Dev Deepawali in Varanasi: बेहद खास होती है काशी की देव दीपावली, गंगा आरती और लाखों दीयों से जगमगाती है शिव नगरी

Dev Deepawali in Varanasi: दिवाली हो या देव दीपावली काशी का त्योहार पूरे देशभर में छाया रहता है। दिवाली के बाद अब वाराणसी में देव दीपावली को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं।

Update: 2022-10-30 04:26 GMT

Dev Deepawali in Varanasi (Image: Social Media)

Dev Deepawali in Varanasi: दिवाली हो या देव दीपावली काशी का त्योहार पूरे देशभर में छाया रहता है। दिवाली के बाद अब वाराणसी में देव दीपावली को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं। बता दे देव दीपावली दिवाली के ठीक 15 दिन बाद मनाया जाता है। देव दीपावली को कार्तिक पूर्णिमा भी कहा जाता है। काशी की देव दीपावली बेहद खास होती है। इसलिए हर साल इसको लेकर तैयारियां जोरों शोरों पर रहती हैं। 

इस साल देव दीपावली 8 नवंबर को पड़ेगा और इस दिन वाराणसी में देव दीपावली धूमधाम से मनाई जाएगी। बता दे वाराणसी में देव दीपावली के अलावा गुरु नानक जयंती और जैन प्रकाश महोत्सव के साथ मनाया जाता है। दरअसल देव दीपावली हर साल कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर मनाया जाने वाला त्योहार है। यह दीपावली के ठीक 15 दिन बाद मनाई जाती है।

Dev Diwali in Varanasi

बता दे इस दौरान दुनिया भर से लोग इस शहर में आते हैं और कई दिनों तक रुकते हैं। दरअसल वाराणसी में देव दीपावली या देव दिवाली वर्ष का वह समय होता है जब वाराणसी वास्तव में मंदिरों का नहीं, बल्कि देवताओं का निवास स्थान लगता है। अक्सर इस शहर को प्रकाश के शहर के रूप में जाना जाता है। बता दे वाराणसी में देव दीपावली की शाम को रीवा घाट, मान मंदिर घाट, केदार घाट और पंच गंगा घाट का भी दर्शन करना चाहिए। दरअसल भगवान शिव के त्रिशूल पर बसी काशी में उत्तर वाहिनी गंगा के 84 घाट दीये की रोशनी में जगमगाएंगे। इस साल 10 लाख दीये जलाने की योजना बनायी गयी है। 

क्यों खास हैं वाराणसी की देव दीपावली

वाराणसी में देव दीपावली बहुत धूमधाम से और हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है।

बता दे वाराणसी में देव दीपावली के आयोजनों की पारंपरिक योजना काफी खास है और हर साल धार्मिक रूप से इसका पालन भी किया जाता है। 

देव दीपावली की शुरुआत भगवान गणेश की प्रार्थना (गणेश वंदना) और फूल चढ़ाने से होती है।

इस दिन दीपदान किए जाते हैं।

बता दे इस शुभ दिन पर बहुत से भक्त गंगा नदी में डुबकी लगाते हैं, जिसे कार्तिक स्नान कहा जाता है। दरअसल ऐसा माना जाता है कि ऐसा करना व्यक्ति को उसके पापों से छुटकारा दिलाता है।

यहां तक कि इस दिन कई घरों में भोज के बाद अखंड रामायण (पवित्र ग्रंथ रामायण का जप) का आयोजन भी किया जाता है, जहां लोगों को भोजन कराया जाता है।

इस दिन धार्मिक रंग के अलावा घाटों पर शहीदों को भी याद किया जाता है। 

देव दीपावली पर गंगा माता की पूजा करके और उनकी आरती किया जाता है।

इस दिन गंगा सेवा निधि द्वारा कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। 

देव दीपावली के दिन अमर जवान ज्योति पर दशाश्वमेध घाट पर और साथ ही राजेंद्र प्रसाद घाट पर पुलिस अधिकारियों और तीन सशस्त्र बलों के सदस्यों द्वारा माल्यार्पण किया जाता है। साथ ही इस अवसर पर देशभक्ति के गीत भी गाए जाते हैं।

वाराणसी में देव दीपावली के मौके पर इस शहर का हर घाट और मंदिर मिट्टी के घी के दीयों से जगमगाता है। 

दरअसल ऐसा माना जाता है कि इस शुभ अवसर पर देवता गंगा नदी में डुबकी लगाने के लिए वाराणसी आते हैं और यही बात इस त्योहार को इतना लोकप्रिय बनाती है। 

देव दीपावली के शुभ त्योहार पर देश भर से पर्यटक वाराणसी आते हैं। 

दरअसल इस त्योहार की रात में, हजारों लोग, स्थानीय और पर्यटक समान रूप से, नदी घाटों पर शानदार और विस्तृत आरती देखने आते हैं। साथ ही हर जगह हजारों दीये जलाए जाते हैं। 

हर साल, त्योहार के पांच दिनों में, नृत्य, नाटक और संगीत का आयोजन होता है।  


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