Chandra Grahan 2023: 28 अक्टूबर को होगा खंडग्रास चन्द्रग्रहण, गर्भवती महिलाएं भूल कर भी न करें ये काम

Chandra Grahan 2023: इस ग्रहण की गहरी छाया 29 अक्टूबर की रात 1 बजकर 5 मिनट से शुरू होकर 2 बजकर 24 मिनट पर समाप्त होगी, जिसका समय एक घंटा 19 मिनट होगा। यह ग्रहण मेष राशि और अश्विनी नक्षत्र में लगने जा रहा है।

Written By :  Sankata Prasad Dwived
Update:2023-10-28 19:05 IST

Chandra Grahan 2023 (Pic:Social Media)

Chandra Grahan 2023: आज लगने वाला चंद्र ग्रहण रात 11 बजकर 30 मिनट पर शुरू हो जाएगा और इसका समापन देर रात 3 बजकर 56 मिनट पर होगा। इस ग्रहण की गहरी छाया 29 अक्टूबर की रात 1 बजकर 5 मिनट से शुरू होकर 2 बजकर 24 मिनट पर समाप्त होगी, जिसका समय एक घंटा 19 मिनट होगा। यह ग्रहण मेष राशि और अश्विनी नक्षत्र में लगने जा रहा है। चंद्र ग्रहण का सूतक काल 9 घंटे पहले ही लग जाता है इसलिए, इसका सूतक 28 अक्टूबर यानी आज शाम 4 बजकर 5 मिनट पर शुरू हो जाएगा।

ग्रहण में क्या करें क्या न करें

  • चन्द्रग्रहण और सूर्यग्रहण के समय संयम रखकर जप-ध्यान करने से कई गुना फल होता है। श्रेष्ठ साधक उस समय उपवास पूर्वक ब्राह्मी घृत का स्पर्श करके 'ॐ नमो नारायणाय' मंत्र का आठ हजार जप करने के पश्चात ग्रहणशुद्धि होने पर उस घृत को पी ले। ऐसा करने से वह मेधा ( धारणशक्ति ) कवित्वशक्ति तथा वाक् सिद्धि प्राप्त कर लेता है।
  • सूर्यग्रहण या चन्द्रग्रहण के समय भोजन करने वाला मनुष्य जितने अन्न के दाने खाता है, उतने वर्षों तक 'अरुन्तुद' नरक में वास करता है।
  • सूर्यग्रहण में ग्रहण चार प्रहर (12 घंटे) पूर्व और चन्द्र ग्रहण में तीन प्रहर (9) घंटे पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए। बूढ़े, बालक और रोगी डेढ़ प्रहर (साढ़े चार घंटे) पूर्व तक खा सकते हैं।
  • ग्रहण-वेध के पहले जिन पदार्थों में कुश या तुलसी की पत्तियाँ डाल दी जाती हैं, वे पदार्थ दूषित नहीं होते। पके हुए अन्न का त्याग करके उसे गाय, कुत्ते को डालकर नया भोजन बनाना चाहिए।
  • ग्रहण वेध के प्रारम्भ में तिल या कुश मिश्रित जल का उपयोग भी अत्यंत आवश्यक परिस्थिति में ही करना चाहिए और ग्रहण शुरू होने से अंत तक अन्न या जल नहीं लेना चाहिए।
  • ग्रहण के स्पर्श के समय स्नान, मध्य के समय होम, देव-पूजन और श्राद्ध तथा अंत में सचैल (वस्त्रसहित) स्नान करना चाहिए। स्त्रियाँ सिर धोये बिना भी स्नान कर सकती हैं।
  • ग्रहण पूरा होने पर सूर्य या चन्द्र, जिसका ग्रहण हो उसका शुद्ध बिम्ब देखकर भोजन करना चाहिए।
  • ग्रहणकाल में स्पर्श किये हुए वस्त्र आदि की शुद्धि हेतु बाद में उसे धो देना चाहिए तथा स्वयं भी वस्त्रसहित स्नान करना चाहिए।
  • ग्रहण के स्नान में कोई मंत्र नहीं बोलना चाहिए। ग्रहण के स्नान में गरम जल की अपेक्षा ठंडा जल, ठंडे जल में भी दूसरे के हाथ से निकाले हुए जल की अपेक्षा अपने हाथ से निकाला हुआ, निकाले हुए की अपेक्षा जमीन में भरा हुआ, भरे हुए की अपेक्षा बहता हुआ, (साधारण) बहते हुए की अपेक्षा सरोवर का, सरोवर की अपेक्षा नदी का, अन्य नदियों की अपेक्षा गंगा जी का जल पवित्र माना जाता है।
  • ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरूरतमंदों को वस्त्रदान से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है।
  • ग्रहण के दिन पत्ते, तिनके, लकड़ी और फूल नहीं तोड़ने चाहिए। बाल तथा वस्त्र नहीं निचोड़ने चाहिए व दंतधावन नहीं करना चाहिए। ग्रहण के समय ताला खोलना, सोना, मल-मूत्र का त्याग, मैथुन और भोजन – ये सब कार्य वर्जित हैं।
  • ग्रहण के समय सोने से रोगी, लघुशंका करने से दरिद्र, मल त्यागने से कीड़ा, स्त्री प्रसंग करने से सुअर और उबटन लगाने से व्यक्ति कोढ़ी होता है। गर्भवती महिला को ग्रहण के समय विशेष सावधान रहना चाहिए।
  • ग्रहण उपरांत स्नान करके दानादि का ग्रहण में महाफल है।
  • भगवान वेदव्यासजी ने परम हितकारी वचन कहे हैं- 'सामान्य दिन से चन्द्रग्रहण में किया गया पुण्यकर्म ( जप, ध्यान, दान आदि ) एक लाख गुना और सूर्य ग्रहण में दस लाख गुना फलदायी होता है। यदि गंगाजल पास में हो तो चन्द्रग्रहण में एक करोड़ गुना और सूर्यग्रहण में दस करोड़ गुना फलदायी होता है।'
  • ग्रहण के समय गुरुमंत्र, इष्टमंत्र अथवा भगवन्नाम-जप अवश्य करें, न करने से मंत्र को मलिनता प्राप्त होती है।
  • ग्रहण के अवसर पर दूसरे का अन्न खाने से बारह वर्षों का एकत्र किया हुआ सब पुण्य नष्ट हो जाता है। ( स्कन्द पुराण )
  • भूकंप एवं ग्रहण के अवसर पर पृथ्वी को खोदना नहीं चाहिए।
  • अस्त के समय सूर्य और चन्द्रमा को रोगभय के कारण नहीं देखना चाहिए।

(देवी भागवत)

( ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्णजन्म खं. 75.24 )

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