नवरात्रि में करें इस मंत्र का जाप, हर कष्ट होगा दूर, मिलेगा सौभाग्य
श्रीमार्कण्डेय पुराण के अनुसार देवी माहात्म्य 'श्लोक', 'अर्ध श्लोक' और 'उवाच' आदि मिलाकर 700 मंत्र है।
लखनऊ: इस बार चैत्र माह का नवरात्र 13 अप्रैल से शुरू हो रहा है। शक्ति की देवी मां दुर्गा की उपासना का पर्व है चैत्र नवरात्रि। नवरात्र नौ दिनों की पूजा होती है जिसमें नौ देवियों के अलग अलग रूप की पूजा होती है। नवरात्रि के नौ दिनों में कलश स्थापना के साथ इसकी शुरुआत हो जाती है।
लोग हर रोज ईश्वर की आराधना करते हैं। विश्वास के साथ दिन की शुरूआत करते है, फिर कुछ लोगों के साथ अनहोनी हो जाती है। इससे बचने के उपाय है।
देवी माहात्म्य
श्रीमार्कण्डेय पुराण के अनुसार देवी माहात्म्य 'श्लोक', 'अर्ध श्लोक' और 'उवाच' आदि मिलाकर 700 मंत्र है। ये महात्म्य दुर्गासप्तशती के नाम से जाना जाता है । देवी सप्तशती से लोगों का कल्याण तो होता है, ये अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष चारों पुरुषार्थो को प्रदान करने वाला भी है। जिस भाव और कामना से आप मंत्रोच्चार करते हैं, वैसा ही पल ही मिलता है। आज हम आपको बताएंगे कि देवी मां के किस मंत्र के जाप से कौन सा काम सिद्ध होता है।
इस बार भी नवरात्रि के मौके पर कोरोना का कहर है। इसलिए लोग मंदिरों में जाने की बजाय घर पर पूजा अर्चना करना पसंद करेंगे।
दारिद्रयदु:खादि नाश:
प्रतिदिन सुबह उठे ।स्नान करके कुश का आसन बिछाकर ईष्ट के सामने इस मंत्र का जाप करें दुख -विपत्ति आपके पास फटके भी नहीं।
दुर्गे समृता हरषि भीषशेषजन्तो स्वस्थे
स्मृता मतिमतीव शुभआं ददासि
दारिद्रर्यदु;खादि भयहारिणि का त्वदन्या
सर्वोपकारकारणाय सदा डडर्द्रचित्ता
रक्षा पाने के लिए
अगर लोग आपसे दुश्मनी साध रहे है। आपका अहित हो रहा है तो मातारानी का ध्यान करें । इस मंत्र से मां प्रसन्न होती है और अपने भक्तों के कल्याण के लिए सदैव तत्पर रहती है।
शुलेन हि नो देवि पाहि खड्गेन चांबिके
घंटास्वेनन न: पहि चापज्यानि:स्वेनन च।
आरोग्य सौभाग्य
जीवन में दुर्भाग्य ने डेरा डाल रखा है। आप हताश हो गए है तो पुराणों में कहा गया है कि ईश्वर का ध्यान करें। इसके लिए सहज उपाय है आप इस मंत्र का जाप करें।
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि में परम सुखम ।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहिं।
शुभ प्राप्ति के लिए
अगर जीवन में केवल नकारात्मक प्रभाव पड़ रहे है तो नियमित रूप से इस मंत्र का जाप करें। सुख-शांति आपके द्वार जरूर आएगी
करोतु सा न:शुभ हेतुरीश्वरी
शुभानि भद्रांयभिहतुं चापद:।।
विपत्ति नाश
ये मंत्र हर तरह की बाधा का नाश करता है जो भी इस मंत्र का प्रतिदिन जाप करता है। उसके ऊपर कोई भी विपत्ति नहीं आती हैं।
शरणागतदीनार्त परित्राणपरायणे ।
सर्वस्यतिहरे देवि नारायणि नमोडस्तु ते ।।
अशुभ-भय का नाश
देवी दुर्गा के इस स्त्रोत का प्रतिदिन जाप करने से शत्रु का भय नहीं रहता है। रोज सुबह नहाकर अगर इस मंत्र का जाप किया जाएं तो अशुभ के प्रभाव को भी कम कर सकते हैं।
यस्या: प्रभावमतुलं भगवानन्तों ।
ब्रह्म हरश्च न हि वक्तुमलं बलं च।।
सा चंडिकाखिल जगत्परि पालनाय।
नाशाय चाशुभभयस्य मतिं करोतु ।।
इसके अलावा ये मंत्र फलदायी
सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।
या देवी सर्वभूतेषु.. शक्तिरूपेण संस्थिता:
नमस्तस्यै.. नमस्तस्यै.. नमस्तस्यै नमो नम:
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
* या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
| ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॐ ||
॥ ॐ ह्रीं दुं दुर्गाय नमः ॥
या देवी सर्वभूतेषु भक्ति रूपेण संस्थिता| नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ||
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।। 3. नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।