Chandra Grahan कब है? 2021: गर्भवती महिला को चंद्र ग्रहण में क्या करना चाहिए? इन पुराणों में ग्रहण का जिक्र
Chandra Grahan 2021: ग्रहण का वर्णन वेद-पुराणों में ऋग्वेद, भागवत, रामायण, मत्स्य- स्कंदपुराण और महाभारत में मिलता है।
Chandra Grahan 2021 : कोरोना की दूसरी लहर के दौरान साल 2021 का पहला चंद्र ग्रहण 26 मई को लग रहा है। अनुराधा नक्षत्र और वृश्चिक राशि में लगने वाला चंद्र गहण कई मायनों में खास है। वेद पुराणों में वर्णित खगोलीय घटना चंद्र ग्रहण का धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों दृष्टि से चंद्र ग्रहण का अपना महत्व है। कुछ धर्मग्रंथों में ग्रहण का वर्णन और उस दौरान बहुत सी बातों को ना करने की मनाही भी है।
जानते हैं किस-किस धर्मग्रंथ में ग्रहण की चर्चा
धर्मग्रंथों में चंद्र और सूर्य ग्रहण के बारे मे बताया गया है। इसके बारें में महर्षि अत्रि को विस्तृत जानकारी थी। उन्होंने ही चंद्र और सूर्य ग्रहण की घटना और पृथ्वी , सूर्य और चंद्र की स्थिति से सबको अवगत कराया था। ग्रहण का वर्णन वेद-पुराणों में ऋगवेद, भागवत, रामायण, मत्स्य पुराण, देवी पुराण और महाभारत में भी वर्णन मिलता है।
राहु-केतु की चालाकी और चंद्रमा का खुलासा
ग्रहण से जुड़ी धार्मिक कथा में भी चंद्र-सूर्य ग्रहण का जिक्र है। राहु-केतु वजह की वजह से भी ग्रहण लगता है। एक धार्मिक पुरातन कथा के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान देवताओं और राक्षसों के बीच अमृत को लेकर युद्ध चल रहा था। तब भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लेकर सब अमृत का पान देवताओं को करा दिया, तब धोखे से दो राक्षसों राहु-केतू ने भी अमृत पान कर लिया था, इसके बारे में चंद्र से देवताओं के सामने बता दिया तो फिर भगवान विष्णु ने उनके कंठ अमृत को नीचे नहीं उतरने दिया और अपने चक्र से उनका धड़ सिर से अलग कर दिया। इस वजह से राहु-केतु ने चंद्र को दुश्मन मान लिया ।उसके बाद से ही ग्रहण के लिए राहु-केतु को वजह माना जाता है। ग्रहण से जुड़ी बातों का वर्णन स्कंदपुराण के अवनंति खंड में भी मिलता है। साथ ही ग्रहण के दौरान पड़ने वाले प्रभावों से भी अवगत कराया जाता है।
इसके अलावा महाभारत के युद्ध के दौरान जयद्रथ वध के समय ग्रहण का वर्णन मिलता है।
गर्भवती महिला को चंद्र ग्रहण में क्या करना चाहिए?
- धार्मिक मतानुसार ग्रहण के दौरान बहुत सी बातों का पालन करना चाहिए। खासकर गर्भवती महिलाओं को इन बातों का ध्यान रखने से गर्भ में पल रहे शिशु को नुकसान नहीं पहुंचता है।
- गर्भवती महिलाओं को ग्रहण नहीं देखना चाहिए। उस दौरान घर से नहीं निकलना चाहिए। इसका गर्भस्थ शिशु के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है।
- ग्रहण के दौरान गर्भवती स्त्री को चाकू, छुरी, कैंची और सुई के इस्तेमाल से दूर रहना चाहिए। इससे ग्रहण का असर नहीं पड़ता है।
- ग्रहण के दौरान अग खाना बच गया तो उसे खाना निषेध है। उसे सूर्य-चंद्र की हानिकारण किरण दूषित कर देती है।
- ग्रहण के दौरान खाने से बचना चाहिए अगर भूख लगे भी तो पेय पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
- महिलाओं का दूध, दही का सेवन नहीं करना चाहिए , इससे गर्भस्थ शिशु पर इसका असर पड़ता है।
- चंद्र ग्रहण के दौरान महिलाओं को मंत्रों भगवान का ध्यान करना चाहिए। चंद्र मंत्र का जाप कर गर्भ में पल रहे शिशु की रक्षा करना चाहिए।
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