Deepawali 2024: 31 अक्टूबर या एक नवंबर, आखिर कब मनेगी दीपावली, काशी के विद्वानों ने कर दिया साफ

Deepawali 2024: दीपावली के पर्व को लेकर भ्रम की स्थिति का निवारण करते हुए काशी विद्वत परिषद,काशी विद्वत कर्मकांड परिषद और काशी के अन्य विद्वानों ने क्या कहा...?

Written By :  Anshuman Tiwari
Update:2024-10-01 12:34 IST

Deepawali 2024   (photo: social media )

Deepawali 2024: दशहरा और दीपावली का पर्व नजदीक आने के साथ ही अब हर किसी को यह जानने की उत्सुकता है कि आखिरकार यह त्योहार कब मनाया जाएगा। इस बार दशहरा का पर्व 12 अक्टूबर को मनाया जाएगा जबकि दीपावली की तिथि को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है पश्चिम क्षेत्र के पंचांगकारों ने दीपावली एक नवंबर को बताई है जबकि कुछ अन्य विद्वानों के मुताबिक दीपावली का पर्व 31 अक्टूबर को मनाया जाएगा।

दीपावली के पर्व को लेकर भ्रम की स्थिति का निवारण करते हुए काशी विद्वत परिषद,काशी विद्वत कर्मकांड परिषद और काशी के अन्य विद्वानों ने कहा है कि एक नवंबर को दीपावली मनाने की कालगणना पूरी तरह त्रुटिपूर्ण है और दीपावली का पर्व 31 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा। काशी के विद्वानों का कहना है कि इस संबंध में तनिक भी भ्रम की स्थिति नहीं होनी चाहिए और पूरे देश में 31 अक्टूबर को ही पूरी धूमधाम के साथ दीपोत्सव का पर्व मनाया जाएगा।

रात्रिव्यापिनी अमावस्या के कारण 31 को दीपावली

काशी विद्वत कर्मकांड परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष आचार्य अशोक द्विवेदी ने कहा कि 31 अक्तूबर को अपराह्न 3:52 बजे अमावस्या की शुरुआत हो जाएगी, जो कि एक नवंबर की शाम को 5:13 बजे तक रहेगी। इसके बाद प्रतिपदा लग जाएगी। प्रतिपदा में दीपावली पूजन का विधान नहीं है। 31 अक्तूबर को शाम से पूरी रात अमावस्या रहेगी। उन्होंने कहा कि धर्मसिंधु और निर्णय सिंधु के अनुसार रात्रिव्यापिनी अमावस्या होने के कारण ही 31 अक्तूबर को ही लक्ष्मीपूजा, कालीपूजा और दीपोत्सव का शुभ मुहूर्त बन रहा है।

उन्होंने कहा कि दीपावली हमेशा प्रदोष में ही मनाई जाती है जबकि 1 नवंबर को प्रदोष व्यापिनी अमावस्या नहीं होगी। ऐसे में 31 अक्टूबर को ही दीपावली का पर्व मनाना शास्त्र सम्मत होगा।

काशी विद्वत परिषद ने भी 31 की तारीख बताई

काशी विद्वत परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री प्रोफेसर रामनारायण द्विवेदी ने भी आचार्य अशोक द्विवेदी की बातों का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि इस साल दीपावली के पर्व को लेकर तनिक भी भ्रम की स्थिति नहीं है। उन्होंने कहा कि काशी के पंचांग और विद्वानों में 31 अक्टूबर को ही दीपावली का पर्व मनाने को लेकर सर्वसम्मति है।

पूर्ण प्रदोष काल में 31 को मनेगा पर्व

बीएचयू के ज्योतिष विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर विनय कुमार पांडेय ने भी कहा कि काशी के सभी पंचांगों में सूक्ष्म कालगणना के गणितीय विवेचन में दीपावली 31 अक्टूबर ही मनाए जाने की बात कही गई है। प्रोफेसर पांडेय ने कहा कि पश्चिम में सूर्य के अस्त होने व चंद्रोदय में कुछ घटी विलंब होने के चलते तिथि के गणनामान में थोड़ा भ्रम हुआ है, किंतु इससे पर्व का दिन नहीं बदल जाता। धर्म शास्त्रों की व्याख्या के अनुसार जब प्रदोष काल दो तिथियों में प्राप्त हो तो पूर्ण प्रदोष काल वाली तिथि को ही पर्व निशा मानी जाएगी।

अमावस्या की तिथि 31 अक्टूबर को ही

उन्होंने कहा कि इस बार कार्तिक अमावस्या की तिथि 31 अक्टूबर व एक नवंबर दोनों तिथियों में है। साथ ही दोनों तिथियों में प्रदोष काल भी प्राप्त हो रहा है। ऐसे में उदया तिथि की मान्यता को देखते हुए पश्चिम के पंचांगकारों ने एक नवंबर को दीपावली होने की घोषणा कर दी।

उन्होंने इस बात पर गौर नहीं किया कि धर्मशास्त्रों में स्पष्ट लिखा है कि जिस तिथि में प्रदोष काल पूर्ण रूप से अमावस्या में हो, उसे ही पर्व तिथि माना जाना चाहिए। यदि कोई काल या तिथि विशेष किसी दिन को छह घटी से कम प्राप्त हो रहा हो तो इससे वह तिथि प्रभावी नहीं हो जाती।

प्रोफेसर पांडेय ने कहा कि इस बार अमावस्या की सायंकाल 31 अक्टूबर को सूर्यास्त के साथ प्रदोष काल आरंभ हो जाएगा और यह प्रदोष काल एक नवंबर की सायंकाल सूर्यास्त के बाद तक रहेगा। वैसे दूसरे दिन इसकी अवधि सूर्यास्त के पश्चात छह घटी यानी एक घंटा 44 मिनट से भी कम है। इस कारण अमावस्या की तिथि 31 अक्टूबर को मानी जाएगी और उसी दिन दीपावली का पर्व मनाया जाएगा।

धर्मसिंधु ग्रंथ का दिया हवाला

ज्योतिष शास्त्र के विद्वान पंडित ऋषि द्विवेदी ने कहा कि अमावस्या के प्रदोष काल में ही दीपावली का पर्व मनाया जाता है। यह प्रदोष काल सूर्यास्त से 24 मिनट पूर्व से 24 मिनट बाद तक होता है।

उन्होंने कहा कि एक नवंबर को प्रदोष काल सूर्यास्त के पूर्व 5:13 बजे समाप्त हो जाएगा, जबकि सूर्यास्त उस दिन 5:31 पर होगा। ऐसे में प्रदोष काल में अमावस्या 31 अक्टूबर को ही मिलेगी और उसी दिन दीपावली मनाई जाएगी। अपने दावे के समर्थन में उन्होंने धर्मसिंधु ग्रंथ का हवाला भी दिया है।

31 के समर्थन में यह भी तर्क

बीएचयू के ज्योतिष विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर गिरजा शंकर त्रिपाठी ने दीपावली पर्व के लिए अर्धरात्रिव्यापिनी अमावस्या का होना जरूरी है। अमावस्या 31 अक्टूबर को दोपहर बाद 3:12 से शुरू होकर एक नवंबर को शाम 5:14 बजे तक रहेगी।

अर्धरात्रि व्यापिनी अमावस्या 31 अक्टूबर को मिलने के कारण 31 अक्टूबर को ही दीपावली का पर्व मनाया जाएगा। प्रोफेसर त्रिपाठी ने कहा कि स्नान-दान व व्रत की अमावस्या एक नवंबर को मान्य है।

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