दत्तात्रेय जयंती :इनमें बसे है त्रिदेव, लेते है हरदम भक्तों की सुध, जानिए कौन है इनके 24 गुरु

Update:2018-12-22 05:04 IST

जयपुर:दत्तात्रेय जयंती 22 दिसंबर (शनिवार) को मनाई जाएगी। दक्षिण भारत में भगवान दत्तात्रेय को दत्त के नाम से पुकारते है। शास्त्रीय मान्यता के अनुसार दत्तात्रेय को त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) का अंश स्वरूप माना जाता है। शास्त्रों में ऐसा उल्लेख मिलता है कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा दत्तात्रेय का प्रदोष काल में जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन को दत्त जयंती के रूप में मनाया जाता है। भगवान दत्तात्रेय के नाम पर कालांतर में दत्त संप्रदाय का उदय हुआ। दक्षिण भारत में दत्तात्रेय जयंती भगवान शिव के उस स्वरूप को दर्शाता है जो कि देवाधिदेव शिव का संघारक स्वरूप है। भगवान दत्तात्रेय ने अपने जीवन में कुल मिलकर 24 गुरुओं से ज्ञान प्राप्त किया था।

भगवान दत्त ने जिन 24 गुरुओं से शिक्षा प्राप्त की वो हैं: 1. पृथ्वी 2. जल 3. वायु 4. अग्नि 5. आकाश 6. सूर्य 7. चन्द्रमा 8. समुद्र 9. अजगर 10. कपोत 11. पतंगा 12. मछली 13. हिरण 14. हाथी 15. मधुमक्खी 16. शहद निकालने वाला 17. कुरर पक्षी 18. कुमारी कन्या 19. सर्प 20. बालक 21. पिंगला वैश्या 22. बाण बनाने वाला 23. मकड़ी 24. भृंगी कीटभगवान

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दत्तात्रेय के स्वरूप के बारे में

"आदौ ब्रह्मा मध्ये विष्णुरन्ते देवः सदाशिवः

मूर्तित्रयस्वरूपाय दत्तात्रेयाय नमोस्तु ते।

ब्रह्मज्ञानमयी मुद्रा वस्त्रे चाकाशभूतले

प्रज्ञानघनबोधाय दत्तात्रेयाय नमोस्तु ते।।"

शंकराचार्य रचित इस श्लोक का मतलब है कि जो आरंभ में ब्रह्मा, बीच में विष्णु और अंत में शिव है, ऐसे त्रिमूर्ति स्वरूप भगवान दत्तात्रेय को मैं प्रणाम करता हूँ। ब्रह्मज्ञान जिनकी मुद्रा है, आकाश और भूतल जिनके वस्त्र हैं और जो साकार प्रज्ञानघन स्वरूप हैं, ऐसे भगवान दत्तात्रेय को मैं बारम्बार नमस्कार करता हूँ। भगवान दत्त (दत्तात्रेय) ब्रह्मा-विष्णु-महेश के अवतार माने जाते हैं। भगवान शंकर का साक्षात रूप महाराज दत्तात्रेय में मिलता है और तीनो ईश्वरीय शक्तियों से समाहित महाराज दत्तात्रेय की आराधना बहुत ही सफल और जल्दी से फल देने वाली है।महाराज दत्तात्रेय आजन्म ब्रह्मचारी, अवधूत और दिगम्बर रहे थे। वे सर्वव्यापी है और किसी प्रकार के संकट में बहुत जल्दी से भक्त की सुध लेने वाले हैं, अगर मानसिक, या कर्म से या वाणी से महाराज दत्तात्रेय की उपासना की जाये तो भक्त किसी भी कठिनाई से शीघ्र दूर हो जाते हैं।

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