Chhath Puja Rule: 36 घंटे का कठिन व्रत है छठ पूजा, जानिए इस दिन का शुभ योग और नियम, जिनका पालन के बिना नहीं मिलेगा व्रत का फल
Chhath Puja Rule: छठ पूजा में सूर्य देव और छठ मइया की पूजा की जाती है। यह बहुत कठिन व्रत है जो 36 घंटे का होता है। इसमें नियमों का पालन जरूरी है।
Chhath Puja Rule: इस साल 17 नवंबर 2023 से छठ पूजा की शुरुआत हो रही है। छठ पूजा का बहुत अधिक महत्व है छठ पूजा को सबसे बड़े त्योहारों में से एक माना जाता है, बता दें कि छठ पूजा का व्रत संतान की लंबी उम्र,उज्जवल भविष्य की कामना के लिए रखा जाता है,हर साल कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पूजा का त्योहार मनाया जाता है। छठ पूजा को सबसे बड़े त्योहारों में से एक माना जाता है। छठ पूजा की शुरुआत होते ही लोगों में एक अलग ही उमंग देखने को मिलती है। छठ पूजा को लोक आस्था का महापर्व कहा जाता है। छठ पूजा का उत्साह देशभर में देखने को मिलता है। छठ पूजा का पर्व सभी के लिए बहुत खास होता है बता दें कि छठ पूजा का पर्व चार दिनों तक मनाया जाता है। इस साल छठ पूजा का पर्व बहुत ही शुभ संयोग में मनाया जाएगा।
छठ पूजा में शुभ योग
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 19 नवंबर को प्रातः काल 07:23 मिनट तक है। इसके बाद सप्तमी तिथि है। 19 नवंबर को भानु सप्तमी भी है। छठ पूजा के दिन ध्रुव और वृद्धि योग का निर्माण हो रहा है। वृद्धि योग का निर्माण देर रात 11:28 मिनट तक है। इसके बाद ध्रुव योग का शुभ योग बनेगा। वृद्धि योग में व्रती महिलाएं सूर्य देव को जल का अर्घ्य देंगी। वृद्धि योग में सूर्य देव की उपासना करने से सुख और समृद्धि में अपार बढ़ोतरी होगी।
छठ पूजा पर गर करण और तैतिल का निर्माण हो रहा है। सबसे पहले तैतिल करण का निर्माण होगा इस योग का निर्माण सुबह 07 : 23 मिनट तक है। इसके बाद गर करण का निर्माण होगा । दोनों ही योग को शुभ मानते हैं। इन योग में आप शुभ कार्य कर सकते हैं। छठ पूजा के दिन भद्रावास योग का भी निर्माण होगा। शास्त्रों में ऐसा बताया गया है कि जब भद्रा पाताल में रहती हैं, तो सभी जगतवासियों का कल्याण होता है। विशेष तिथि पर भद्रावास का निर्माण होना बहुत ही शुभ माना जाता है।
छठ पूजा में नियम का पालन है जरूरी
छठ का प्रसाद बनाते समय नए चूल्हे का ही इस्तेमाल करें। चूल्हा ऐसा होना चाहिए जो प्रतिदिन जल सके। यदि आप गैस का उपयोग करते हैं तो नये चूल्हे का प्रयोग करना चाहिए। जिसे हर साल केवल छठ के दिन ही निकाला जाता हो। छठ पूजा के दौरान पहले इस्तेमाल किए गए चूल्हे का दोबारा इस्तेमाल नहीं किया जाता है।
छठ पूजा के समय प्रसाद में अनाजों को अच्छी तरह साफ करना जरूरी होता है। इसे घर पर ही धोकर, कुचलकर और पीसकर बनाया जाता है। इस दौरान इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि पक्षी अनाज को खराब न कर दें। छठ के प्रसाद में इस्तेमाल होने वाले अनाज पर भूलकर भी पैर नहीं लगाना चाहिए। जो भी ऐसा करता है उसे छठी मईया नाराज हो सकती हैं।
पूजा के लिए बांस से बने सूप-कटोरा और टोकरी का ही उपयोग करना होगा। छठ पूजा के दौरान कभी भी स्टील या कांच के बर्तनों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। प्रसाद भी शुद्ध घी में बनाया जाता है। इसमें केवल फलों का उपयोग किया जाता है। ऐसे में व्रत करने वाले को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए ,अगर आप भी इस साल छठ का व्रत रख रहे हैं तो इन नियमों का खास ख्याल रखें, ताकि छठी माता की कृपा आप पर बनी रहेगी।
छठ पूजा में मुख्य रूप से सूर्य देव की पूजा की जाती है और सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। छठ पूजा में विधि-विधान से उनकी पूजा की जाती है। छठ पूजा में सूर्यदेव को अर्घ्य देते समय मिट्टी के चूल्हे और पीतल के बर्तनों का ही इस्तेमाल करना चाहिए। इस पूजा में स्टील,चांदी और प्लास्टिक के बर्तनों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए
छठ व्रत रख रही महिलाओं को अर्घ्य देने के बाद ही किसी भी चीज का सेवन करें और जो भी महिलाएं व्रत रखती हैं उन्हें जमीन पर ही सोना चाहिए
छठ पूजा व्रत को कठिन है। छठ पूजा से करीब दस दिन पहले से ही लोगों को अरवा चावल और सेंधा नमक का इस्तेमाल करना चाहिए। व्रत रह रही महिलाओं को व्रत से जुड़े सभी नियमों का पालन करना चाहिए
छठ पूजा को बहुत ही शुभ माना जाता है इन दिनों में प्याज और लहसुन का सेवन नहीं करना चाहिए इसके साथ ही इन शुभ दिनों में भूलकर भी मांस और मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए