Chandra Grahan 2021 : साल का पहला चंद्र ग्रहण आज, जानें क्या करें और क्या न करें ?

Chandra Grahan 2021 : आज साल का पहला चंद्र ग्रहण निकलने जा रहा है। आज दोपहर 02 बजकर 17 मिनट पर शुरू होगा।

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Published By :  Shraddha
Update: 2021-05-26 04:39 GMT

 चंद्र ग्रहण (कांसेप्ट फोटो सौ. से सोशल मीडिया)

Chandra Grahan 2021 : आज साल का पहला चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan) निकलने जा रहा है। बताया जाता है कि जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है और चंद्रमा पृथ्वी की छाया से होकर गुजरता है तो इसे चंद्र ग्रहण कहा जाता है। 26 मई को साल का पहला चंद्र ग्रहण निकलने वाला है। पंचांग के अनुसार आज दोपहर 02 बजकर 17 मिनट पर शुरू होगा और इसकी समाप्ति 07 बजकर 19 मिनट पर होगी।

आपको बता दें कि साल 2021 का ये चंद्र ग्रहण वैशाख पूर्णिमा के दिन वृश्चिक राशि और अनुराधा नक्षत्र में लग रहा है। इस चंद्र ग्रहण को ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत महासागर, पूर्वी एशिया और अमेरिका के कई क्षेत्रों में देखा जा सकेगा। इन जगहों पर पूर्ण चंद्र ग्रहण की तरह दिखेगा। इसी के साथ भारत में यह उपछाया चंद्र ग्रहण की तरह दिखेगा।

चंद्र ग्रहण में क्या न करें ?

हिंदू धर्म में चंद्र ग्रहण लगने पर कई तरह की मान्यताएं हैं। जिसे लोग सालों से मानते हुए आए हैं। जब चंद्र ग्रहण लगता है तो कई कामों को करना वर्जित माना गया है। तो जानते हैं आज इस ग्रहण के लगने पर कौन सा काम नहीं करना चाहिए।

  • चंद्र ग्रहण के दौरान किसी भी तरह से शुभ काम न करें।
  • ग्रहण के समय भोजन बनाने से बचे।
  • भगवान की मूर्तियों को न छुएं और तुलसी के पत्तों को भी न छुएं।
  • ग्रहण के समय वाद - विवाद होने से बचें।
  • बालों में कंघी न करें।
  • ग्रहण काल में गर्भवती महिलाएं घर से बाहर जाने से बचें।
  • ग्रहण काम के समय शारीरिक संबंध न बनाए।
  • धारदार वस्तुओं का इस्तेमाल न करें।

ग्रहण लगने पर क्या करें ?

  • ग्रहण लगने से पहले खाने पीने की सभी चीजों में तुलसी की पत्ती डाल दें।
  • ग्रहण लगने पर मन ही मन भगवान की प्रार्थना करें।
  • ग्रहण खत्म होने के बाद आटा, दाल, चावल, चीनी आदि चीजों का सामान दान करें।
  • ग्रहण के समय मंत्रोचारण करें इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है।
  • ग्रहण की समाप्ति के बाद घर की सफाई करें और खुद भी स्नान कर लें।

चंद्र ग्रहण के दौरान इन मंत्रो का करें जाप

तमोमय महाभीम सोमसूर्यविमर्दन ।

हेमताराप्रदानेन मम शांतिप्रदो भव।।

विधुंतुद नमस्तुभय्म सिंहिकानन्दनाच्युत।

दानेनानेन नागस्य रक्ष मां वेधजाअभ्यात ।।


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