Diwali Kali Puja 2024 Date:दिवाली की रात क्यों की जाती है मां काली की पूजा, जानिए शुभ-मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

Diwali Kali Puja 2024 Date दिवाली पर कब होती है काली पूजा इस दिन क्योंं किया जाता है काली पूजा, जानिए शुभ मुहूर्त महत्व और पूजा विधि

Update:2024-10-29 06:45 IST

Diwali Kali Puja 2024 Date: काली पूजा हर साल कार्तिक महीने की अमावस्या तिथि की रात को की जाती है। इस दिन को काली चौदस भी कहते है।दिवाली पर काली पूजा करना  बुराई पर अच्छाई की जीत, आत्मरक्षा और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक है।काली पूजा का विशेष महत्व  बंगाल, ओडिशा, असम और पूर्वी भारत के अन्य क्षेत्रों में है। इस दिन काली माँ की पूजा करने से  रोग और भय से मुक्ति मिलती है।जानते है कार्तिक के महीने में काली पूजा कब मनाई जाएगी और पूजा के शुभ मुहूर्त ...

काली पूजा 2024 में कब है

काली पूजा का त्योहार हर साल कार्तिक महीने की अमावस्या तिथि की रात को मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल इस तिथि की शुरुआत 31 अक्टूबर को दोपहर 03 . 52 मिनट पर होगी। वहीं इस तिथि का समापन 1 नवंबर को संध्याकाल 06 . 16 मिनट पर होगा। काली पूजा रात्रि के समय में की जाती है, इसलिए इस साल काली पूजा 31 अक्टूबर 2024 को मनाई जाएगी।

काली पूजा 2024 शुभ मुहूर्त

इस साल काली पूजा 31 अक्तूबर 2024 को मनाई जाएगी। इसी दिन दीवाली का भी पर्व मनाया जाएगा। इस दिन काली पूजा का शुभ मुहूर्त 11:39 PMसे 12:31 AM तक रहेगा। ये पूजा निशिता काल में ही की जाती है।

पूजा का समय रात्रि का समय काली पूजा के लिए विशेष माना जाता है।पूजा से पूर्व स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें। इस दिन देवी काली के कम से कम 108 बार मंत्र का जाप करें

अभिजीत मुहूर्त - 11:48 AM से 12:32 PM

अमृत काल - 05:35 PMसे  07:23 PM

ब्रह्म मुहूर्त - 05:00 AM से 05:48 AM

विजय मुहूर्त 01:33 AM से 02:18 AM

गोधूलि मुहूर्त 05:18 PM से 05:43 PM

सायाह्न संध्या मुहूर्त 05:18 PM से 06:34 PM

निशिता मुहूर्त 11:16 PM से 12:07 AM, नवम्बर 01

काली पूजा की सामग्री

काली पूजा में मां काली को अगरबत्ती,बतासा,हलवा,पूड़ी,मीठा पान,अक्षत,सुपारी,लौंग,नारियल आदि,माता काली की तस्वीर,गुड़हल का फूल,धूप,दीप आदि सामग्री से पूजा की जाती है।

 काली पूजा विधि

काली पूजा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें। देवी काली की मूर्ति या चित्र को पूजा स्थल पर रखें, और इसे लाल या काले कपड़े से सजाएं। माँ काली का आह्वान करें और उन्हें पूजा में आमंत्रित करें। देवी की मूर्ति पर जल, दूध, और फूल अर्पित करें।सिंदूर, हल्दी, कुमकुम, और काजल चढ़ाएं। माँ काली को फूलों की माला पहनाएं। सरसों का तेल का दीपक जलाएं और कपूर से आरती करें।धूप या अगरबत्ती जलाकर माँ काली के सामने रखें।मिठाई, फल, और नैवेद्य माँ को अर्पित करें।"ॐ क्रीं काली" या "क्रीं काली" का जाप करें। यह मंत्र देवी का प्रिय है। माँ की आरती करें और उन्हें कर्पूर से दीप अर्पित करें।

काली पूजा दिवाली पर महत्व 

सनातन धर्म में काली पूजा का बहुत ही विशेष महत्व है। माँ काली को अधर्म, बुराई और नकारात्मकता का विनाश करने वाली देवी माना जाता है। माँ काली की पूजा से भक्तों को भय, रोग और शत्रुओं से मुक्ति मिलती है।यह पूजा आत्मिक उन्नति और जीवन की समस्याओं से मुक्ति का मार्ग प्रदान करती है। माँ काली ज्ञान और शक्ति का प्रतीक हैं, उनकी कृपा से विवेक और समझ का विकास होता है। मान्यता है कि इस रात माँ काली ने राक्षसों का संहार किया था और दुनिया को भयमुक्त किया था। इसलिए, दिवाली की रात को काली पूजा से माँ के इस रौद्र रूप की आराधना की जाती है ताकि जीवन में किसी भी बुरी शक्ति का प्रभाव न रहे।

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