारी आक्रमण बढ़ गया। उनकी शक्ति इतनी बढ़ गई कि वे ऋषि-मुनियों और देवताओं को भी कष्ट देने लगे। जब ये पीड़ित देवगण और ऋषिगण देवी दुर्गा की शरण में गए, तो मां से उन्होंने कहा कि वे इस समस्या का समाधान करें। मां दुर्गा ने महिषासुर और अन्य देवताओं के विनाश के लिए युद्ध किया। इस युद्ध में जहां-जहां देवी जी का रक्त गिरा, वहां - वहां औषधीय वृक्ष उत्पन्न हुए। कहा जाता है कि जब देवी ने महिषासुर का वध किया, तब उनके शरीर से एक दिव्य ऊर्जा का संचार हुआ और इसी ऊर्जा से नीम का वृक्ष प्रकट हुआ। देवी दुर्गा ने आशीर्वाद दिया कि यह वृक्ष मानव जाति के लिए अमृततुल्य होगा। इसके पत्ते, बीज, फूल और जड़ें सभी रोगों को दूर करने में सक्षम होंगी।

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

2. देवी शीतला का वास

नीम के पेड़ को देवी शीतला का भी प्रतीक माना जाता है। लोक मान्यताओं के अनुसार, देवी शीतला संक्रमण और रोगों से रक्षा करने वाली देवी हैं और उनकी उपासना नीम के पत्तों के बिना अधूरी मानी जाती है।

शीतला माता की पूजा करने के पीछे की मान्यताएंः

शीतला माता की पूजा करने से चेचक, खसरा, बड़ी माता, छोटी माता जैसी बीमारियां नहीं होतीं। अगर हो भी जाए, तो उससे जल्दी ही छुटकारा मिलता है। शीतला माता की पूजा करने से घर-परिवार में खुशहाली आती है। शीतला माता की पूजा करने से संतान को उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है।शीतला माता की पूजा करने से शरीर निरोग रहता है। शीतला माता की पूजा करने से घर के सदस्यों को भी बुखार, चेचक, नेत्र संबंधी रोग और दूसरी गंभीर बीमारियों की शिकायत नहीं होती।

शीतला माता की पूजा कैसे करें (Shitla Mata Ki Puja Kaise Kare)

शीतला अष्टमी के दिन महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करती हैं और माता की पूजा करती हैं। इस दिन घर में चूल्हा नहीं जलाया जाता और एक दिन पहले बनाए गए भोजन को खाया जाता है। माता को मीठी रोटी, बेसन से बने पकवान, और ठंडे व्यंजन अर्पित किए जाते हैं।

3. नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियों से रक्षा

नीम को वास्तु और ज्योतिष शास्त्र में नकारात्मक ऊर्जा नष्ट करने वाला वृक्ष माना गया है। कहा जाता है कि यदि घर के पास नीम का पेड़ हो, तो वहां नकारात्मक शक्तियां प्रवेश नहीं कर पातीं और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

4. तांत्रिक और साधना में उपयोग

नीम का उपयोग कई तांत्रिक अनुष्ठानों और साधनाओं में किया जाता है। नवरात्रि के दौरान साधक नीम के पत्तों और टहनियों का उपयोग विभिन्न पूजन विधियों में करते हैं, जिससे आध्यात्मिक ऊर्जा बढ़ती है।

नवरात्रि में नीम के पेड़ की पूजा विधि (Navratri Mein Neem Ke Ped Ki Puja Vidhi)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

नवरात्रि के नौ दिनों में किसी भी दिन नीम के पेड़ की पूजा की जा सकती है। लेकिन सप्तमी, अष्टमी और नवमी तिथियों को इसका विशेष महत्व होता है। प्रातः काल या संध्या के समय इसकी पूजा करना शुभ माना जाता है।

पूजा सामग्री (Neem Ke Ped Ki Puja Ke Liye Samagri)

- जल

- दूध

- हल्दी और कुमकुम

- चंदन

- पुष्प और माला

- नारियल

- दीपक और अगरबत्ती

- गुड़ और प्रसाद

- लाल या पीला वस्त्र

पूजा विधि

- स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

- नीम के पेड़ के पास जाकर उसकी जड़ को जल और दूध से स्नान कराएं।

- तने पर हल्दी, कुमकुम और चंदन का लेप लगाएं।

- फूलों और माला से वृक्ष को सजाएं।

- घी का दीपक जलाएँ और धूप-अगरबत्ती दिखाएं।

- देवी दुर्गा और शीतला माता के मंत्रों का जाप करें।

- नारियल और गुड़ का प्रसाद अर्पित करें।

- वृक्ष की सात बार परिक्रमा करें।

- पूजा के बाद नीम के पत्तों को घर में रखें या सेवन करें।

नीम के पेड़ की पूजा के लाभ (Neem Ke Ped Ki Puja Ke Labh)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

1. आध्यात्मिक उन्नति

नीम के वृक्ष के नीचे बैठकर पूजा और ध्यान करने से साधक की आध्यात्मिक उन्नति होती है और आत्मिक बल प्राप्त होता है।

2. ग्रह दोषों का निवारण

नीम की पूजा से राहु और केतु के दोष दूर होते हैं। जिन लोगों की कुंडली में ये ग्रह अशुभ स्थिति में होते हैं, वे नवरात्रि में नीम की पूजा करके लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

3. परिवार में सुख-समृद्धि

नीम की पूजा करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है और परिवार में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।

4. रोग नाश और स्वास्थ्य लाभ

नीम का सेवन शरीर को रोगमुक्त और ऊर्जावान बनाए रखता है। नीम की पत्तियां शरीर को शुद्ध करती हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती हैं। इसके अलावा नीम की सूखी लकड़ियों और पत्तियों का प्रयोग विशेष रूप से हवन, यज्ञ और पवित्र अग्नि में किया जाता है। नीम को शुद्धि और रोगनाशक गुणों के कारण धार्मिक अनुष्ठानों में महत्वपूर्ण माना जाता है।

पूजा में उपयोग के कुछ प्रमुख तरीके:


1. हवन और यज्ञ

नीम की सूखी लकड़ियां और पत्तियां हवन सामग्रियों में शामिल की जाती हैं, जिससे वातावरण शुद्ध होता है।

2. धूप और समिधा

नीम की लकड़ी को धूप के रूप में जलाने से कीटाणु नष्ट होते हैं और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।

3. द्वार पर तोरण

सुखी या हरी नीम की पत्तियां तोरण बनाने के लिए भी उपयोग की जाती हैं। मुख्य दरवाजे पर जिसे लगाने से घर की शुद्धि होती है। वहीं, नवरात्र पूजा में ताजे पत्तों का अधिक प्रचलन है। लेकिन सूखी पत्तियां और लकड़ियां भी शुभ मानी जाती हैं।

नीम का आयुर्वेदिक महत्व (Neem Ayurvedic Importance)

नीम को भारतीय चिकित्सा प्रणाली आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण औषधि माना गया है। इसे कई बीमारियों के उपचार में उपयोग किया जाता है।

1. त्वचा रोगों में उपयोगी

नीम की पत्तियां एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुणों से भरपूर होती हैं, जो त्वचा रोगों जैसे एक्जिमा, खुजली और मुहाँसों में लाभकारी होती हैं।

2. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है

नीम का सेवन करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और यह सर्दी-खांसी, बुखार और अन्य संक्रामक रोगों से बचाव करता है।

3. पेट की बीमारियों में लाभकारी

नीम का काढ़ा पेट की गैस, अपच और पेट के कीड़ों को खत्म करने में सहायक होता है।

4. मधुमेह में सहायक

नीम के पत्तों का सेवन रक्त में शुगर के स्तर को नियंत्रित करता है, जिससे यह मधुमेह के रोगियों के लिए लाभकारी होता है।

5. दांतों और मसूड़ों के लिए फायदेमंद

नीम की दातून का उपयोग करने से मसूड़े मजबूत होते हैं और मुंह की दुर्गंध दूर होती है। अनगिनत स्वास्थ्य लाभ के साथ चैत्र नवरात्रि में नीम के पेड़ की पूजा अत्यंत शुभ मानी जाती है। यह न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि आध्यात्मिक और स्वास्थ्य लाभ भी प्रदान करता है। देवी दुर्गा और देवी शीतला की कृपा प्राप्त करने के लिए भक्तों को नवरात्रि के दौरान नीम के वृक्ष की पूजा अवश्य करनी चाहिए। इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

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