Diwali 2022 Puja Vidhi: दिवाली पर इस तरह से करें मां लक्ष्मी की श्रृंगार और पूजा, सौभाग्य की होगी प्राप्ति

Diwali 2022 Puja Vidhi: आज पूरे भारत में धूमधाम से दिवाली का त्योहार मनाया जा रहा है। दिवाली पर भगवान गणपति और मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाती है।

Update: 2022-10-24 04:37 GMT

Diwali 2022 Puja Vidhi (Image: Social Media)

Diwali 2022 Puja Vidhi: आज पूरे भारत में धूमधाम से दिवाली का त्योहार मनाया जा रहा है। दिवाली पर भगवान गणपति और मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाती है। ऐसे में अगर आप दिवाली के दिन विधि विधान के साथ पूजन करते हैं तो आपके जीवन में सदैव खुशहाली बनी रहती है। तो आइए जानते हैं किस तरह करें मां लक्ष्मी का श्रृंगार और दिवाली पूजन विधि:

ऐसे करें मां लक्ष्मी का श्रृंगार

दरअसल मां लक्ष्मी गंगा जी को अपनी बहन मानती थीं इसलिए कई घरों में लक्ष्‍मी जी के साथ दिवाली पर गंगा जी की भी पूजा होती है। इसलिए सबसे पहले मां लक्ष्‍मी जी को स्नान भी गंगा जल से ही करना चाहिए। अगर आप मिट्टी की मूर्ति को स्नान करा रहे हैं, तो आपको मूर्ति पर गंगा जल का छिड़काव करना चाहिए। बता दे मां लक्ष्‍मी जी हमेशा लाल रंग के वस्त्र ही धारण करती हैं। इसलिए स्नान कराने के बाद मां लक्ष्मी जी को आप लाल रंग की वस्त्र अर्पित करें। बता दे मां लक्ष्‍मी जी को श्रृंगार पसंद है। इसलिए महिलाओं को उन्हें सोलह श्रृंगार की सारी चीजें अर्पित करनी चाहिए। बता दे खासतौर पर लाल कांच की चूड़ियां देवी जी को जरूर चढ़ानी चाहिए और बाद में उन चूड़ियां को खुद धारण भी कर लेना चाहिए। इसके बाद मां लक्ष्‍मी जी के श्रृंगार का सबसे अहम हिस्सा है इत्र। दरअसल लक्ष्‍मी जी को सुगंध अति प्रिय है। बता दे जो घर साफ सुथरा और सुगंधित होता है देवी लक्ष्‍मी वहीं वास करती हैं। इतना ही नहीं, देवी मां लक्ष्‍मी को कमल का इत्र सबसे प्रिय है। अगर यह इत्र आपको न मिले तो आप गुलाब या मोगरे का इत्र भी आप मां लक्ष्मी को अर्पित कर सकती हैं। इसके बाद मां लक्ष्‍मी जी को सिंदूर जरूर अर्पित करें। बता दे सिंदूर के साथ ही आप उन्हें रोली और अक्षत भी अर्पित करें। लेकिन ध्‍यान रखें कि आपको 3 या 7 बार देवी जी को सिंदूर अर्पित करना है और फिर अपनी मांग में भी लगाना है। बता दे नारंगी रंग का सिंदूर शुभ होता है और वही लक्ष्‍मी जी को चढ़ाया जाता है। फिर इसके बाद मां लक्ष्मी को पैरों में आलता लगाएं क्योंकि अलाता लगाना भी देवी मां लक्ष्‍मी जी को प्रिय है, इसलिए श्रृंगार के दौरान आपको देवी लक्ष्‍मी के चरणों में लाल रंग का आलता जरूर लगाना चाहिए। इसके बाद आप खुद भी अपने पैरों में आलता जरूर लगाएं, इससे आपको सौभाग्य की प्राप्ति होगी।

ऐसे करें भगवान गणपति और मां लक्ष्मी की पूजा

दरअसल दिवाली के दिन मुख्य रूप से माता लक्ष्मी और गणेश जी का पूजन किया जाता है। साथ ही मां सरस्वती और भगवान कुबेर की भी पूजा की जाती है। ऐसे में पूजा शुरू करने से पहले उनके पूजन के लिए सबसे पहले आप पूजा स्थान को साफ़ करें और एक चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछा दें। अब चौकी पर लक्ष्मी और गणेश की मूर्ति स्थापित करें। अगर संभव हो तो नई मिट्टी की मूर्ति स्थापित करें और गणेश जी के दाहिनी तरफ माता लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें। फिर इनके साथ भगवान कुबेर, मां सरस्वती और कलश की भी स्थापना करनी चाहिए। अब पूजा स्थान पर गंगाजल छिड़कें और चौकी पर भी थोड़ा गंगाजल डालें। फिर हाथ में लाल या पीले फूल लेकर गणेश जी का ध्यान करें और उनके बीज मंत्र - ऊँ गं गणपतये नम:का जाप करें। बता दे सर्वप्रथम आपको गणेश जी के मंत्रों का जाप और पूजन करना चाहिए। साथ ही भगवान गणपति के इस मंत्र का जाप करें: 'गजाननम् भूत भू गणादि सेवितं कपित्थ जम्बू फलचारुभक्षणम्। उमासुतं सु शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपाद पंकजम्। फिर भगवान गणेश जी को तिलक लगाएं और उन्हें मुख्य रूप से दूर्वा और मोदक अर्पित करें। अब माता लक्ष्मी को लाल सिंदूर का तिलक लगाएं और मां लक्ष्मी के श्री सूक्त मंत्र का पाठ करें। फिर इनके साथ आप धन कुबेर और मां सरस्वती का पूजन करें। बता दे लक्ष्मी और गणेश जी का विधि विधान से पूजन करने के बाद मां काली का पूजन भी रात्रि में किया जाता है। फिर पूजन के बाद माता लक्ष्मी और गणेश जी की आरती करें और भोग अर्पित करें। आरती के बाद प्रसाद परिवार जनों में बांट दें। अब मां लक्ष्मी और भगवान गणेश जी के पूजन के बाद दीये प्रज्वलित करें। इसके लिए सबसे पहले आप लक्ष्मी जी के सामने 5 या 7 घी के दीये जरूर जलाएं। इस विधि से पूजा करना बेहद शुभ माना जाता है और भक्तों की मनोकामना भी पूरी हो जाती है। 


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