Chandra Grahan 2021: चंद्रग्रहण के बाद इन चीजों का करें दान, जानें दान की क्या है परंपरा
Chandra Grahan 2021: 26 मई यानी आज साल का पहला चंद्र ग्रहण लगने वाला है।
Chandra Grahan 2021: 26 मई यानी आज साल का पहला चंद्र ग्रहण लग रहा है। लेकिन ये चंद्र ग्रहण भारत में हर जगह नहीं दिखने वाला। ये चंद्र ग्रहण चंद मिनटों के लिए पूर्वोत्तर के राज्यों में ही दिखेगा। ये बात सुनकर आपको थोड़ा सुकून मिलेगा कि इस चंद्र ग्रहण के लगने से कोई लाभ या हानि नहीं होगा। लेकिन ग्रह-नक्षत्रों के अनुसार महामारी का असर कुछ कम ज़रूर हो सकता है। इसकी वजह से कुछ भौगोलिक उथल-पुथल होने की संभावना है।
बता दें, आज ये चंद्र ग्रहण दोपहर 3:15 पर आरम्भ होगा जो 6 बजकर 23 मिनट तक रहेगा। ये भारत में केवल पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा साथ ही ओडिशा के तटीय भागों, अंडमान निकोबार में नजर आ सकता है।
चंद्र ग्रहण के बाद लोग कई तरह के काम करते है। ये एक परंपरा मानी जाती है। जिसमें घर की साफ सफाई से लेकर, मंदिर को पूरी तरह से साफ करना, चंद्र ग्रहण के बाद स्नान करना साथ ही दान करना, सभी विशेष महत्व रखते हैं। कुछ ख़ास वस्तुओं को दान कर आप अपने और अपने परिवार के जीवन से हर तरह की मुश्किल दूर कर सकते हैं। आइए जानते हैं आप कौन कौन सी वस्तुओं को दान कर सकते हैं।
आर्थिक समस्या से मुख्ति
चंद्र ग्रहण को देखते हुए आप सफ़ेद वस्तुओं का दान कर सकते हैं। इसमें चावल दान करना चाहिए। चावल दान करने से आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और घर में खुशियां आएगी।
परिवार से दूर रहे रोग
इस कोरोना काल में चंद्र ग्रहण पर दान कर रहे हैं तो चांदी को दान करना लाभकारी होगा। इसमें चांदी की कटोरी, चांदी का सिक्का, या कोई भी ऐसी चीज़ जो चांदी से बनी हो। इसे किसी ज़रूरतमंद को दान करें तभी इसका फल मिलेगा ।
संपत्ति की परेशानी
जिन्हें संपत्ति संबंधित कोई परेशानी हैं वो ग्रहण के बाद स्नान करके तिल या कोई मिठाई जिसमें तिल का प्रयोग हुआ हो उसे भी आप दान कर सकते हैं ।
दान की परंपरा
हिन्दू धर्म में दान का ख़ास महत्वा है। अपने योग्य के अनुसार दान करना भी एक महत्वपूर्ण काम है। धर्म ग्रंथों में कहा गया है कि अपनी कमाई का न्यूनतम हिस्सा जरूरतमंदों को दान करना चाहिए। दान का मतलब होता है देना । जो स्वयं की इच्छा से देकर वापस ना ली जाए उसे ही दान कहते हैं। दान में अन्न, जल, धन-धान्य, शिक्षा, गाय, बैल दे सकते है।
दान का विधान किसके लिए
दान का विधान उन लोगों के लिए हैं जो बड़ी कठिनाई से अपने परिवार का पेट भर पाते हैं। ना की उनके लिए जो पहले से ही धन-धान्य से संपन्न हैं । प्राचीन काल में ब्राह्मण को दान का सद्पात्र माना जाता था। क्योंकि ब्राह्मण ही संपूर्ण समाज को शिक्षित किया करते थे।अगर आपके समर्पण का आदर करते हुए किसी ने आपके द्वारा दिया दान स्वीकार लिया तो उसे धन्यवाद के रूप में दी जाने वाली 'दक्षिणा' है। इसी लिए दान के बाद जो दक्षिणा दी जाती है उसका विशेष महत्व होता है।