Ten Essences of Mahabharat: महाभारत के पात्र देते हैं ये ज्ञान

Ten Essences of Mahabharat: यदि व्यक्ति की विद्या, कर्म और आचरण विवेक से बँधे हों, तो विजय अवश्य मिलती है

Newstrack :  Network
Update:2024-05-22 15:06 IST

Ten Essences of Mahabharat 

महाभारत के दस सार-सूत्र हमारे जीवन में उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं-

1. संतानों की गलत माँग और हठ पर समय रहते अगर अंकुश नहीं लगाया, तो अंत में आप असहाय हो जाएँगे - कौरव

2. आप भले ही कितने बलवान हों, लेकिन अधर्म के साथ हैं, तो आपकी विद्या, अस्त्र-शस्त्र शक्ति और वरदान सब निष्फल हो जाएगा - कर्ण

3. संतानों को इतना महत्वाकांक्षी मत बनाओ कि विद्या का दुरुपयोग कर स्वयंनाश कर सर्वनाश को आमंत्रित कर लें - अश्वत्थामा

4. बिना सोचे-समझे कभी किसी को ऐसा वचन मत दें कि आपको अधर्मियों के आगे समर्पण करना पड़े - भीष्म

5. संपत्ति, शक्ति और सत्ता का दुरुपयोग, दुराचारियों का साथ आपको अंत में स्वयंनाश का दर्शन कराता है - दुर्योधन

6. मुद्रा, मदिरा, अज्ञान, मोह और काम (मृदुला) अंधे व्यक्ति के हाथ में सत्ता भी विनाश की ओर ले जाती है - धृतराष्ट्र

7. यदि व्यक्ति की विद्या, कर्म और आचरण विवेक से बँधे हों, तो विजय अवश्य मिलती है - अर्जुन

8. हर कार्य में छल, कपट, प्रपंच रचकर आप हमेशा सफल नहीं हो सकते - शकुनि

9. यदि आप नीति, धर्म, कर्म का नैतिकता, शुचितापूर्वक पालन करेंगे, तो विश्व की कोई भी शक्ति आपको पराजित नहीं कर सकती - युधिष्ठिर

10. ⁠दुर्जनों, दुष्टों, समाजद्रोहियों, धर्म द्रोहियों का विनाश आवश्यक है, फिर वह चाहे नीति से हो, या अनीति से! - श्रीकृष्ण

यदि इन दस सूत्रों से भी आपको ज्ञान प्राप्त होना सम्भव नहीं लगता है, तो आपके जीवन में महाभारत संभव है!

तं सूर्यं जगतां नाथं ज्ञानविज्ञानमोक्षदम्।

महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्॥८॥

अर्थात - मैं उन सूर्यदेव को, जो जगत के प्रकाशमान देवता हैं, ज्ञान, विज्ञान तथा मोक्ष प्रदान करते हैं, साथ ही जो बड़े-बड़े महापापों को भी हर लेते हैं, उनको प्रणाम करता हूँ।

सूर्याष्टकं पठेन्नित्यं ग्रहपीड़ा प्रणाशनम्।

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