Dharma Kya Hai: धर्म क्या है
Dharma Kya Hai: वृक्षों की रक्षा से पवन को शुद्ध रखना भी धर्म है राजन,जलाशयों के जल को पवित्र रखना भी धर्म है राजन,नदियों के प्रवाह को निर्वाध बनाये रखना धर्म है
Dharma Kya Hai: महाभारत काल में सबसे सम्मानित व्यक्तियों में हस्तिनापुर के महामंत्री महात्मा विदुर जी थे।वह एक महान राजनीतिज्ञ, नीतिज्ञ, धर्मज्ञ थे।वह भारत के किसी भी राज्यसभा में चले जाते थे। तो उस राज्यसभा के लिये सम्मान की बात होती थी।धर्म कि व्याख्या ऋषियों द्वारा, शास्त्रों में बार बार कि गई है।लेकिन जो व्याख्या महात्मा विदुर ने किया है। वह बहुत ही प्रभावित करती है।आइये उस प्रसंग पर चलते हैं।जब महाभारत युद्ध हो चुका है।धृतराष्ट्र के सौ पुत्र मारे जा चुके है।उनसे मिलने बहुत दिनों बाद विदुर जी आते हैं।लंबे सवांद के बीच में धृतराष्ट्र ने एक बार बोल दिया।
मेरे सौ पुत्र मारे गये।क्या यही धर्म है ? महात्मा विदुर के भाव में करुणा, दुख कि जगह विवेक और ज्ञान ने ले लिया।इसे ध्यान से पढ़िये, विचार करिये।वह बोले- हे राजन! आप धर्म की बात न करिये।*जब धर्म आपकी राज्यसभा में न्याय के लिये खड़ा था।आपने धक्के मारकर बाहर कर दिया।धर्म वह तोता नही है।जिसे अपने हितों के लिये पिजड़े में बंद कर दिया जाय।जो हम कहें वही बोले।हे राजेन्द्र! धर्म का विस्तार त्रिलोक को समेटे हुये है! उससे भी बाहर है।वृक्षों की रक्षा से पवन को शुद्ध रखना भी धर्म है राजन,जलाशयों के जल को पवित्र रखना भी धर्म है राजन,नदियों के प्रवाह को निर्वाध बनाये रखना धर्म है राजन,अपने कर्तव्यों के प्रति निष्ठावान होना धर्म है राजन,अन्याय, अत्याचार के विरुद्ध संघर्ष करना भी धर्म है राजन।अतः हे नरेश इस युद्ध में आपके विरुद्ध युद्ध करना भी धर्म हैं।अब भी आपके पास आत्मा बची है।
धर्म कि छत्रछाया में आ जाइये।।यहां पे प्रश्न है।
इसमें से कौन से धर्म का पालन लोग करते हैं ! धूप अगरबत्ती , लाउडस्पीकर ही धर्म बन गया है।।
(लेखक प्रख्यात ज्योतिषाचार्य हैं ।)