Diwali 2024 Real Date :दिवाली 2024 में कब है? जानिए शुभ मुहूर्त और इस बार क्या दो दिन मनाई जाएगी दिवाली?

Diwali 2024 Real Date: हर साल कार्तिक मास की अमावस्या के दिन दिवाली मनाई जाती है। जानते 2024 में कब है दिवाली का पर्व

Update:2024-10-14 08:18 IST

Diwali 2024 Real Date: हर साल कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष कीअमावस्‍या को दिवाली मनाया जाता है। जिसकी शुरुआत धनतेरस के त्योहार से होती है इसके बाद छोटी दिवाली, दिवाली, गोवर्धन और भाई दूज का त्योहार होता है। 2024 में दिवाली के त्योहार को लेकर असमंजस  है क्योंकि साल 2024 में दिवाली के त्योहार की दो तिथि है।  जानते है साल 2024 में दिवाली का त्योहार कब मनाया जाएगा।

दिवाली की तिथि

 2024 में दिवाली के त्योहार  31 अक्टूबर और 1 नवंबर है, जिसमें  दिवाली का त्योहार ज्यादातर जगहों पर 1 नवंबर दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा। जबकि दक्षिण भारत के अधिकांश राज्यों में दिवाली 31 अक्टूबर 2024 दिन गुरुवार को मनाई जाएगी। वैसे शास्त्रानुसार दिवाली का त्योहार 31 अक्टूबर को मनाना उचित रहेगा।इसलिए इसबार 31 अक्टूबर दिवाली है।

दिवाली पर लक्ष्मी पूजा का शुभ-मुहूर्त 

दिवाली पूजा शुभ-मुहूर्त : 31 अक्टूबर 2024 सायं 05:35 से सायं 06:18 तक

दिवाली पूजा शुभ-मुहूर्त (प्रदोष काल):31 अक्टूबर 2024 सायं 05:35 से रात्रि 08: 11 तक

दिवाली पूजा शुभ-मुहूर्त (वृषभ काल) :31 अक्टूबर 2024 सायं 06: 21 से रात्रि 08: 17 तक 


दिवाली पूजा विधि

दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यता है कि इन दिन धन की देवी लक्ष्मी खुद घर में पधारती है। ऐसे में विधि-विधान से माता लक्ष्मी पूजा की पूजा करना अनिवार्य होता है। 

दिवाली की पूजा हमेशा स्थिर लग्न में करनी चाहिए। इससे लक्ष्मी स्थायी रुप से रहती है। समृद्धि हमेशा बनी रहती है। इसके लिए इस दिन लक्ष्मी पूजन के लिए चौकी लें, उस पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर लक्ष्मी जी और गणेश जी की मूर्ति रखें और जल से भरा एक कलश रखें। जल, मौली, चावल, फल, गुड़, अर्पित करें और माता महालक्ष्मी की स्तुति करें। इसके साथ देवी सरस्वती, मां काली, भगवान विष्णु और कुबेर देव की भी विधि विधान से पूजा करें। महालक्ष्मी पूजन पूरे परिवार को एक साथ करना चाहिए।

इस दिन संध्या और रात्रि के समय शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी, विघ्नहर्ता भगवान गणेश और माता सरस्वती की पूजा और आराधना की जाती है। पुराणों के अनुसार कार्तिक अमावस्या की अंधेरी रात में महालक्ष्मी स्वर्ग से धरती पर आती हैं और हर घर में विचरण करती हैं। इस दौरान जो घर हर प्रकार से स्वच्छ और प्रकाशमान होता है वहां मां लक्ष्मी ठहर जाती है। मां लक्ष्मी के साथ कुबेर पूजा भी की जाती है। पूजन के दौरान पहले घर की साफ-सफाई करें और पूरे घर में वातावरण की शुद्धि और पवित्रता पर ध्यान दिया जाता है। पूरे घर में इसके लिए गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए। रंगोली और दीपों से घर को सजाना चाहिए।

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