Diwali 2023 Puja Vidhi: ऐसे करें दीपावली पूजन, मां लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहेगी, होगी धन की वर्षा

Diwali 2023 Puja Vidhi: दीपावली के दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस साल ग्रहों का दुर्लभ संयोग इस दिन बन रहा है।

Written By :  Neel Mani Lal
Update: 2023-11-12 01:45 GMT

Diwali 2023 Mata Laxmi Ki Puja Vidhi

Diwali 2023 Mata Laxmi Ki Puja Vidhi: ज्योतिषियों की मानें तो कार्तिक माह की अमावस्या तिथि पर सौभाग्य योग कई अद्भुत संयोग बन रहे हैं। इन योग में धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करने से धन, आय, सुख और समृद्धि में अपार वृद्धि होती है। दिवाली पर अति दुर्लभ सौभाग्य योग का निर्माण हो रहा है। ज्योतिष सौभाग्य योग को बेहद शुभ मानते हैं। इस योग में धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करने से साधक को अपार धन की प्राप्ति होती है। इस योग का निर्माण संध्याकाल 04 बजकर 25 मिनट से हो रहा है, जो 13 नवंबर को दोपहर 03 बजकर 23 मिनट तक है। ज्योतिष भी सौभाग्य योग में शुभ कार्य करने की सलाह देते हैं। साथ ही दिवाली तिथि पर अग्निवास पृथ्वी पर रहेगा। इस दौरान हवन और पूजा करना विशेष फलदायी रहेगा।

दिवाली पर चंद्रमा तुला राशि में संचार करेंगे और यहां पहले से विराजमान मंगल और सूर्य के साथ मिलकर त्रिग्रही योग बनाएंगे। इस त्रिग्रही योग पर मेष राशि में स्थित गुरु की शुभ दृष्टि रहेगी। इससे गजकेसरी राजयोग बनेगा। शनि भी 30 साल बाद दिवाली पर अपनी मूलत्रिकोण राशि कुंभ में मार्गी गति से चल रहे हैं। इन सभी शुभ संयोग से सजे इस त्योबहार में धन देने वाली माता गजलक्ष्मीर के आशीवार्द से देवी के शुभ प्रभाव से वृष और तुला सहित इन राशियों को बढ़िया समय देखने को मिलेगा।

लक्ष्मी पूजन की सामग्री (Diwali 2023 Puja Samagri)

मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा, कुमुकम, रोली, सुपारी, नारियल, अक्षत (चावल),अशोक या आम के पत्ते, हल्दी, दीप, धूप, कपूर, रूई, मिटटी के दीपक, और पीतल का दीपक, कलावा, दही, शहद, गंगाजल, फूल, फल, गेहूं, जौ, दूर्वा, सिंदूर, चंदन, पंचामृत, बताशे, खील, लाल वस्त्र, चौकी, कमल गट्टे की माला, कलश, शंख, थाली, चांदी का सिक्का, बैठने के लिए आसन, और प्रसाद।

पूजन की तैयारी (Diwali Ki Puja Kaise Kare)

सबसे पहले प्रातः काल घर कि अच्छे से साफ़ सफाई करें। स्नानादि के बाद घर के मंदिर में दीपक जलाएं। शाम के समय पूजा करने से पूर्व घर में गंगाजल छिड़क कर शुद्धिकरण करें। उसके बाद एक चौकी रखें और चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं। कपड़े के बीच में एक मुट्ठी गेहूं रखें और गेहूं के ऊपर जल से भरा हुआ एक कलश स्थापित करें। कलश के अंदर एक सिक्का, सुपारी, गेंदे का फूल और अक्षत डालें। कलश पर आम या अशोक के पांच पत्ते भी लगाएं । अब कलश को एक छोटी सी थाली से ढंके जिसके ऊपर चावल रख दें। इसके उपरांत कलश के बगल में चौकी में बचे स्थान पर हल्दी से चौक बनाएं और उसपर मां लक्ष्मी कि प्रतिमा रख दें। ध्यान रखें कि मां लक्ष्मी के दाहिने ओर गणेश जी की प्रतिमा रखें। इसके बाद एक थाली में हल्दी,कुमकुम और अक्षत रखें और साथ ही दीप भी प्रज्ज्वलित करके रखें।

लक्ष्मी पूजन विधि (Diwali Puja Vidhi)

सबसे पहले कलश को तिलक लगाकर पूजा आरम्भ करें। अपने हाथ में फूल और चावल लेकर मां लक्ष्मी का ध्यान करें। ध्यान के पश्चात भगवान श्रीगणेश और मां लक्ष्मी की प्रतिमा पर फूल और अक्षत अर्पण करें। दोनों प्रतिमाओं को चौकी से उठाकर एक थाली में रखें और दूध, दही, शहद, तुलसी और गंगाजल के मिश्रण से स्नान कराएं। इसके बाद स्वच्छ जल से स्नान कराकर वापस चौकी पर विराजित कर दें। स्नान कराने के उपरांत लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा को टीका लगाएं। फिर लक्ष्मी गणेश जी को हार पहनाएं। इसके बाद लक्ष्मी गणेश जी के सामने खीले-खिलौने, बताशे, मिठाइयां फल, पैसे और सोने के आभूषण रखें। पूरा परिवार मिलकर गणेश जी और लक्ष्मी माता की कथा सुनें और फिर मां लक्ष्मी की आरती उतारें।

दिवाली का शुभ मुहूर्त (Diwali Puja Shubh Muhurat)

दीवाली का शुभ मुहूर्त रविवार 12 नवंबर को है। हिन्दू संस्कृति में पंचाग का विशेष महत्व है, बिना शुभ समय देखे कोई कार्य नहीं किये जाते हैं, किसी भी पूजन का शुभ मुहूर्त देखकर ही शुभारम्भ किया जाता है। इस बार दीपावली पूजन का शुभ समय शाम 05 बजकर 39 से लेकर रात 08 बजकर 16 मिनट तक है।

पूजा के चार मुहूर्त (Diwali Puja Char Muhurat)

वृश्चिक लग्न : यह दिवाली के दिन की सुबह का समय होता है। वृश्चिक लग्न में सार्वजानिक स्थल जैसे कि मंदिर, हॉस्पिटल, होटल, स्कूल, कॉलेज आदि में पूजा होती है। राजनेता, फिल्म कलाकार इत्यादि वृश्चिक लग्न में ही लक्ष्मी पूजा करते है।

कुम्भ लग्न : यह दिवाली की दोपहर का समय होता है। कुम्भ लग्न में वे लोग पूजा करते है, जो बीमार होते है, जिन पर शनि की दशा ख़राब चल रही होती है, या जिनको व्यापार में बड़ी हानि होती है।

वृषभ लग्न : यह दिवाली की शाम का समय होता है। यह लक्ष्मी पूजा का सबसे अच्छा समय होता है। गृहस्थ लोग इसी समय पूजन करते हैं।

सिम्हा लग्न : यह दिवाली की मध्य रात्रि का समय होता है। तांत्रिक लोग इस दौरान लक्ष्मी पूजा करते हैं।

दीवाली लग्न पूजा रविवार, नवम्बर 12, 2023

वृषभ लग्न मुहूर्त (सन्ध्या) - 05:39 से 07:35 तक - अवधि - 01 घण्टा 56 मिनट

सिंह लग्न मुहूर्त (मध्यरात्रि) - 12:10 से रात 02:27 - अवधि - 02 घण्टे 17 मिनट

अमावस्या तिथि प्रारम्भ - नवम्बर 12, 2023 को दोपहर 02:44 बजे

अमावस्या तिथि समाप्त - नवम्बर 13, 2023 को दोपहर 02:56 बजे

इस दिन पूजा का शुभ समय शाम 05 बजकर 39 से लेकर रात 08 बजकर 16 मिनट तक है। 

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