Chandra Grahan 2021: भारत में नहीं दिखाई देगा चंद्र ग्रहण, जानिए क्या होगा प्रभाव

वैदिक सूत्रम चेयरमैन एस्ट्रोलॉजर पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि वर्ष 2021 में वैसाख माह की पूर्णिमा के दिन इस बार चंद्रग्रहण 26 मई, 2021 दिन बुधवार को वृश्चिक राशि और अनुराधा नक्षत्र में लगेगा।

Published By :  Monika
Update: 2021-05-25 17:26 GMT

26 मई को लगेगा चन्द्र ग्रहण (सांकेतिक फोटो : सौ.से सोशल मीडिया )

आगरा: वैदिक सूत्र में चेयरमैन एस्ट्रोलॉजर पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि वर्ष 2021 में वैसाख माह की पूर्णिमा के दिन इस बार चंद्रग्रहण 26 मई, 2021 दिन बुधवार को वृश्चिक राशि और अनुराधा नक्षत्र में लगेगा। चंद्रमा पर आंशिक ग्रहण दोपहर में करीब सवा तीन बजे शुरू होगा और शाम को 7 बजकर 19 मिनट तक रहेगा। यह चन्द्र ग्रहण पूर्वी एशिया, प्रशांत महासागर, उत्तरी व दक्षिण अमेरिका के ज्यादातर हिस्सों और ऑस्ट्रेलिया से पूर्ण चंद्रग्रहण दिखाई देगा। भारत के अधिकांश हिस्सों में पूर्ण ग्रहण के दौरान चंद्रमा पूर्वी क्षितिज से नीचे होगा और इसलिए देश के लोग पूर्ण चंद्रग्रहण नहीं देख पाएंगे। लेकिन पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों के लोग आंशिक चंद्र ग्रहण का आखिरी हिस्सा ही देख पाएंगे, वह भी पूर्वी आसमान से बहुत करीब, जब चंद्रमा निकल ही रहा होगा।

एस्ट्रोलॉजर पंडित प्रमोद गौतम ने बताया हिन्दू ज्योतिशास्त्र के अनुसार, यह चंद्रग्रहण 26 मई, 2021 के दिन दोपहर में करीब 3.15 बजे शुरू होगा और शाम के समय 7 बजकर 19 मिनट तक जारी रहेगा।

चंद्रग्रहण प्रारंभ- 26 मई, बुधवार को दोपहर 3:15 मिनट पर शुरू

चंद्रग्रहण समाप्त- 7:19 बजे पर समाप्त

चंद्रग्रहण का सूतक काल

एस्ट्रोलॉजर पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि वैदिक हिन्दू ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चन्द्र ग्रहण का सूतक काल ग्रहण के 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है। परन्तु यह एक उपच्छाया चंद्र ग्रहण है और भारत में यह दिखाई भी नहीं पड़ेगा। इसलिए इस चंद्रग्रहण का कोई सूतक काल नहीं होगा।

क्या है रेड ब्लड मून?

पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि 26 मई 2021 को लगने वाला चंद्रग्रहण एक खास खगोलीय घटना होगी क्योंकि एक ही बार में सुपरमून, चंद्र ग्रहण और लाल रक्त चंद्रमा होगा। जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है तो चंद्रग्रहण होता है। इस स्थिति के कारण पृथ्वी की छाया चन्द्रमा की पूरी रोशनी को ढक लेती है। ऐसे में सूर्य की रोशनी पृथ्वी की वायुमंडल से टकराकर जब रोशनी चांद पर पड़ती है तो चांद चमकीला हो जाता है। जब चन्द्रमा धीरे-धीरे धरती के पीछे पहुंचता है तो उसका रंग अधिक गहरा हो जाता है और तांबे के रंग जैसा यानी गहरा लाल दिखने लगता है। इस रंग के कारण इसे ब्लड मून कहा जाता है।

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