Sawan 2022: सावन के महीने में इस मंत्र को जपने मात्र से मिलेगी समस्त कष्टों से मुक्ति, बन जाएंगे सारे बिगड़े काम

Sawan 2022 : इस मंत्र के प्रभाव से इंसान मौत के मुंह में जाते -जाते वापस आ जाता है। इतना ही नहीं मरणासन्न रोगी के समक्ष इस मंत्र का उच्चार करने मात्र से व्यक्ति महाकाल शिव की अद्भुत कृपा से वापस जीवन प्राप्त कर लेता है।

Written By :  Preeti Mishra
Update:2022-07-07 16:51 IST

bhagwan shiv mahamritunjay mantr( Image credit: Newstrack)

Sawan 2022: सावन का महीना भगवान् शंकर को समर्पित महीना माना जाता है। कहा जाता है महादेव को खुश /प्रसन्न करने के लिए यह मास अत्यंत शुभ और पवित्र है। मान्यताओं के अनुसार सिर्फ इंसान ही नहीं बल्कि देवता गण भी महादेव् को प्रसन्न करने के लिए इस मास में भरसक प्रयास करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव अत्यंत ही भोले हैं जो भक्तों के समर्पण , प्यार और उनके प्रति सच्ची आराधना को देखकर प्रसन्न होकर अपनों भक्तों की झोली खुशियों और आशीर्वाद से भर देते हैं।

ज्योतिषयों और पौराणिक धार्मिक ग्रंथों के अनुसार सावन महीने में भगवान् शिव को प्रसन्न करने के लिए सच्चे मन से पूजा -आराधना के साथ उनके प्रिय मंत्र का जाप भी करना भी विशेष फल की प्राप्ति कराता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महामृत्युंजय मंत्र भगवान शिव को खुश करने का ही विशेष मंत्र माना गया है। बता दें की इस मंत्र को पूरी सृष्टि में बेहद शक्तिशाली और ताकतवर मंत्र माना जाता है।

कहा जाता है कि इस मंत्र के प्रभाव से इंसान मौत के मुंह में जाते -जाते वापस आ जाता है। इतना ही नहीं मरणासन्न रोगी के समक्ष इस मंत्र का उच्चार करने मात्र से व्यक्ति महाकाल शिव की अद्भुत कृपा से वापस जीवन प्राप्त कर लेता है। गौरतलब है कि हिन्दू धर्म में बीमारी , दुर्घटना, अनिष्ट ग्रहों के प्रभावों से दूर करने, मौत को टालने और आयु बढ़ाने के लिए सवा लाख महामृत्युंजय मंत्र जप करने का विधान है।

महामृत्युंजय मंत्र के जाप के समय बरतनी चाहिए कुछ विशेष सावधानियां :

हिन्दू शास्त्रों और पुराणों की मानें तो असाध्य रोगों से मुक्ति और अकाल मृत्यु से बचने के लिए महामृत्युंजय जप करना विशेष फलदायी होता है। कहा जाता है कि महामृत्युंजय मंत्र भगवान शिव को खुश करने का मंत्र है। महामृत्युंजय मंत्र का जप करना बेहद परम फलदायी होता है। लेकिन इस मंत्र के जप में कुछ सावधानियां बरतना भी बरतनी बेहद जरुरी है जिससे इस मंत्र सिद्धि का संपूर्ण लाभ आपको मिल सके और आपको साथ किसी प्रकार की कोई हानि न हो। इतना ही नहीं अगर इस मंत्र का जाप सही या ठीक से कर पाने असमर्थ है तो किसी पंडित की सहायता से ये जाप कराए यह आपके और आपके परिवार के लिए अत्यधिक लाभकारी होगा। गौरतलब है कि महामृत्युंजय मंत्र एक ऐसा मंत्र है जिसका जप करने मात्र से मनुष्य मौत पर भी विजय प्राप्त कर सकता है। इसलिए हिन्दू शास्त्रों में अलग-अलग कार्यों के लिए अलग-अलग संख्याओं में इस मंत्र के जप का विधान है।

जानें ये ख़ास और अद्भुत मंत्र 

।।।। ऊॅ हौं जूं सः। ऊॅ भूः भुवः स्वः ऊॅ त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

उव्र्वारूकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।। ऊॅ स्वः भुवः भूः ऊॅ। ऊॅ सः जूं हौं।।।

इस त्रिलोकिय प्रभावशाली मंत्र का जाप करते वक्त हमेशा अपने मन को पवित्र रखते हुए भगवान् भोले शंकर की छवि मन में रखते हुए अच्छा इच्छा को भी ध्यान में रखें। और सदैव इस मंत का सही उच्चारण करें अन्यथा इसका प्रभाव उल्टा भी हो सकता है।

महामृत्युंजय मंत्र के जाप के समय इन बातों का रखें विशेष ध्यान

- किसी भी मंत्र का सकारात्मक पराभव तब पड़ता है जब उसके शबों का सही उच्चारण किया जाए। मान्यताओं के अनुसार महाम़त्युंजय मंत्र का जाप करते समय सदैव उसका उच्चारण ठीक ढंग से यानि की शुद्धता के साथ करना चाहिए। याद रखें शब्दों की गलती अर्थ का अनर्थ बनाती हैं। । जिसका आपको किसी ना किसी रूप में भुगतान करना पड सकता है।

- प्रतिदिन इस मंत्र का जाप करने एक निश्चित संख्या निर्धारण करे। अगले दिन अगर चाहे तो इनकी संख्या बढाये लेकिन कम बिकुल न करें।

- इस मंत्र का जाप करते समय उच्चारण आपके होठों से बाहर नहीं आना चाहिए। यदि इसका अभ्यास आपको न हो तो धीमे स्वर में मंत्र का जप करें।

- इस मंत्र को करते समय विशेष रूप से ध्यान रखें कि पूजा स्थल में धूप-दीप इत्यादि जलते रहे।

- इस अलौकिक मंत्र का जाप करने के लिए केवल रुद्राक्ष माला का ही प्रयोग श्रेष्ठकर माना जाता है।

- इतना ही नहीं इस रुद्राक्ष माला को गौमुखी में ही रख कर करें पूरा मंत्र हो जानें के बाद ही माला को गौमुखी से बाहर निकाले।

- बता दें कि इस मंत्र का जप उसी जगह पर करे जहां पर भगवान शिव की मूर्ति, प्रतिमा या महामृत्युमंजय यंत्र रखा हो।

महादेव को प्रसन्न कारने के लिए ऐसे करें पूजा

पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक महादेव को प्रसन्न करने व अपनी सर्वकामना सिद्धि के लिए पार्थिव पूजा का विधान माना जाता है।

- जिसमें मिटटी के शिर्वाचन पुत्र प्राप्ति के लिए,

- श्याली चावल के शिर्वाचन व अखण्ड दीपदान की तपस्या की जाती है।

शत्रुनाश व व्याधिनाश हेतु नमक के शिर्वाचन,

- रोग नाश हेतु गाय के गोबर के शिर्वाचन, दस विधि लक्ष्मी प्राप्ति हेतु मक्खन के शिर्वाचन अन्य कई प्रकार के शिवलिंग बनाकर उनमें प्राण-प्रतिष्ठा कर विधि-विधान द्वारा विशेष पुराणोक्त व वेदोक्त विधि से पूज्य होती रहती है।

र्वाचन पुत्र प्राप्ति के लिए,

- श्याली चावल के शिर्वाचन व अखण्ड दीपदान की तपस्या की जाती है।

शत्रुनाश व व्याधिनाश हेतु नमक के शिर्वाचन,

- रोग नाश हेतु गाय के गोबर के शिर्वाचन, दस विधि लक्ष्मी प्राप्ति हेतु मक्खन के शिर्वाचन अन्य कई प्रकार के शिवलिंग बनाकर उनमें प्राण-प्रतिष्ठा कर विधि-विधान द्वारा विशेष पुराणोक्त व वेदोक्त विधि से पूज्य होती रहती है।


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