Ravan dahan Date and Time: रावण दहन के बाद उठने वाली आग की लपटें बताती हैं भविष्य , जाने शुभ मुहूर्त

Ravan Dahan Muhurat Time: इस विशेष दिन को विजयादशमी या आयुधपूजा के नाम से भी जाना जाता है। हालाँकि इस दिन को लेकर कई तरह की कथाएं प्रचलित हैं।

Written By :  Preeti Mishra
Update:2022-09-22 08:00 IST

Ravan Dahan (Image credit : social media )

Ravan dahan Date and Time: शारदीय नवरात्रि की शुरुआत सोमवार 26 सितंबर से हो रही है। हिंदू धर्म में दशहरा यानी विजयादशमी के पर्व का विशेष महत्व माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्री राम ने लंकापति रावण का वध कर माता सीता को उसके चंगुल से आजाद किया था। तब से प्रत्येक वर्ष दशहरा यानी विजयादशमी के दिन लोग रावण के पुतले का दहन करके मनाते हैं। यानी बुराई पर अच्छाई की जीत के स्वरुप यह पर्व मनाते हैं।

बता दें कि अश्विन माह के दशमी तिथि पर पूरे देश में दशहरा धूमधाम से मनाया जाता है। इस विशेष दिन को विजयादशमी या आयुधपूजा के नाम से भी जाना जाता है। हालाँकि इस दिन को लेकर कई तरह की कथाएं प्रचलित हैं। जिनमें सबसे प्रसिद्ध भगवान राम द्वारा रावण का अंत करना और मां दुर्गा द्वारा महिषासुर नाम के राक्षस का अंत भी सम्मिलित है। उल्लेखनीय है कि इस जीत की खुशी देशभर में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में भी धूम -धाम से मनाई जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार दशहरा के दिन रावण के साथ कुंभकरण और मेघनाद के पुतलों का दहन करने की परंपरा है। हिन्दू धर्म में दशहरे के पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता हैं।

रावण दहन का शुभ मुहूर्त

प्रत्येक साल दशहरा पर जलाने के लिए विशालकाय रावण के पुतलों का निर्माण किया जाता हैं। इस वर्ष दशहरा बुधवार 5 सितम्बर को मनाया जाएगा। इसी दिन रावण का पुतला जलाने की पौराणिक परंपरा है।

रावण का पुतला जलाने का शुभ मुहूर्त सूर्यास्त के बाद से रात 8:30 बजे तक है।

गौरतलब है कि पौराणिक धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक़ रावण दहन हमेशा प्रदोष काल में श्रवण नक्षत्र के अंर्तगत ही किया जाता है।

अपराह्न पूजा का समय दोपहर 01 बजकर 18 मिनट से दोपहर 03 बजकर 37 मिनट तक का है।

रावण दहन के बाद उठने वाली आग की लपटें बताती हैं भविष्य

जी हाँ , शास्त्रों के अनुसार रावण दहन के बाद उठने वाली आग की लपटें आने वाले भविष्य के बारे में काफी राज़ बताती हैं। यानी जिस दिशा में लपटें जा रही हैं, उस क्षेत्र में क्या बदलने वाला है। इस जानकारी को पुख्ता करने के लिए कुछ विशेष बातों का ख्याल रखना अति आवश्यक है जैसे

उत्तर दिशा -

अगर रावण के पुतले की लपटें उत्तर की ओर हों तब उस क्षेत्र में संपत्ति और समृद्धि आती है। और उस वर्ष उस क्षेत्र का काफी विकास होता है।

पूर्व दिशा-

अगर रावण से उठने वाली आग पूर्व दिशा की ओर हो तो अगले साल उस क्षेत्र में सुख - शांति बनी रहने के साथ लोगों में सद्भाव भी बना रहता है। इसके साथ ही लोग धर्म-कर्म का कार्य भी करते हैं।

पश्चिम दिशा-

पश्चिम दिशा में रावण की लपटें उठने पर उस क्षेत्र में विरोध बढ़ने के साथ लोगों में आक्रोश और उत्तेजना की अधिकता हो सकती है। जिससे लोग बहुत ज्यादा परेशान हो सकते हैं।

दक्षिण दिशा –

दक्षिण की ओर रावण की लपटें क्षेत्र में कोई अनहोनी और अशुभ घटना का संकेत मानी जाती हैं। कहा जाता है कि इस दिशा में अग्नि की लपटें होनें पर लोगों को काफी संभलकर रहना चाहिए।

शाम का समय है बेहद शुभ

दशहरे के दिन खास तौर पर शाम के समय को बेहद शुभ माना जाता है। इसे विजय काल के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस मुहूर्त में कोई भी काम करने से उसमें अवश्य विजय हासिल होती है लेकिन इसके लिए ये बेहद जरुरी है कि ये कार्य आप सच्चे मन से अंजाम दे। इतना ही नहीं विजय दशमी के दिन नीलकंठ पक्षी के दर्शन को भी बेहद शुभ माना जाता है।

शमी वृक्ष की पूजा का भी है विशेष महत्व

मान्यताओं के अनुसार विजय काल में शमी वृक्ष की पूजा करना भी बेहद मंगलकारी होता है। यदि आपके घर में शमी वृक्ष न हो, तो भी आप पूजा कहीं और जाकर पूजा कर सकते हैं। इतना ही नहीं इस शुभ दिन आप कोई भी नया काम शुरू कर सकते हैं, जैसे कि व्यापार, बीज बोना, सगाई करना और गाड़ी की खरीदारी आदि सभी के लिए इस दिन को बेहद शुभ माना जाता है।

दशहरा शुभ मुहूर्त 

दशमी तिथि की शुरुआत- 04 अक्टूबर 2022, दोपहर 2 बजकर 20 मिनट से

दशमी तिथि समाप्ति- 5 अक्टूबर 2022, दोपहर 12 बजे

श्रवण नक्षत्र प्रारंभ- 4 अक्टूबर 2022, रात 10 बजकर 51 मिनट से

श्रवण नक्षत्र समाप्ति- 5 अक्टूबर 2022, रात 09 बजकर15 मिनट तक

विजय मुहूर्त- 5 अक्टूबर 2022, दोपहर 02 बजकर 13 मिनट से 02 बजकर 54 मिनट तक

दशहरा की पूजा विधि और उसका महत्व

दशहरे के दिन सुबह जल्दी स्नान करके साफ कपड़े पहनने के बाद प्रभु श्री राम, माता सीता और हनुमान जी की पूजा करनई चाहिए। इस दिन गाय के गोबर से 10 गोले बनाकर इन गोलों के ऊपर जौ के बीज लगाने की परंपरा है।

उसके बाद भगवान को धूप और दीप दिखाकर पूजा कर इन गोलों को जला दें। धार्मिक मान्यता है कि रावण के 10 सिर की तरह ये गोले अहंकार, लोभ, लालच का प्रतीक माने जाते हैं। जो व्यक्ति के अंदर से बुराइयों को खत्म करते हैं।

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